किसान आंदोलन अब किसानों का नहीं रहा : गोयल
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने शनिवार को कहा कि किसान आंदोलन अब किसानों का प्रदर्शन नहीं रह गया है, क्योंकि इसमें वामपंथी और माओवादी तत्वों की घुसपैठ हो गई है।
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल (file photo) |
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा लाए गए कृषि सुधारों को पटरी से उतारने की कोशिश की जा रही है।
हालांकि गोयल ने यह नहीं बताया कि क्या सरकार की प्रदर्शन स्थलों पर देखे गए प्रतिबंधित संगठन के किसी व्यक्ति के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई की योजना है या नहीं। रेल, वाणिज्य और उद्योग तथा खाद्य और आपूर्ति मामलों के केंद्रीय मंत्री, गोयल ने फिक्की की वाषिर्क बैठक में कहा, ‘अब हमें लगता है कि तथाकथित किसान आंदोलन बमुश्किल ही किसानों का आंदोलन रह गया है। इसमें वामपंथी और माओवादी तत्वों की घुसपैठ हो गई है जिसका नजारा हमने पिछले दो दिन में देखा जब राष्ट्रविरोधी कृत्यों के लिए जेलों में डाले गये लोगों की रिहाई की मांग उठी।
उन्होंने कहा कि किसानों के मंच से तथाकथित विद्वानों और कवियों को रिहा करने की मांगें साफ दर्शाती हैं कि कृषि सुधारों को पटरी से उतारने के प्रयास संभवत: कुछ ऐसे तत्वों के हाथ में हैं जो भारत के लिए अच्छे नहीं हैं। गोयल ने कहा, ‘मैं फिक्की से जुड़े सभी नेक कारोबारियों और सभी विद्वानों, जो इस वेबकास्ट से जुड़े हैं, से आग्रह करुंगा कि इन कृषि कानूनों के लाभों के बारे में बात करें। अगर आपको कोई आशंका है तो हमसे बात कीजिए।’ मंत्री ने आासन दिया कि ये कानून देशभर के करीब 10 करोड़ किसानों के फायदे के लिए हैं।
उन्होंने कहा कि यह सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है जिसने न्यूनतम समर्थन मूल्य या एमएसपी के तहत खरीद को लगभग दोगुना कर दिया है जबकि एमएसपी पर गलत तरह से खतरा होने की बात दर्शाने की कोशिश की जा रही है।
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