मुसलमानों को बदनाम करने का प्रयास है सुदर्शन टीवी का कार्यक्रम : सुप्रीम कोर्ट
सुदर्शन टीवी के विवादास्पद कार्यक्रम बिंदास बोल के शेष कार्यक्रमों के प्रसारण पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है।
सुप्रीम कोर्ट |
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यूपीएससी जिहाद नाम से पेश किए जा रहे एपीसोड मुसलमानों को बदनाम करने का प्रयास है। अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर किसी समुदाय विशेष को बदनाम करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
जस्टिस धनंजय चंद्रचूड, इंदू मल्होत्रा और केएम जोसेफ की बेंच ने सुदर्शन टीवी के कार्यक्रम बिंदास बोल के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान बेहद तीखी टिप्पणी की। संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित आईएएस तथा अन्य प्रशासनिक सेवाओं की परीक्षा में सफल मुस्लिम समुदाय के उम्मीदवारों को साजिश का हिस्सा बताने पर सुप्रीम कोर्ट ने बेहद सख्त रुख अपनाया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पहली नजर में यह मुसलमानों को बदनाम करने का प्रयास है।
सिविल सेवा में मुसलमानों की भर्ती को एक धूर्त तरीके से पेश किया गया है। मुस्लिम समुदाय के छात्रों के लिए अधिकतम आयु सीमा के बारे में गलत तथ्य पेश किए गए हैं। वह कितनी बार प्रतियोगी परीक्षा में शामिल हो सकते हैं, यह भी गलत बताया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी समुदायों को मिल-जुलकर समाज में रहना है। भारत विभिन्न धर्मो और संस्कृति का केंद्र रहा है।
किसी समुदाय को बदनाम करने का प्रयास संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ है। सुदर्शन टीवी की ओर से वकील श्याम दीवान ने प्रसारण पर रोक का विरोध किया। उन्होंने कहा कि यह बोलने की आजादी पर प्रहार है। इस पर जस्टिस चंद्रचूड ने कहा कि सिविल सेवा में जामिया के घुसपैठिए और वह साजिश का हिस्सा हैं, इस तरह एक समुदाय को टारगेट करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
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