मुकदमों की रफ्तार कैसे थमे, नहीं सूझ रहा उपाय
प्रधान न्यायाधीश जस्टिस एसए बोबडे ने शनिवार को कहा कि कोरोना महामारी से अदालतों में बड़ी संख्या में मामले लंबित हो जाएंगे इसलिए उनमें से बहुत सारे के समाधान के लिए मध्यस्थता पर ज्यादा बल दिया जाए।
प्रधान न्यायाधीश जस्टिस एसए बोबडे |
प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) ने मानसिक स्वास्थ्य पर बल देने की जरूरत बताई और इस ‘अप्रिय पूर्वानुमान’ का जिक्र किया कि कोरोना संकट के बाद आत्महत्या की व्यापक प्रवृत्ति आ सकती है। उन्होंने एक डिजिटल कार्यक्रम में कहा, यह कोरोना महामारी हमारे सामने मामलों का पहाड़ खड़ा करने जा रही है। मुझे कोई रास्ता नहीं दिखाई देता। हमें मामलों में फैसला करना होगा। सीजेआई सुप्रीम कोर्ट की रिटार्यड जज जस्टिस आर.भानुमति की पुस्तक ‘जुडीशियरी, जजेस और एडमिनस्ट्रेशन ऑफ जस्टिस’ के विमोचन के अवसर पर बोल रहे थे।
उन्होंने कहा, कोरोना महामारी के कारण लंबित मामलों के अलावा मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पर पड़ा है। मुकदमों की रफ्तार को कैसे थामा जाएगा, इसका कोई उपाय नहीं सूझ रहा है।
उन्होने कहा कि एक रास्ता मध्यस्थता के माध्यम से हो सकता है लेकिन हर केस मध्यस्थता से नहीं निपटाया जा सकता। अधिसंख्य मामले पुराने ढर्रे पर चलेंगे और उसी तरह निपटाए जाएंगे। इन सभी बातों का ध्यान रखना है। मानसिक स्वास्थ्य पर सीजेआई ने कहा, सुप्रीम कोर्ट के महासचिव इस संबंध में कुछ घोषणा करेंगे।
मानसिक स्वास्थ्य को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पहल की है। सुसाइड के बारे में कुछ भविष्यवाणी की गई हैं। लेकिन हम समझते हैं कि यह गलत साबित होंगी। कोरोना महामारी के कारण सुप्रीम कोर्ट में 22 मार्च से भौतिक रूप से सुनवाई नहीं हो रही है। वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए आवश्यक मामलों की सुनवाई की जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस माह से अदालत कक्ष में सीमित रूप से सुनवाई शुरू करने की कोशिश की है लेकिन सफलता हासिल नहीं हुई है। कुछ वकील ही अदालत कक्ष में सुनवाई के लिए राजी हुए हैं।
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