राहुल के बयान पर कांग्रेस की सफाई, सुरजेवाला बोले- हमें सरकार से लड़ना है, आपस में नहीं
कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की सोमवार को हुई बैठक में राहुल गांधी के बयान पर जबरदस्त घमासान मच गया। जिसके बाद पार्टी की ओर से बयान जारी कर कहा गया कि राहुल गांधी ने पिछले दिनों पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखने वालों को भाजपा का एजेंट नहीं कहा।
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला (फाइल फोटो) |
बयान में कहा गया है कि राहुल गांधी ने पत्र लिखे जाने की टाइमिंग को लेकर सवाल जरूर उठाए लेकिन उन्होंने पत्र लिखने वालों को भाजपा का एजेंट नहीं कहा था। हरियाणा कांग्रेस की नेता कुमारी शैलजा ने पत्र लिखने वाले 'असंतुष्टों' पर हमला बोलते हुए कहा कि वो भाजपा के एजेंट हैं।
पार्टी प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि राहुल गांधी ने असंतुष्टों के लिए भाजपा से सांठगांठ होने की कोई बात नहीं की।
सुरजेवाला ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट पर ध्यान न दें। हां बजाए आपस में लड़कर खुद को या कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने के, हम सबको एक साथ इस सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़नी है।
बता दें कि सोनिया गांधी को लिखे इस पत्र में नेतृत्व परिवर्तन और सुधार की मांग की गई थी।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने साफतौर पर कहा कि वो पार्टी छोड़ने के लिए तैयार हैं अगर भाजपा से सांठगांठ की बात साबित हो जाय। आजाद ने मुश्किल वक्त में पार्टी का नेतृत्व करने के लिए सोनिया गांधी की तारीफ की।
पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने ट्वीटर पर लिखा, राजस्थान हाईकोर्ट में पार्टी का बचाव करने में हम सफल हुए। मणिपुर में भी पार्टी को डिफेंड किया। पिछले तीस सालों में भाजपा के समर्थन में मैंने कोई बयान नहीं दिया। फिर हम कैसे भाजपा से सांठगांठ कर रहे हैं।
रणदीप सुरजेवाला का बयान सिब्बल के इसी ट्वीट को लेकर था जिसमें उन्होंने भाजपा से सांठगांठ के आरोप का जवाब दिया था।
राहुल गांधी ने कार्य समिति की बैठक में पत्र लिखे जाने की टाइमिंग को लेकर सवाल उठाए और कहा कि ऐसे समय में जब सोनिया गांधी बीमार थीं और राजस्थान में राजनीतिक संकट चल रहा था तब चिट्ठी लिखने की क्या जरूरत थी।
बता दें कि सोनिया गांधी को 30 जुलाई को रूटीन चेक अप के लिए सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जबकि राजस्थान का सियासी संकट 11 जुलाई को शुरू हुआ था जब सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंक दिया था।
इससे पहले कार्य समिति की बैठक में सोनिया गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की पेशकश की लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिह ने उनसे पद पर बने रहने का आग्रह किया।
सोनिया गांधी ने कहा कि नए अध्यक्ष के चुनाव को लेकर प्रक्रिया शुरू हो जानी चाहिए। पार्टी के महासचिव के. सी. वेणुगोपाल ने सोनिया का ये संदेश पढ़ा।
मनमोहन सिंह और ए के एंटोनी ने पार्टी में सुधार और नेतृत्व परिवर्तन की मांग को लेकर पिछले दिनों लिखे गए पत्र पर नाराजगी जाहिर की।
हम आपको बता दें कि कांग्रेस पार्टी में उस वक्त एक नया सियासी तूफान खड़ा हो गया जब 20 कांग्रेस नेताओं का लिखा एक पत्र सामने आया जिसमें फुल टाइम अध्यक्ष और कांग्रेस में सुधार लाने की मांग की गई थी।
रविवार को कांग्रेस के चार मुख्यमंत्रियों ने भी पत्र लिख कर गांधी परिवार पर भरोसा जताया था और परिवार से ही किसी व्यक्ति के अध्यक्ष बनने की मांग की थी।
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