सुप्रीम कोर्ट का बस्सी मामले में दखल से इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) में पुलिस उपाधीक्षक एके बस्सी का तबादला पोर्ट ब्लेयर किए जाने के मामले में मंगलवार को हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट |
बस्सी सीबीआई में पूर्व विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले की जांच कर रहे थे और उनका कहना था कि इस तबादले से यह जांच प्रभावित होगी।
प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने बस्सी से सवाल किया कि तबादले के आदेश के अनुसार वह पोर्ट ब्लेयर क्यों नहीं गए? पीठ ने अपने आदेश में कहा कि बस्सी इस तबादले के खिलाफ राहत के लिए उचित मंच में जा सकते हैं। पीठ ने उनकी याचिका खारिज कर दी क्योंकि इसे वापस ले लिया गया।
गलत तरीके से किया गया था तबादला : इससे पहले, पीठ ने बस्सी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन से पूछा कि क्या यह सही है कि आपने अभी तक अंडमान और निकोबार में अपना पदभार ग्रहण नहीं किया है? धवन ने जवाब दिया कि गलत तरीके से उनके तबादले का आदेश दिया गया था और शीर्ष अदालत ने पिछले साल आठ जनवरी को उन्हें अपने तबादले के आदेश के बारे में प्रतिवेदन देने की छूट प्रदान की थी।
नए निदेशक ने दोबारा तबादले का आदेश दिया : उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत के आदेश के बाद उनका तबादला आदेश नौ जनवरी, 2019 को वापस ले लिया गया था, लेकिन एक दिन बाद ही जांच एजेंसी के नए निदेशक आए और उन्होंने 11 जनवरी को फिर तबादले का आदेश दे दिया। धवन ने कहा कि तबादला आदेश वापस लेने के बाद यह मामला यहीं खत्म हो जाना चाहिए था, लेकिन 10 जनवरी, 2019 को सीबीआई के नए निदेशक आए और कहा कि मैं घोषणा करता हूं कि नौ जनवरी, 2019 का आदेश अस्तित्व में नहीं है और तबादला आदेश बहाल कर दिया।
उन्हें पदभार ग्रहण करना चाहिए था : पीठ ने कहा कि अगर बस्सी सोचते हैं कि तबादले का आदेश गैरकानूनी या गलत था तो भी उन्हें पालन करते हुए पोर्ट ब्लेयर में अपना पदभार ग्रहण करना चाहिए, न्यायालय इसे निरस्त कर दे तो अलग बात है। धवन ने कहा कि न्यायालय ने उन्हें अपना प्रतिवेदन देने की अनुमति प्रदान की थी ।
बस्सी को संरक्षण प्रदान करने की आवश्यकता : पीठ ने आठ जनवरी, 2019 के आदेश के अवलोकन के बाद कहा कि इस आदेश में भी उन्हें किसी प्रकार का संरक्षण प्राप्त नहीं है। धवन ने कहा कि तबादले का आदेश ही न्यायालय के आदेश का सार है और बस्सी को आरोप पत्र के खिलाफ संरक्षण प्रदान करने की आवश्यकता है।
बस्सी उचित मंच पर दे सकते हैं चुनौती : सीबीआई की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि बस्सी अपने तबादले के आदेश को उचित मंच के समक्ष चुनौती दे सकते हैं। धवन ने कहा कि वह कैट में जाएंगे, लेकिन आरोप पत्र से उन्हें संरक्षण प्रदान किया जाए क्योंकि उसमें यह सवाल किया गया है कि जांच एजेंसी से अनुमति के बगैर ही वह तबादले के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत क्यों गए। पीठ ने बस्सी को किसी भी प्रकार की राहत देने से इनकार कर दिया और उन्हें अपनी याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी।
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