श्रीलंका के पीएम राजपक्षे से मिले मोदी, कहा- दोनों देशों ने आतंकवाद का डटकर किया मुकाबला
भारत और श्रीलंका संयुक्त आर्थिक परियोजनाओं पर साझीदारी बढ़ाएंगे और श्रीलंका के ग्रामीण क्षेत्रों में आवासीय परियोजनाओं को विस्तार देंगे।
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दोनों देश आतंकवाद से निपटने में सहयोग बढ़ाने, श्रीलंका में तमिलों को समानता, न्याय, शांति, और सम्मान के अधिकार दिलाने तथा भारतीय मछुआरों से जुड़े मुद्दे का मानवीय ढंग से सुलझाने के बारे में भी सहमत हुए हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिन्द राजपक्ष के बीच यहां हैदराबाद हाउस में हुई प्रतिनिधिमंडल स्तर की द्विपक्षीय बैठक में यह सहमति बनी। राजपक्ष भारत की चार दिन की यात्रा पर कल यहां पहुंचे। वह रविवार को वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजन अर्चन करेंगे और सारनाथ जाएंगे। सोमवार को बोधगया होते हुए शाम को तिरुपति पहुंचेंगे तथा मंगलवार को भगवान वेंकटेश्वर के सुप्रभात दर्शन करने के पश्चात कोलंबो लौट जाएंगे।
बैठक के बाद मोदी ने अपने प्रेस वक्तव्य में कहा कि उनकी प्रधानमंत्री राजपक्ष के साथ हमारे द्विपक्षीय संबंधों के सभी पहलूओं और आपसी हित के अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई। आतंकवाद हमारे क्षेत्र में एक बहुत बड़ा खतरा है। उन्होंने कोलंबो में ईस्टर के दिन हुए आतंकवादी हमलों को मानवता पर हमला बताते हुए कहा, ‘‘हम दोनों देशों ने इस समस्या का डट कर मुकाबला किया है। आज की हमारी बातचीत में हमने आतंकवाद के खिलाफ़ अपना सहयोग और बढ़ाने पर चर्चा की। हम दोनों देशों की एजेंसियों के बीच संपर्क और सहयोग को और अधिक मजबूत करने के लिए भी प्रतिबद्ध हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज की बातचीत में हमने श्रीलंका में संयुक्त आर्थिक परियोजनाओं, आर्थिक, व्यापारिक, और निवेश संबंधों को बढ़ाने पर भी विचार-विमर्श किया। हमने दोनों देशों की जनता के बीच आपसी संपर्क बढ़ाने, पर्यटन को प्रोत्साहन देने और कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने पर भी चर्चा की।
उन्होंने कहा कि चेन्नई और जाफ़ना के बीच हाल ही में सीधी फ्लाइट की शुरुआत, इसी दिशा में हमारे प्रयासों का हिस्सा है। यह इस क्षेत्र के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए भी लाभकारी होगी। इस उड़ान को लेकर उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया आयी है, यह हमारे लिए प्रसन्नता का विषय है। इस संपर्क को और बढ़ाने, सुधारने और स्थायी बनाने के लिए और प्रयास करने पर भी हमने चर्चा की।
मोदी ने कहा कि श्रीलंका के विकास प्रयासों में भारत एक विस्त भागीदार रहा है। पिछले साल घोषित नये ऋण से हमारे विकास सहयोग को और अधिक बल मिलेगा। श्रीलंका के उत्तरी और पूर्वी क्षेत्र में आतंरिक रूप से विस्थापित लोगों के लिए 48 हजार से ज्यादा घरों के निर्माण का भारतीय आवास परियोजना को पूरा किया जा चुका है। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्र में भारतीय मूल के तमिल लोगों के लिए कई हार घरों के निर्माण का कार्य भी प्रगति कर रहा है।
श्रीलंका के प्रधानमंत्री ने भी अपने वक्तव्य में मोदी से अनुरोध किया कि आवास परियोजना को और विस्तार दिया जाना चाहिए जिससे देश के सभी ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को घर सुलभ हो सके।
मोदी ने कहा कि उन्होंने श्री राजपक्ष के साथ मछुआरों के मानवीय मुद्दे पर भी चर्चा की। इस विषय का प्रभाव दोनों देशों के लोगों के जीवनयापन पर सीधे रूप से पड़ता है। इसलिए हम इस मुद्दे पर रचनात्मक और मानवतापूर्ण रुख बनाये रखने पर सहमत हैं। उन्होंने कहा कि हमने श्रीलंका में मेलमिलाप से सम्बंधित मुद्दों पर खुले मन से बातचीत की है और उन्हें इस बात का विास है कि श्रीलंका सरकार अखंड श्रीलंका के भीतर समानता, न्याय, शांति, और सम्मान के लिए तमिल लोगों की अपेक्षाओं को साकार करेगी। इसके लिए यह आवश्यक होगा कि श्रीलंका के संविधान में तेरहवें संशोधन को लागू करने के साथ-साथ मेलमिलाप की प्रक्रिया को आगे ले जाया जाए।
इससे पहले मोदी ने राजपक्ष को प्रधानमंत्री बनने के बाद पहले विदेश दौरे पर भारत आने के लिए धन्यवाद दिया और श्रीलंका की आादी की बहत्तरवीं वषर्गाँठ पर राजपक्ष और श्रीलंका के लोगों को बधाई दी। उन्होंने भारत और श्रीलंका को अनादि काल से पड़ोसी और घनिष्ठ मित्रता बताते हुए कहा कि हमारे संबंधों के इतिहास का ताना-बाना संस्कृति, धर्म, आध्यात्म, कला और भाषा जैसे अनगिनत रंग-बिरंगे धागों से बुना गया है। चाहे सुरक्षा हो या अर्थव्यवस्था या सामाजिक प्रगति, हर क्षेत्र में हमारा अतीत और हमारा भविष्य एक-दूसरे से जुड़ा हुआ।
प्रधानमंत्री ने कहा कि श्रीलंका में स्थायित्व, सुरक्षा, और समृद्धि न सिर्फ भारत बल्कि पूरे हिन्द महासागर क्षेा के हित में है। इसलिए, हिन्द प्रशांत क्षेत्र में भी शांति और खुशहाली के लिए हमारा घनिष्ठ सहयोग बहुमूल्य है। हमारी सरकार की पड़ोसी प्रथम नीति और ‘सागर’ सिद्धांत के अनुरूप हम श्रीलंका के साथ संबंधों को एक विशेष प्राथमिकता देते हैं। क्षेीय सुरक्षा और विकास के लिए भारत के साथ मिल कर काम करने के श्रीलंका सरकार के संकल्प का हम स्वागत करते हैं।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री राजपक्ष की इस यात्रा से भारत और श्रीलंका की मैत्री और बहु-आयामी सहयोग और अधिक मजबूत होंगे। साथ ही दोनों देशों के बीच क्षेीय शांति और स्थायित्व के लिए सहयोग भी बढ़ेगा।
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