सिर्फ पटाखों पर ही क्यों बैन, जब वाहन से ज्यादा प्रदूषण
उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को सवाल किया कि लोग पटाखा उद्योग के पीछे क्यों पड़े हैं जबकि ऐसा लगता है कि इसके लिए वाहन प्रदूषण कहीं अधिक बड़ा स्रोत हैं।
उच्चतम न्यायालय |
इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने केन्द्र से जानना चाहा कि क्या उसने पटाखों और आटोमोबाइल से होने वाले प्रदूषण के बीच कोई तुलनात्मक अध्ययन कराया है।
न्यायमूर्ति एसए बोबडे और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ ने पटाखा निर्माण उद्योग और इसकी बिक्री में शामिल लोगों का रोजगार खत्म होने पर गंभीर चिंता व्यक्त की और कहा, ‘हम बेरोजगारी बढ़ाना नहीं चाहते हैं।’ पीठ ने केन्द्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सालिसीटर जनरल एएनएस नाडकर्णी से जानना चाहा, ‘क्या पटाखों से होने वाले प्रदूषण और आटोमोबाइल से होने वाले प्रदूषण के बारे में कोई तुलनात्मक अध्ययन किया गया है ?
ऐसा लगता है कि आप पटाखों के पीछे भाग रहे हैं जबकि प्रदूषण में इससे कहीं अधिक योगदान शायद वाहनों से होता है।’ पीठ ने कहा, ‘आप हमें बेरोजगारी पर अंकुश लगाने के बारे में भी कुछ बताएं। हम लोगों को बेरोजगार और भूखा नहीं रख सकते। ऐसे क्षेत्र हैं, जहां पटाखों का इस्तेमाल किया जा सकता है।’ पीठ ने कहा, ‘हम उन्हें पैसा नहीं दे सकते। हम उनके परिवार को सहारा नहीं दे सकते। यह बेरोजगारी है।’ पीठ ने यह सवाल भी किया कि पटाखों के निर्माण पर पाबंदी कैसे लगाई जा सकती है यदि यह कारोबार वैध है और लोगों के पास कारोबार करने का लाइसेंस है।
पीठ ने टिप्पणी की, ‘किसी ने भी अनुच्छेद 19 के संबंध में इस पहलू को नहीं परखा। यदि व्यापार कानूनी है और आपके पास इसके लिए लाइसेंस है तो आप कैसे इसे रोक सकते हैं? आप लोगों को कैसे बेरोजगार कर सकते हैं?’ न्यायालय देश भर में पटाखों के इस्तेमाल पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था।
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