मिराज के दुर्घटनाग्रस्त होने पर एचएएल निशाने पर

Last Updated 01 Feb 2019 11:49:26 PM IST

बेंगलुरू में भारतीय वायुसेना (आईएएफ) के 'मिराज 2000' विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने पर हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) फिर निशाने पर आ गया है। क्योंकि विमान सरकार द्वारा संचालित विमान निर्माण इकाई में उन्नत किए जाने के बाद अनुमति मिलने पर सेवा में लाया गया था।


मिराज के दुर्घटनाग्रस्त होने पर एचएएल निशाने पर

विमान दुर्घटना में शहीद हुए स्क्वाड्रन लीडर समीर अब्रोल और सिद्धार्थ नेगी एयरक्राफ्ट एंड 'सिस्टम्स टेस्टिंग्स इस्टेबलिशमेंट्स' (एएसटीई) में टेस्ट पायलट थे। उन्हें हाल ही में उन्नत हुए विमान को वायुसेना में शामिल करने से पहले परीक्षण करना था।

चार दिन पहले उत्तर प्रदेश के कुशीनगर के निकट एक जगुआर के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद यह एचएएल द्वारा उन्नत दूसरा विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ है। किस्मत से उस दुर्घटना में कोई हताहत नहीं हुआ था।

यह दुर्घटना एयर चीफ मार्शल बी.एस. धनोआ द्वारा नई दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करने के अगले दिन हुई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि एचएएल को भारतीय वायुसेना का सहयोग मिलने से वायुसेना की युद्धक क्षमता प्रभावित हुई है।

उन्होंने उन रपटों का खंडन किया, जिनमें कहा गया था कि वायुसेना ने तेजस के मानक बदले और इसके कारण इसमें विलंब हुआ। उन्होंने कहा, "हमने एचएएल को रियायतें दी थीं, लेकिन युद्ध क्षेत्र में जब हम दुश्मन से लड़ रहे होंगे, तो क्या दुश्मन हमें कोई रियायत देगा?"

वायुसेना प्रमुख ने यह भी कहा कि 'एसयू-30' के अतिरिक्त उत्पादन में दो साल की देरी हो चुकी है और एलसीए उत्पादन में लगभग छह साल विलंब हो गया है।

यह पहली बार नहीं है जब वायुसेना के लड़ाकू विमान एचएएल इकाई में परीक्षण के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हुए हैं। पिछले साल जुलाई में एक 'एसयू-30' नासिक में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जहां वायुसेना के लिए रूस-निर्मित विमान का उत्पादन एचएएल ने किया था।

एयर वाइस मार्शल (सेवानिवृत्त) मनमोहन बहादुर ने आईएएनएस से कहा कि अभी मिराज दुर्घटना के बारे में अनुमान लगाना जल्दबाजी होगी।

उन्होंने कहा, "चूंकि इसके संचालन की अनुमति दी जा चुकी थी तो एचएएल की प्रक्रिया और गुणवत्ता नियंत्रण की जांच की जाएगी।"



वायुसेना में 51 मिराज विमानों की टुकड़ी को फ्रांसीसी विमान निर्माता दसॉ और अन्य साझेदारों के साथ 2.1 अरब डॉलर के सौदे के तहत उन्नत कर 'मिराज 2000-5' श्रेणी का किया जा रहा है।

वर्ष 2012-13 से 2016-17 तक भारतीय वायुसेना ने पांच सुखोई-30 सहित 29 लड़ाकू विमान गंवाए हैं।

आईएएनएस
नई दिल्ली


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment