नागेश्वर नियुक्ति : सुनवाई से हटे जस्टिस रमण भी
सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस एनवी रमण ने सीबीआई के अंतरिम निदेशक के रूप में एम नागेश्वर राव की नियुक्ति के केन्द्र के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया।
सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस एनवी रमण (file photo) |
जस्टिस रमण इस मामले की सुनवाई से स्वयं को अलग करने वाले तीसरे न्यायाधीश हैं। इससे पहले चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस अर्जन कुमार सीकरी भी इसकी सुनवाई से खुद को इससे अलग कर चुके हैं।
गैर सरकारी संगठन कॉमन कॉज ने सीबीआई के अंतरिम निदेशक के रूप में राव की नियुक्ति के केन्द्र के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। मामले की सुनवाई से खुद को अलग करते हुए जस्टिस रमण ने कहा कि नागेश्वर राव उनके पैतृक नगर से हैं और वह राव की बेटी की शादी में शामिल हुए थे। राव के दामाद वकील हैं और वह उसे भी जानते हैं। इस पर याची के वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि हम कहां जाए। तीन जज अपने आप को सुनवाई से अलग कर चुके हैं। क्या हम दिल्ली हाई कोर्ट का रुख करें।
जस्टिस रमण ने मामले को उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने के लिए मामला चीफ जस्टिस के पास भेज दिया। सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को पद से हटाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति की 10 जनवरी को हुई बैठक में जस्टिस सीकरी ने चीफ जस्टिस गोगोई का प्रतिनिधित्व किया था। हालांकि उन्होंने केस की सुनवाई से खुद को अलग करने की कोई वजह नहीं बताई।
वहीं चीफ जस्टिस गोगोई ने यह कहते हुए स्वयं को मामले से अलग कर लिया कि वह सीबीआई के नए निदेशक की चयन समिति का हिस्सा होंगे। गैर सरकारी संगठन ने अपनी याचिका में सीबीआई निदेशक की नियुक्ति में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए विशेष प्रक्रिया की मांग की है। उसने आरोप लगाया है कि राव की नियुक्ति उच्चाधिकार प्राप्त चयन समिति की सिफारिशों के आधार पर नहीं की गई है। याचिका के अनुसार, राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक नियुक्त करने का 23 अक्टूबर का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने आठ जनवरी को निरस्त कर दिया था लेकिन सरकार ने दुर्भावनापूर्ण, मनमाने और गैरकानूनी तरीके से काम करते हुए उन्हें दोबारा नियुक्त कर दिया है।
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