योगी का दावा, अयोध्या विवाद का हल 24 घंटे में

Last Updated 27 Jan 2019 02:09:03 AM IST

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 24 घंटे के भीतर अयोध्या विवाद का निपटारा करने का दावा किया है।


उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (file photo)

उन्होंने कहा कि राम मंदिर मसले पर लोगों का धैर्य समाप्त हो रहा है और सर्वोच्च न्यायालय इस विवाद पर जल्द आदेश देने में असमर्थ है।
योगी आदित्यनाथ ने कहा, इसे हमारे हवाले कर देना चाहिए और 24 घंटे के भीतर इसका समाधान हो जाएगा। मुख्यमंत्री ने भारतीय जनता पार्टी द्वारा 2014 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले आगामी आम चुनाव में उत्तर प्रदेश में ज्यादा सीटें जीतने का भी दावा किया है। मुख्यमंत्री से एक समाचार चैनल ने जब पूछा कि क्या वह आयोध्या मसले का समाधान बातचीत से करेंगे या डंडे से तो उन्होंने मुस्कराते हुए जवाब दिया, पहले अदालत को मसले को हमारे हवाले करने दीजिए।
आदित्यनाथ ने कहा, मैं अब भी अदालत से विवाद का निपटारा जल्द करने की अपील करूंगा। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने 30 सितम्बर 2010 को भूमि बंटवारे के मसले पर आदेश नहीं दिया, बल्कि यह भी स्वीकार किया कि बाबरी ढांचा हिंदू मंदिर या स्मारक को नष्ट करके खड़ा किया गया था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने उच्च न्यायालय के आदेश पर खुदाई की और अपनी रिपोर्ट में स्वीकार किया कि बाबरी के ढांचे का निर्माण हिंदू मंदिर या स्मारक को नष्ट करके किया गया था।

उन्होंने कहा, ‘टाइटल का विवाद अनावश्यक रूप से जोड़कर अयोध्या विवाद को लंबा खींचा जा रहा है। हम सर्वोच्च न्यायालय से लाखों लोगों की संतुष्टि के लिए जल्द से जल्द न्याय देने की अपील करते हैं, ताकि यह जनास्था का प्रतीक बन सके। अनावश्यक विलंब होने से संस्थानों से लोगों का भरोसा उठ जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा, जहां तक लोगों के धैर्य और भरोसे की बात है तो अनावश्यक विलंब से संकट पैदा हो रहा है।
उन्होंने कहा, मैं कहना चाहता हूं कि अदालत को अपना फैसला शीघ्र देना चाहिए। अगर वह ऐसा करने में असमर्थ हैं तो वह मसला हमें सौंप दें। हम राम जन्मभूमि विवाद का समाधान 24 घंटे के भीतर कर देंगे। हम 25 घंटे नहीं लेंगे। उनसे जब पूछा गया कि केंद्र सरकार ने अध्यादेश क्यों नहीं लाया तो उन्होंने कहा कि मामला विचाराधीन था। उन्होंने कहा, संसद में विचाराधीन मसलों पर बहस नहीं हो सकती है। हम इसे अदालत पर छोड़ रहे हैं। अगर अदालत ने 1994 में केंद्र सरकार द्वारा दाखिल हलफनामे के आधार पर न्याय दिया होता तो देश में अच्छा संदेश जाता।

आईएएनएस
नई दिल्ली


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