चार साल बाद एक बार फिर एक खतरनाक वायरस दुनिया में दहशत पैदा कर रहा है। इस वायरस का कनेक्शन भी चीन से है ऐसा कहा जाने लगा है।
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सांसों पर आफत का सबब बनने वाले वायरल का नाम एचएमपीवी (ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस) है। भारत में भी लोग डरे हुए हैं। कोरोना का दौर याद आने लगा है। उस दौर में वैकल्पिक या भारत की प्राचीन चिकित्सा प्रणाली ने लोगों की काफी मदद की थी तो क्या किसी भी विषम स्थिति में वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली होम्योपैथी कारगर साबित हो सकती है?
न्यूज एजेंसी ने इसे लेकर होमियो एमिगो दिल्ली में वरिष्ठ होम्योपैथिक डॉक्टर और क्लस्टर हेड डॉ. आकांक्षा द्विवेदी से बात की। उन्होंने कुछ कारगर तरीके सुझाए। पहले आइए समझते हैं वो वायरस क्या है जिसने एक बार फिर पूरी दुनिया की पेशानी पर बल डाल दिया है!
ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस, जिसे एचएमपीवी के नाम से भी जाना जाता है एक प्रकार का सामान्य श्वसन वायरस है। जो सभी उम्र के लोगों में फैल सकता है। इस वायरस का ज्यादा असर बुजुर्गों और छोटे बच्चों पर होने की आशंका है। वायरस से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में अगर आप आते हैं तो आप भी इस वायरस से संक्रमित हो सकते हैं।
इसके कुछ आम से लक्षण हैं। जैसे नाक बहना, गले में खराश, सिरदर्द, थकान, खांसी, बुखार या फिर ठंड लगने लगती है।
होम्योपैथ डॉ द्विवेदी के मुताबिक ये आम से लक्षण आगे चलकर बड़ी आफत का सबब बन सकते हैं। फेफड़े प्रभावित हो सकते हैं। सांस लेने में दिक्कत होती है घरघराहट सुनाई जाती है, अस्थमा संबंधी परेशानियां बढ़ जाती हैं, सांस फूलने लगती है, थकान बढ़ जाती है, बच्चों की छाती का संक्रमण घातक साबित हो सकता है।
इस वायरस से निपटने के लिए कई विकल्प उपलब्ध हैं, होम्योपैथी भी ऐसा ही है। डॉक्टर कहती हैं "लक्षण दिखें तभी होम्योपैथिक दवाएं ले सकते हैं। सभी जानते हैं हर्बल सामग्रियों से बनाई जाती हैं और इनका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता। होम्योपैथी की दवाई अंगों का खास ख्याल रखती हैं उनको नुकसान न पहुंचने देती। इससे होता ये है कि रोग ज्यादा बढ़ता नहीं है।"
सलाह एक ही है कि किसी भी परिस्थिति में स्टेरॉयड और ब्रोन्कोडायलेटर्स पर निर्भरता कम करें। आमतौर पर श्वसन संबंधी समस्याओं से जूझ रहे लोग इनका धड़ल्ले से उपयोग करते हैं। ये न्यूनतम दुष्प्रभावों के साथ प्राकृतिक और समग्र उपचार प्रदान करता है। होम्योपैथिक दवाएं लंग वॉल्यूम कैपिसिटी को बढ़ा सकती हैं।
डॉ द्विवेदी होम्योपैथी के व्यक्तिगत अप्रोच की बात करती हैं। कहती है होम्योपैथ मरीज की हिस्ट्री समझता है। सबकी बॉडी और रिएक्शन अलग होता है, ऐसी स्थिति में होम्योपैथ किसी भी रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट (श्वसन पथ) इंफेक्शन या बीमारी से पीड़ित रोगी को राहत या स्थायी इलाज देने के लिए मौजूदा लक्षणों को समझ बूझकर दवाएं देता है।
डॉक्टर एचएमपीवी से बचने के टिप्स भी देती हैं। कहती हैं, अच्छा हो किसी भी संक्रमित शख्स से दूर रहा जाए या मास्क का उपयोग किया जाए। अपने हाथों को नियमित रूप से साबुन से धोएं। छींकते या खांसते समय अपना मुंह ढकें। दूसरों से दूर कोहनी की आड़ लेकर खांसें और सबसे अहम बात छींकने या खांसने के बाद अपने हाथों को सैनिटाइज जरूर करें।
सबसे अहम बात कौन सी ऐसी दवाएं हैं जो कारगर साबित हो सकती हैं?
चिकित्सक के मुताबिक इस स्थिति में एसेनिकम एल्बम, एलियम सेपा, ब्रायोनिया, बेलाडोना, यूपेटोरियम परफ, जस्टिसिया एडहाटोडा, एकोंटियम नेपेलस, हेपर सल्फ, अर्जेंटम नाइट्रिकम लेने की सलाह होम्योपैथ दे सकते हैं। ये सब लक्षणों पर निर्भर करता है। लेकिन इसमें भी सबसे जरूरी बात जो याद रखनी है वो ये कि अपने मन से इनका सेवन न करें बल्कि अपने होम्योपैथिक चिकित्सक से परामर्श जरूर लें।
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