तनाव आपके शरीर को कैसे प्रभावित कर सकता है?

Last Updated 23 Apr 2024 06:30:53 PM IST

डॉक्टरों ने मंगलवार को दावा किया कि तनाव न केवल मानसिक रूप से आपको प्रभावित करता है, बल्कि यह शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है।


तनाव आपके शरीर को कैसे प्रभावित कर सकता है?

अप्रैल महीने को तनाव जागरूकता माह (स्ट्रेस अवेयरनेस मंथ) के रूप में जाना जाता है।

आज की भागदौड़ भरी दुनिया में, सभी उम्र के लोगों को भारी दबाव और तनाव का सामना करना पड़ रहा है, जिससे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियां बढ़ रही हैं।

गुरुग्राम स्थित आर्टेमिस अस्पताल में न्यूरोइंटरवेंशन के निदेशक और स्ट्रोक यूनिट के सह-प्रमुख विपुल गुप्ता ने आईएएनएस से कहा, "मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव डालने के अलावा, तनाव शरीर पर गहरा प्रभाव डाल सकता है, जिससे कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां और बीमारियां हो सकती हैं।"

डॉक्टर ने कहा कि तनाव नींद को बाधित करता है, जिससे सोने में मुश्किल हो सकती है, इससे उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और स्ट्रोक जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।

"तनाव शारीरिक प्रतिक्रियाओं के एक समूह को ट्रिगर करता है, जिसमें कोर्टिसोल और एड्रेनालाईन जैसे तनाव हार्मोन के ऊंचे स्तर शामिल हैं, जो सामान्य शारीरिक कार्यों को बाधित कर सकते हैं।

"चिड़चिड़ा आंत्र सिंड्रोम (आईबीएस) और गैस्ट्रिटिस जैसे पाचन संबंधी विकार भी तनाव से जुड़े हुए हैं, क्योंकि यह आंत की गतिशीलता को बाधित कर सकता है और सूजन को बढ़ा सकता है। इसके अलावा, लंबे समय तक तनाव हार्मोनल असंतुलन में योगदान कर सकता है, जिससे पुरुषों और महिलाओं दोनों में प्रजनन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।"

डॉक्टर ने कहा, "इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम (आईबीएस) और गैस्ट्राइटिस जैसे पाचन विकार भी तनाव से जुड़े हुए हैं। यह आंत की गतिशीलता को बाधित कर सकता है और सूजन को बढ़ा सकता है। इसके अलावा, लंबे समय तक तनाव हार्मोनल असंतुलन का कारण बन सकता है, जिससे पुरुषों और महिलाओं दोनों में प्रजनन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।"

आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस के दिसंबर 2023 के एक स्टडी से पता चला है कि भारत में हर तीसरा व्यक्ति तनाव से जूझ रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 77 प्रतिशत भारतीय नियमित रूप से तनाव के कम से कम एक लक्षण का अनुभव करते हैं।

स्वस्थ जीवन शैली, नियमित व्यायाम, सामाजिक संबंध बनाए रखना आदि तनाव को कम करते हैं।

काउंसलिंग साइकोलोजिस्ट दिव्या मोहिन्द्रू ने तनाव को प्रबंधित करने के लिए माइंडफुलनेस, मेडिटेशन और गहरी सांस लेने का सुझाव दिया।

उन्होंने कहा, "पहले यह खोजें कि कौन सी चीजें आपको तनाव से बाहर लाती हैं। यह तनाव कम करने के लिए प्राकृतिक दृष्टिकोण है, जो जागरूकता की अवधारणा से जुड़ा है।"

एक्सपर्ट्स ने जरूरत पड़ने पर मदद मांगने के महत्व पर भी जोर दिया।

विपुल ने कहा, "यह पहचानना जरूरी है कि कब तनाव ज्यादा बढ़ जाता है और कब प्रोफेशनल मदद लेना जरूरी है। जब रोजाना के काम करने में बाधा उत्पन्न हो, या शारीरिक बीमारियों का कारण बने तो डॉक्टर या मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल के पास जाना जरूरी है। तनाव जागरूकता माह मानसिक कल्याण को प्राथमिकता देने और जरूरत पड़ने पर सहायता लेने के लिए समय पर रिमाइंडर के रूप में काम करता है।"

आईएएनएस
नई दिल्ली


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