Chhath Puja 2022: नहाय खाय के साथ शुरू हुआ लोकआस्था का महापर्व छठ, जानें समय और नियम

Last Updated 28 Oct 2022 12:14:32 PM IST

आस्था के महापर्व छठ पूजा का प्रारंभ आज 28 अक्टूबर 2022 से हो रहा है। इस चार दिवसीय छठ पर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है।


लोक आस्था का महापर्व छठ शुक्रवार को नहाय–खाय से शुरू हो रहा है। चार दिवसीय इस महापर्व के प्रथम दिवस में आज ब्रती गंगा स्नान के बाद आज भगवान भास्कर को अर्घ्य देकर चार दिवसीय अनुष्ठान की सफलता के लिए प्रार्थना करेंगी।

इसके बाद शुद्ध व सात्विक भोजन में कद्’दू की सब्जी‚ अरवा चावल‚ चना दाल‚ आंवला की चटनी आदि ग्रहण कर इस अनुष्ठान का संल्कप लेंगी। प्रसाद के निमित्त मंगवाये गये गेहूं व चावल को गंगाजल में धोकर धोकर सुखायेंगी। इस गेहूं को कोई भी जीव–जंतु स्पर्श नहीं हो‚ इसके लिए खुद व परिवारजन के साथ पारंपरिक लोकगीत गाते हुए इसकी रखवाली भी करेंगी। इस महापर्व से जुड़ी सभी आवश्यक सामग्रियों चूल्हा‚ आम की लकड़ी‚ डाला‚ दउरा‚ टोकरी‚ आम का दातुन‚ घाट का सजावट‚ घर में गंगाजल की पर्याप्त इंतजाम आदि की व्यवस्था भी आज से शुरू हो जायेगा।

आचार्य राकेश झा ने बताया कि आज से शुरू होने वाले छठ महापर्व के चतुर्थ दिवसीय अनुष्ठान के पहले दिन नहाय–खाय में शुभकारी योग बन रहे हैं। आज शुक्रवार को कार्तिक शुक्ल चतुर्थी में अनुराधा नक्षत्र व सौभाग्य–शोभन योग के युग्म संयोग के साथ अतिपुण्यकारी सर्वार्थ सिद्धि योग तथा रवियोग भी विद्यमान रहेगा। इस शुभकारी योग में महापर्व का आरंभ बहुत ही उत्तम सिद्ध होगा।

ज्योतिषी झा के मुताबिक छठ महापर्व पर ग्रह–गोचरों के शुभ संयोग बन रहा है। यह पर्व पारिवारिक सुख‚ समृद्धि और मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए व्रती पूरे विधि–विधान से करती हैं। चार दिन के इस अनुष्ठान में आज शुक्रवार को पहले दिन नहाय–खाय पर सर्वार्थ सिद्धि योग व रवियोग का पुण्यकारी संयोग बन रहा है। वहीं कल कार्तिक शुक्ल पंचमी दिन शनिवार को ज्येष्ठा नक्षत्र व पुण्यकारी रवियोग में छठ के दूसरे दिन में व्रती खरना का पूजा करेंगी‚ फिर रविवार 30 अक्टूबर को सायंकालीन अर्घ्य पर सुकर्मा योग‚ रवियोग तथा सर्वार्थ सिद्धि योग में मंगलकारी योग में ब्रती डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देंगी। 31 अक्टूबर सोमवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य पूर्वाषाढ़ नक्षत्र व धृति योग के साथ रवियोग में दिया जाएगा।

महापर्व में बरसती है छठी मैया की कृपा
ज्योतिषाचार्य राकेश झा ने कहा कि छठ महापर्व खासकर शरीर‚ मन तथा आत्मा की शुद्धि का पर्व है। वैदिक मान्यताओं के अनुसार नहाय–खाय से छठ के पारण सप्तमी तिथि तक उन भक्तों पर षष्ठी माता की कृपा बरसती है जो श्रद्धापूर्वक ब्रत–उपासना करते हैं।

प्रत्यक्ष देवता सूर्य को पीतल या तांबे के पात्र से अर्घ्य देने से आरोग्यता का वरदान मिलता है। सूर्य को आरोग्य का देवता माना गया है। सूर्य की किरणों में कई रोगों को नष्ट करने की क्षमता है।

नहाय–खाय व खरना के प्रसाद से दूर होते हैं कष्ट
छठ महापर्व के प्रथम दिन नहाय–खाय में लौकी की सब्जी‚ अरवा चावल‚ चने की दाल‚ आंवला की चासनी के सेवन का खास महत्व है ॥। वैदिक मान्यता है कि इससे पुत्र की प्राप्ति होती है। वहीं वैज्ञानिक मान्यता है कि गर्भाशय मजबूत होता है। खरना के प्रसाद में ईख के कच्चे रस‚ गुड़ के सेवन से त्वचा रोग‚ आंख की पीड़ा समाप्त हो जाते है। वहीं‚ वही इसके प्रसाद से तेजस्विता‚ निरोगता व बौद्धिक क्षमता में वृद्धि होती है।

सहारा न्यूज ब्यूरो
पटना


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