ट्रंप ने भारत की चुनाव प्रणाली की जमकर की तारीफ, अमेरिकी सिस्‍टम में बड़े बदलाव का दिया आदेश

Last Updated 27 Mar 2025 10:23:54 AM IST

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के मतदाताओं को अपने आधार कार्ड को चुनाव फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी) से जोड़ने वाले नियम का जिक्र किया।


अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (फाइल फोटो)

उन्होंने आधार-ईपीआईसी लिंकिंग की तुलना अमेरिका में मतदाता पहचान की ढीली प्रणाली से की।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संघीय चुनावों में मतदाताओं को अपनी नागरिकता साबित करने के लिए एक आदेश पर हस्ताक्षर किए। इस आदेश में उन्होंने अमेरिकी और भारतीय तरीकों की तुलना की। उन्होंने पहले पैराग्राफ में लिखा कि भारत ‘वोटर पहचान को एक बायोमेट्रिक डेटाबेस से जोड़ रहा है, जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका मुख्य रूप से नागरिकता के लिए स्व-सत्यापन पर निर्भर है।

उन्होंने लिखा, "अमेरिका ने खुद का शासन शुरू करने में बढ़त बनाई थी, लेकिन अब वह चुनावों की बुनियादी और जरूरी सुरक्षा को लागू नहीं कर पा रहा है, जो आज के विकसित और विकासशील देश भी करते हैं।"

उनके आदेश के तहत वोट देने के लिए मतदाताओं को पासपोर्ट या कुछ खास दस्तावेज दिखाने होंगे ताकि उनकी नागरिकता साबित हो सके।

अमेरिका में कोई राष्ट्रीय चुनाव व्यवस्था नहीं है, जबकि भारत में एक ताकतवर राष्ट्रीय चुनाव आयोग चुनाव के नियम, कानून, मशीनरी और सिस्टम चलाता है, जो पूरे देश में वोटिंग की ईमानदारी सुनिश्चित करता है।

2021 में पारित चुनाव कानून (संशोधन) अधिनियम ने आधार को ईपीआईसी से जोड़ने की शुरुआत की। चुनाव आयोग इस प्रावधान को पूरा करने के लिए अंतिम रूप दे रहा है और कुछ मतदाता पहले ही ऐसा कर चुके हैं।

अमेरिका में भारत के चुनाव आयोग के समकक्ष कोई आयोग नहीं है और इसका चुनाव आयोग केवल चुनाव वित्तपोषण विनियमों को लागू करता है।

अमेरिका में चुनाव राज्य और स्थानीय कानूनों के तहत आयोजित किए जाते हैं, जो राज्य के अनुसार अलग-अलग होते हैं और यहां तक कि इस्तेमाल की जाने वाली वोटिंग मशीनें और चुनावों में पार्टी उम्मीदवारों के चयन के लिए प्राइमरी या कॉकस की प्रणाली भी अलग-अलग होती है।

ट्रंप के आदेश के खिलाफ कैलिफोर्निया सीधे टकराव में आएगा, क्योंकि राज्य का कानून मतदाता की पहचान दिखाने के लिए पूछना अवैध बनाता है।

भारत और यूरोप के कई देशों के विपरीत अमेरिका के पास राष्ट्रीय पहचान पत्र नहीं है और लोग फोटो पहचान के रूप में अपने ड्राइविंग लाइसेंस या सरकारी सेवानिवृत्ति कार्यक्रम से अपने सामाजिक सुरक्षा नंबर का उपयोग करते हैं। कुछ राज्य बिना फोटो के मतदाता पहचान पत्र जारी करते हैं, लेकिन अन्य ऐसा नहीं करते हैं।

ट्रंप के आदेश को अदालतों में चुनौती दी जानी तय है। वहीं, डेमोक्रेट्स ने इस फैसले का विरोध किया है। उनका कहना है कि गरीब लोगों को फोटो आईडी नहीं मिल सकती है।

रिपब्लिकन का कहना है कि ढीली आईडी व्यवस्था के कारण चुनाव में धोखाधड़ी होती है।

आईएएनएस
न्यूयॉर्क


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