India-US Relations: भारत को 21 मिलियन डॉलर क्यों दें? चुनावी फंडिंग पर डोनाल्ड ट्रंप ने उठाए सवाल

Last Updated 19 Feb 2025 10:40:26 AM IST

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने भारत में मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए 21 मिलियन डॉलर की कथित अमेरिकी फंडिंग (USAID) पर पहली बार अपनी प्रतिक्रिया दी है।


फ्लोरिडा में अपने मार-ए-लागो निवास पर ट्रंप ने कहा कि भारत को 21 मिलियन डॉलर क्यों दिए गए, जबकि उसके पास बहुत ज्यादा पैसा है।

उन्होंने कहा कि भारत के पास पहले से ही बहुत पैसा है और वह दुनिया के सबसे ज्यादा कर वसूलने वाले देशों में से एक है। ट्रंप ने कहा कि अमेरिका को भारत के साथ व्यापार करने में मुश्किल होती है क्योंकि वहां के टैरिफ बहुत ज्यादा हैं।

उन्होंने भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति अपना सम्मान प्रकट किया लेकिन इस बात पर आश्चर्य जताया कि भारत में मतदान प्रक्रिया के लिए अमेरिका को पैसा देने की जरूरत क्यों महसूस हुई।

यह विवाद तब शुरू हुआ जब एलन मस्क के नेतृत्व में अमेरिकी कार्यदक्षता विभाग (डीओजीई) ने 16 फरवरी को 21 मिलियन डॉलर की निधि को रोकने की घोषणा की। डीओजीई ने एक्स पर एक पोस्ट के जरिए जानकारी दी कि कई विदेशी सहायता कार्यक्रमों को गैर-जरूरी या अत्यधिक खर्च वाला मानते हुए बंद किया गया है।

इस सूची में भारत में मतदाता मतदान प्रोजेक्ट सबसे ऊपर था। इसके अलावा, बांग्लादेश में राजनीतिक सुधारों के लिए 29 मिलियन डॉलर और नेपाल में राजकोषीय संघवाद व जैव विविधता संरक्षण के लिए 39 मिलियन डॉलर की फंडिंग भी बंद कर दी गई।

भारत में इस फैसले को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई। सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस निधि को रोकने के फैसले की आलोचना की और इसे भारत की चुनावी प्रक्रिया में “विदेशी हस्तक्षेप” करार दिया।

भाजपा प्रवक्ता अमित मालवीय ने सवाल किया कि आखिर इस धनराशि से किसे फायदा हुआ, यकीन है सत्तारूढ़ पार्टी को तो इससे कोई लाभ नहीं हुआ होगा!

उन्होंने इसे विदेशी संस्थाओं द्वारा भारतीय संस्थानों में “व्यवस्थित घुसपैठ” का हिस्सा बताया और कहा कि इससे भारत के लोकतंत्र पर खतरा बढ़ सकता है।

मालवीय ने इस फंडिंग पहल के पीछे अमेरिकी अरबपति निवेशक जॉर्ज सोरोस की भूमिका पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि जॉर्ज सोरोस का प्रभाव पहले भी भारत की चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने वाली विदेशी वित्तपोषित पहलों में देखा गया है।

उन्होंने 2012 में भारत के चुनाव आयोग और इंटरनेशनल फाउंडेशन फॉर इलेक्टोरल सिस्टम्स (आईएफईएस) के बीच हुए विवादास्पद समझौते का जिक्र किया, जो सोरोस के ओपन सोसाइटी फाउंडेशन से जुड़ा हुआ था।

आईएएनएस
वाशिंगटन


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment