Digital Arrest Fraud: कंबोडिया जैसे देशों से चल रहा है ‘Digital Arrest’ का धंधा
भारत में डिजिटल अरेस्ट धोखाधड़ी (Digital Arrest Fraud) के बढ़ते मामलों को देखते हुए गृह मंत्रालय की साइबर शाखा ने कंबोडिया, म्यांमार, वियतनाम, लाओस और थाईलैंड जैसे दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों को इन घोटालों के लिए गढ़ के रूप में चिह्नित किया है।
|
भारत का सिम कार्ड, भारत के लोगों से ही साइबर अपराध करवा कर भारत का ही पैसा देश के बाहर बैठे साइबर क्रिमिनल लूट रहे हैं। कंबोडिया, म्यांमार और वियतनाम में बैठे साइबर क्रिमिनल्स के पास भारतीय सिम कार्ड उनके भारतीय एजेंट के जरिए भेजे जाते हैं।
कंबोडिया में स्थित भारतीय दूतावास ने भी यहां नौकरी चाहने वालों के लिए एक एडवाइजरी जारी की है। दूतावास ने भारतीय नागरिकों से ‘पर्यटक वीजा’ पर नौकरी न मांगने का भी आग्रह किया है, जो कंबोडिया में अवैध है।
परामर्श में कहा गया है, ‘यह बात संज्ञान में आई है कि कंबोडिया में आकषर्क नौकरी के अवसरों के झूठे वादों से आकर्षित होकर भारतीय नागरिक मानव तस्करों के जाल में फंस रहे है। इन भारतीय नागरिकों को ऑनलाइन स्कैम और अन्य अवैध गतिविधियों में शामिल होने के लिए मजबूर किया जाता है।
जांच में पता चला है कि डिजिटल अरेस्ट करने वाले जालसाजों के आईपीडीआर (इंटरनेट प्रोटोकॉल डिटेल रिकॉर्ड) का ठिकाना कंबोडिया, म्यांमार और वियतनाम है। इस तरह के घोटाले से जुटाए गए पैसे को दुबई और वियतनाम के एटीएम से निकाला जाता है।
कंबोडिया, म्यांमार और वियतनाम में बैठे साइबर अपराधी अपने एजेंट्स की मदद से भारतीय सिम कार्ड मंगवाते हैं। जांच में पता चला है कि करीब कई हज़ार सिम कार्ड कंबोडिया और म्यांमार भेजे गए थे। बाद में भारतीय एजेंसियों ने इन सिम कार्ड को निष्क्रिय कर दिया।
गृह मंत्रालय के साइबर विंग के सूत्रों ने बताया कि घोटालेबाज डिजिटल गिरफ्तारी के जरिए हर दिन करीब 6 करोड़ रु पए उड़ा रहे हैं। इस साल के पहले 10 महीनों में ही घोटालेबाजों ने 2,140 करोड़ रु पए उड़ा लिए हैं।
गृह मंत्रालय ने पाया है कि जालसाज ज्यादातर कंबोडिया में चीनी कैसीनो में स्थित कॉल सेंटरों से काम करते हैं। अक्टूबर तक, साइबर विंग ने डिजिटल गिरफ्तारी धोखाधड़ी से संबंधित 92,334 मामलों की रिपोर्ट की हैं।
| Tweet |