नांदेड़ ब्लास्ट केस : 18 साल बाद सभी आरोपी बरी, कोर्ट ने खारिज किए आतंकवाद के आरोप
साल 2006 में नांदेड़ के पाट बंधारे नगर में हुए ब्लास्ट मामले में 18 साल बाद कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि एटीएस और सीबीआई के पास आरोपियों के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं थे।
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6 अप्रैल 2006 को नरेश राज कोंडवार के घर पर हुए ब्लास्ट में दो लोगों की मौत हुई थी और चार लोग घायल हुए थे। इस मामले में राहुल पांडे और उनके साथियों का नाम सामने आया था। इसके अलावा, भागने में मदद करने के आरोप में डॉक्टर उमेश देशपांडे और एडवोकेट मिलिंद एकताटे समेत कुल दस लोगों को आरोपी बनाया गया था।
केस के मुख्य अधिवक्ता एनडी रुनवाल ने बताया, "नांदेड़ में एक घर में ब्लास्ट हुआ था। इसमें एटीएस महाराष्ट्र और सीबीआई ने 10 लोगों के खिलाफ चार्जशीट फाइल की थी। इस केस में कुल 49 गवाहों की गवाही हुई और अंत में फैसला सुनाया गया।
कोर्ट ने अंत में कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर पाया कि उस मकान में कोई ब्लास्ट हुआ है, या उस मकान में कोई विस्फोटक सामग्री मिली या उस घर में कोई जीवित बम मिला। अभियोजन पक्ष की तरफ से ऐसा कोई सुबूत पेश नहीं किया गया। इसी वजह से सभी आरोपियों को इस केस से बरी कर दिया गया। कोर्ट ने सभी आरोपियों को निर्दोष माना।"
भाजपा नेता अतुल भातखलकर ने कहा, "इस निर्णय का मैं तहे दिल से स्वागत करता हूं। हिंदू आतंकवाद के नाम पर कई बेगुनाह लोगों को हिरासत में लेकर उन पर बम ब्लास्ट जैसा संगीन आरोप लगाने का तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने किया था। वह एक षड्यंत्र था। कोर्ट ने षड्यंत्र को नकार दिया।
बता दें कि घटना के बाद “हिंदू आतंकवाद” शब्द को भारतीय राजनीति में परिभाषित किया गया था। तत्कालीन एटीएस और सीबीआई ने दावा किया कि इस ब्लास्ट में मालेगांव ब्लास्ट के आरोपी हिंदू संगठनों की सहभागिता थी।
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