Pakistan : टीटीपी पाकिस्तान के लिए बना नासूर
दुनिया के देशों में अपनी आतंक के पौध को परोसने वाला पाकिस्तान आज खुद ही अपनी आस्तीन में दूध पिला रहे आतंकी के दंश से परेशान हो रहा है।
![]() टीटीपी पाकिस्तान के लिए बना नासूर |
एक तरफ जहां पीओके को लेकर भारत की मंशा पाक साफ है वही दूसरी तरफ पाकिस्तान द्वारा दूसरे देशों के लिए पैदा और पालपोष कर बड़ा किए तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) अब उसके लिए ही नासूर बन रहा है।
हालत इतने खराब हो गए हैं कि कहीं पाक को खैबर-पखतूनख्वा और बलूचिस्तान से ही हाथ ना धोना पड़ जाए। पाकिस्तानी सरकार और पाक खुफिया आईएसआई की नीतियों से पैदा किए संगठन टीटीपी पाकिस्तान सरकार को नाकोदम करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहा और अब इसमें बलूचिस्तान के विद्रोही (बीएलओ ) और खोरासान (आईएसकेपी) भी शामिल हो गया है।
पाक हुक्मरान के हाथ पांव तब और फूलने लगा जब टीटीपी, बीएलए और आईएसकेपी ने मिलकर पाकिस्तानी सुरक्षाबलों पर हमले तेज कर दिए हैं। पाकिस्तान के थिंक टैंक ‘पाकिस्तान इंस्टिट्यूट फ़ॉर कॉन्फ्लिक्ट एंड सिक्योरिटी स्टडी’ की तरफ से पाकिस्तान में आतंकी हमले पर एक रिसर्च पेपर जारी किया गया है। इसके मुताबिक़ साल 2024 के पहले पांच महीने में हुए आतंकी हमले और इसमें मारे गए सुरक्षाबलों और आम नागरिकों के आंकड़े जारी किए गए।
रिपोर्ट के मुताबिक़ इस साल मई तक आतंकी हमलों में पिछले साल के मुक़ाबले 83 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है, जिसमें अब तक 409 आतंकी हमलों में 414 लोगों के मारे जाने और 474 लोगों के घायल होने का दावा किया गया है। अगर इस रिपोर्ट में दिए गए मई महीने के आंकड़ों पर नज़र डालें, तो 83 आतंकी हमलों की बात कही गई है और इन हमलों में 90 की जान गई और 87 घायल हुए। ये ज्यादातर हमले एफएटीए, खैबर पखतूनख्वा और बलूचिस्तान में हुए।
पाकिस्तान में लगातार हो रहे सुरक्षाबलों पर हमले के बाद पाकिस्तान ने बलोच विद्रोहियों और तहरीके तालिबान के खिलाफ जून 2024 में एक बड़ा ऑपरेशन शुरू किया, इसे नाम दिया गया ऑपरेशन अज़म-ए-इस्तेकाम और इसके जरिए पाकिस्तान की तरफ से इस बात को भी साफ कर दिया कि अगर जरूरत पड़ी तो अफ़ग़ानिस्तान में घुसकर भी ऑपरेशन को अंजाम दिया जाएगा।
इस बयान के बाद तालिबान की तरफ से भी तीखा जवाब दिया गया और कहा गया जो भी अफ़ग़ानिस्तान की संप्रभुता पर हमला करेंगे, उसे उसका अंजाम भुगतना होगा। खुफिया सूत्रों द्वारा ऐसा माना जा रहा है कि पाकिस्तान की तरफ से शुरू किए गए इस ऑपरेशन के पीछे चीन का दबाव हो सकता है क्योंकि सीपेक का पूरा प्रोजेक्ट अधर में लटका हुआ है। एक तरफ से केपीके में चल रहे प्रोजेक्ट, तो दूसरी ओर बलूचिस्तान में ग्वादर पोर्ट का भविष्य खतरे में है।
एक समय था जब पाकिस्तान अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान के क़ब्ज़े को लेकर जश्न मना रहा था।पाकिस्तान की प्लानिंग थी कि वह तालिबान के जरिए अफ़ग़ानिस्तान में अपने प्रभाव को बढ़ा देगा और बड़े भाई की भूमिका निभाएगा, लेकिन पाकिस्तान के सारे प्लान पर मानो पानी ही फिर गया। तालिबानी विचारधारा वाले टीटीपी ने पाकिस्तान के लिए ऐसी मुसीबत खड़ी कर दी कि उससे बाहर निकल पाना उसके बस से बाहर दिख रहा है।
जिस तरह से तालिबान पाकिस्तान-अफ़ग़ानिस्तान बॉर्डर पर अपने तेवर दिखा रहा है, उससे तो ये साफ लग रहा है कि 1893 को अफ़ग़ानिस्तान और ब्रिटिश इंडिया के बीच खींची गई तकरीबन 2670 किलोमीटर लंबी सीमा जिसे डूरंड लाइन के नाम से जाना जाता है, उसे वह खत्म करने की ही तैयारी में है।
खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक़ काबुल में कुछ बिलबोर्ड नज़र आए जिसमें अफ़ग़ानिस्तान का नया मैप दिखाई दिया। इस मैप में पूरा खैबर पखतूनख्वा और बलूचिस्तान का कुछ इलाक़ा अफ़ग़ानिस्तान में दिखाया गया है।
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