तालिबान को समर्थन देने वाले पाकिस्तान को करारा झटका, अब इस्लामाबाद चाहता है समझौता

Last Updated 12 Jul 2021 08:19:05 PM IST

इस्लामाबाद अब अफगानिस्तान में एक समझौता वार्ता चाहता है, क्योंकि उसे डर है कि एकमुश्त तालिबान का अधिग्रहण पाकिस्तानी जिहादियों को प्रेरित करेगा।


तालिबान को समर्थन देने वाले पाकिस्तान को करारा झटका, अब इस्लामाबाद चाहता है समझौता

द वॉल स्ट्रीट जर्नल (डब्ल्यूएसजे) की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। दो दशकों तक, पाकिस्तानी सुरक्षा प्रतिष्ठान का एक बड़ा हिस्सा अफगान युद्ध में तालिबान के लिए निहित रहा है।

डब्ल्यूएसजे ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अब जब तालिबान देश के बड़े हिस्से पर कब्जा कर रहा है और सत्ता पर कब्जा करने की कगार पर है, तो पाकिस्तान की सत्तारूढ़ सरकार में दहशत फैल रही है।

जब से 2001 के अमेरिकी आक्रमण ने काबुल में पाकिस्तानी समर्थित तालिबान शासन को हटा दिया है, पाकिस्तान की शक्तिशाली सेना ने अनौपचारिक रूप से समूह को सावधानीपूर्वक अंशांकित समर्थन प्रदान किया है, जिससे अफगान विद्रोहियों को अपने क्षेत्र से संचालित करने की अनुमति मिली है।



रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान अफगानिस्तान में अपने दुश्मन भारत के प्रभाव का मुकाबला करने के लिए तालिबान को मजबूत करने के अलावा अमेरिका के जाने के बाद वहां एक शक्तिशाली प्रॉक्सी होना चाहता है।

2001 से औपचारिक रूप से एक अमेरिकी सहयोगी, पाकिस्तान की सरकार तालिबान का समर्थन करने से इनकार करती है, लेकिन कहती है कि समूह पर इसका कुछ सीमित प्रभाव है।

अमेरिकी सेना की वापसी और देश के प्रमुख शहरों के आसपास तालिबान के अफगानिस्तान के एक तिहाई जिलों में घुसपैठ के साथ, पाकिस्तानी अधिकारियों को अपनी नीतियों के अनपेक्षित परिणामों से जूझना पड़ता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि वरिष्ठ पाकिस्तानी अधिकारियों का कहना है कि तालिबान द्वारा पूर्ण अधिग्रहण या अफगानिस्तान में एक नया गृहयुद्ध, इस्लामाबाद के राष्ट्रीय हितों के खिलाफ होगा।

पाकिस्तान के पूर्व रक्षा मंत्री लेफ्टिनेंट जनरल नईम लोधी (सेवानिवृत्त) ने कहा, हम जातीय, धार्मिक, आदिवासी रूप से अफगानिस्तान के साथ इतने घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए हैं कि जब भी गृहयुद्ध होता है, तो पाकिस्तान पर इसका गहरा असर पड़ता है।

डब्ल्यूएसजे ने अपनी रिपोर्ट में यहा भी कहा, गृहयुद्ध (अफगानिस्तान में) आखिरी चीज है, जो पाकिस्तान चाहेगा कि यह हो।

आईएएनएस
काबुल/नई दिल्ली


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