थक्कों से डरे नहीं, लगवाएं वैक्सीन
रुधिर रोग विशेषज्ञ के रूप में हम ऐसे कई रोगियों की देखभाल करते हैं, जिन्हें पहले रक्त के थक्के बन चुके हों या जो रक्त को पतला करने वाली दवाएं लेते हैं। वे अक्सर पूछते हैं कि क्या मुझे एस्ट्राजेनेका का टीका लगवाना चाहिए।
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आमतौर पर इसका जवाब एक निश्चित ‘हां’ है। एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के बाद हमने जो रक्त के थक्के देखे हैं, वे उन थक्कों से एकदम अलग हैं, जो दिल के दौरे और स्ट्रोक के कारण बनते हैं। लिहाजा, इस प्रकार की स्थितियों के इतिहास वाले लोग एस्ट्राजेनेका वैक्सीन से किसी भी तरह के जोखिम में नहीं दिखते हैं। वास्तव में, इस समूह के लोगों को कोविड-19 से अधिक जोखिम हो सकता है, इसलिए टीकाकरण में देरी नहीं करनी चाहिए।
रक्त के थक्के कैसे बनते हैं : रक्त हमारे शरीर की वाहिकाओं से तरल के रूप में बहता है, ऑक्सीजन, पोषक तत्व, प्रोटीन और प्रतिरक्षा कोशिकाओं को हर अंग तक ले जाता है। लेकिन अगर हम घायल हो जाते हैं या सर्जरी करवाते हैं, तो हमारे शरीर को घाव से बहने वाले खून को रोकने की जरूरत होती है। हमारे रक्त में ऐसे घटक होते हैं, जो इसे कुछ ही सेकेंड में एक तरल पदार्थ से एक अर्ध-ठोस थक्के में बदलने का काम करते हैं। क्षति का पहला संकेत मिलने पर रक्त कोशिकाओं में से सबसे छोटी- प्लेटलेट्स - क्षतिग्रस्त रक्त वाहिका की दीवार से चिपक जाती हैं और क्षतिग्रस्त दीवार के साथ मिलकर, वहां जमे हुए थक्का जमाने वाले प्रोटीन को लेकर घाव से बहने वाले खून को रोक देती हैं।
नसों में थक्के : कभी-कभी रक्त में थक्का जमने की प्राकृतिक प्रक्रिया और थक्का-रोधी प्रक्रिया असंतुलित हो जाती हैं, जिससे व्यक्ति की नसों में रक्त के थक्के बनने का खतरा बढ़ जाता है। यह निम्नलिखित लोगों में हो सकता है-कैंसर या संक्रमण के रोगी, गर्भवती महिलाएं, एस्ट्रोजन युक्त गर्भनिरोधक गोली लेने वाले, जो सर्जरी या बड़े आघात के बाद चल फिर नहीं पाते हैं।
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