Narak Chaturdashi 2024: नरक चतुर्दशी की रात क्यों जलाया जाता है यम का दीपक? जानें इससे जुड़ी कई मान्यताएं

Last Updated 30 Oct 2024 11:45:58 AM IST

हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को छोटी दिवाली का त्यौहार मनाया जाता, जिसे नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन यम देवता की पूजा का विधान है।


दीपावली पर्व के ठीक एक दिन पहले मनाई जाने वाली नरक चतुर्दशी को छोटी दीवाली, रूप चौदस और काली चतुर्दशी भी कहा जाता है। इस दिन से कई परंपराएं जुड़ी हैं।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, नरक चतुर्दशी कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है। इसके अगले दिन दीपावली मनाई जाती है।

माना जाता है कि दैत्य राज नरकासुर ने देवराज इंद्र को पराजित कर सुरलोक की शासक मातृ देवी अदिति के कानों के कुंडल छीन लिए थे। अदिति भगवान कृष्ण की पत्नी सत्यभामा की रिश्तेदार थीं। नरकासुर के अत्याचार की खबर सुन कर सत्यभामा नाराज हो गईं और भगवान कृष्ण से नरकासुर को सजा देने के लिए कहा। नरकासुर को श्राप मिला था कि उसकी मृत्यु महिला के हाथों होगी। कृष्ण ने तब सत्यभामा को यह बात बताई और युद्ध के मैदान में सत्यभामा के रथ के सारथी बने। नरकासुर का वध सत्यभामा ने किया और अदिति के कुंडल उन्हें वापस दिए।’’

उन्होंने बताया ‘‘नरकासुर के वध के बाद कृष्ण ने उसके रक्त से तिलक किया और सुबह-सुबह अपने महल वापस पहुंचे। उस दिन नरक चतुर्दशी थी। कृष्ण ने सुगंधित तेल लगाया और स्नान किया। कहा जाता है कि तब से ही इस दिन सुबह तेल लगा कर स्नान करने की परंपरा है।’’

पौराणिक गाथा के अनुसार, नरकासुर ने देवराज इंद्र को परास्त करने के बाद जिन 16 हजार देव कन्याओं को कारागार में डाल दिया था, उन्हें कृष्ण ने दैत्य राज के वध के बाद रिहा किया और उनसे विवाह किया। ये 16 हजार देव कन्याएं उनकी रानियां बनीं। इसीलिए इस दिन को रूप चौदस भी कहा जाता है और महिलाएं इस दिन विशेष श्रृंगार करती हैं।

राजस्थान में रूप चौदस खास तौर पर मनाया जाता है। यह आयोजन पांच दिन तक चलता है। इस दिन महिलाएं घर की सफाई और खुद अपना श्रृंगार करती हैं। घर पर तरह तरह के पकवान बनाए जाते हैं।

वहीं दक्षिण भारत में इस दिन को बच्चों के मुंडन संस्कार के लिए शुभ माना जाता है। वहां इस दिन सुबह स्नान के बाद तेल में कुमकुम मिला कर लगाया जाता है और करेले को हाथ के प्रहार से तोड़ कर उसका रस माथे पर लगाया जाता है। करेले को नरकासुर के सिर का प्रतीक माना जाता है। इसके बाद तेल और चंदन लगा कर फिर स्नान किया जाता है।

आम तौर पर इस दिन महिलाएं सुबह उठ कर घर की साफ सफाई करती हैं और घर के बाहर रंगोली सजाती हैं। महाराष्ट्र में इस दिन चने के आटे और चंदन का उबटन लगा कर स्नान करने की परंपरा है।

आंध्रप्रदेश में इस दिन सुबह पानी में तिल के कुछ दाने डाल कर स्नान करने की परंपरा है।

नरक चतुर्दशी के दिन महाकाली और भगवान यमराज की पूजा भी की जाती है। माना जाता है कि इस दिन पूजा करने से यमराज नरक में नहीं भेजते। कई घरों में इस दिन एक विशेष दिया यमराज के लिए जलाया जाता है और दरवाजे के सामने रखा जाता है।

कई घरों में रात को घर का सबसे बुजुर्ग सदस्य एक दिया जला कर पूरे घर में घुमाता है और फिर उसे ले कर घर से बाहर कहीं दूर रख कर आता है। घर के अन्य सदस्य अंदर रहते हैं और इस दिये को नहीं देखते। यह दीया यम का दीया कहलाता है और माना जाता है कि पूरे घर में इसे घुमा कर बाहर ले जाने से सभी बुराइयां और कथित बुरी शक्तियां घर से बाहर चली जाती हैं।

छोटी दिवाली के दिन क्या करना चाहिए?

    छोटी दिवाली के दिन घर की सफाई कर सभी बेकार चीजें फेंक दें
    घर से सभी तरह के कबाड़ और टूटी फूटी चीजों को हटा दें।
    छोटी दिवाली के दिन दीपदान जरूर करें
    छोटी दिवाली पर 14 दीये जलाना शुभ माना जाता है। साथ ही यम दीप  जरूर जलाएं
    छोटी दिवाली के दिन घर की दक्षिण दिशा साफ रखें। इससे यमराज और पितृ देव क्रोधित हो जाते हैं।
    छोटी दिवाली के दिन यम के नाम का दीपक दक्षिण दिशा में जलाएं।
    घर के मुख्य द्वार, बाहर, चौराहे और खाली स्थान पर दीये रखें।
    छोटी दिवाली पर सरसों के तेल के दीये ही जलाएं।
 

समय लाइव डेस्क
नई दिल्ली


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