Guru Purnima Quotes In Hindi : गुरु पूर्णिमा पर पढ़ें वेद व्यास जी के ये अनमोल विचार, जो बदल देंगे आपकी सोच

Last Updated 20 Jul 2024 01:40:07 PM IST

Guru Purnima Quotes In Hindi : आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं। इसके अलावा इस दिन को आषाढ़ पूर्णिमा, गुरु पूर्णिमा और व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। हिंदू धर्म में गुरु पूर्णिमा को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया गया है।


Guru Purnima Quotes In Hindi

धार्मिक मान्यता के अनुसार, कहा जाता है कि इस दिन वेदों के रचयिता महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था और इस कारण इस दिन को वेदव्यास जी की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन गुरु की पूजा की जाती है।  इस साल गुरु पूर्णिमा 21 जुलाई 2024 को है। दान-पुण्य और ज्योतिष शास्त्र से जुड़े कई धार्मिक उपाय भी किए जाते हैं, ऐसा इसलिए किया जाता है जिससे आपके आने वाले जीवन में चमत्कारिक बदलाव आ सके हैं। इस साल गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर आप जरुर पढ़ें  वेद व्यास जी के ये अनमोल विचार, जो बदल देंगे आपकी सोच

Guru Purnima Quotes In Hindi : वेद व्यास जी के अनमोल विचार

मन में संतोष होना स्वर्ग की प्राप्ति से भी बढ़कर है,
संतोष ही सबसे बड़ा सुख है।,
संतोष यदि मन में भली-भांति प्रतिष्ठित हो जाए
 तो उससे बढ़कर संसार में कुछ भी नहीं है।
(वेद व्यास जी )


किसी के प्रति मन में क्रोध रखने की अपेक्षा उसे तत्काल प्रकट कर देना अधिक अच्छा है,
जैसे पल में जल जाना देर तक सुलगने से अच्छा है।    
(वेद व्यास जी )


जहां कृष्ण हैं,
वहां धर्म है और जहां धर्म है,
वहां जय है।          
(वेद व्यास जी)

                            
क्षमा धर्म है, क्षमा यज्ञ है,
क्षमा वेद है और क्षमा शास्त्र है,
जो इस प्रकार जानता है,
वह सब कुछ क्षमा करने योग्य हो जाता है।        
(वेद व्यास जी)


जिस मनुष्य की बुद्धि दुर्भावना से युक्त है
 तथा जिसने अपनी इंद्रियों को वश में नहीं रखा है,
वह धर्म और अर्थ की बातों को सुनने की इच्छा होने पर भी उन्हें पूर्ण रूप से समझ नहीं सकता।    
(वेद व्यास जी)


दुख को दूर करने की एक ही अमोघ औषधि है
 मन से दुखों की चिंता न करना।    
(वेद व्यास जी)


जो केवल दया से प्रेरित होकर सेवा करते हैं,
उन्हें नि:संशय सुख की प्राप्ति होती है।    
(वेद व्यास जी)


जो मनुष्य अपनी निंदा सह लेता है,
उसने मानो सारे जगत पर विजय प्राप्त कर ली।
(वेद व्यास जी)


अधिक बलवान तो वे ही होते हैं जिनके पास बुद्धिबल होता है
 जिनमें केवल शारीरिक बल होता है,
वे वास्तविक बलवान नहीं होते।    
(वेद व्यास जी)


जैसे जल द्वारा अग्नि को शांत किया जाता है,
वैसे ही ज्ञान के द्वारा मन को शांत रखना चाहिए।
(वेद व्यास जी)


आशा ही दुख की जननी है
और निराशा ही परम सुख शांति देने वाली है।          
(वेद व्यास जी)

स्वार्थ की अनुकूलता और प्रतिकूलता से ही मित्र और शत्रु बना करते हैं।    
(वेद व्यास जी)


विद्या के समान कोई नेत्र नहीं है।
(वेद व्यास जी)


मनुष्य जीवन की सफलता इसी में है कि वह उपकारी के उपकार को कभी न भूले,
उसके उपकार से बढ़कर उसका उपकार कर दे।    
(वेद व्यास जी)

        
अमृत और मृत्यु दोनों इस शरीर में ही स्थित हैं
मनुष्य मोह से मृत्यु को और सत्य से अमृत को प्राप्त होता है।    
(वेद व्यास जी)
         

प्रेरणा शुक्ला
नई दिल्ली


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