Ahoi ashtami vrat katha : 5 नवंबर को है अहोई अष्टमी का व्रत, यहां पढ़ें व्रत की कथा
इस साल अहोई अष्टमी का व्रत दिनांक 05 नवंबर को रखा जाएगा। इस दिन संतान की लंबी उम्र के लिए माताएं व्रत रखती हैं।
Ahoi ashtami vrat katha |
Ahoi ashtami vrat katha in hindi : हिन्दू धर्म में विभिन्न व्रत रखें जाते हैं। हर व्रत की अलग खासियत तथा महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। उसी प्रकार हर वर्ष सुहागिन महिलाओं द्वारा अहोई अष्टमी का व्रत भी रखा जाता है। यह व्रत संतानों की लंबी आयु के लिए तथा उनकी रक्षा की कामना के लिए रखा जाता है। यह व्रत उत्तर भारत की महिलाएं अधिक संख्या में रखती हैं। इस दिन माता पार्वती की पूजा अर्चना की जाती है। व्रत कथा के बिना व्रत पूर्ण नहीं होता इसलिए आज हम आपके लिए अहोई अष्टमी की कथा लेकर आए हैं।
अहोई अष्टमी कब है? ( Kab hai Ahoi ashtami 2023)
भारतवर्ष में इस साल अहोई अष्टमी व्रत 5 नवंबर 2023 के दिन रखा जाएगा।
अहोई अष्टमी व्रत कथा ( Ahoi ashtami vrat katha in hindi )
एक नगर में एक साहूकार रहता था। इस साहूकार के सात बेटे तथा एक बेटी थी। साहूकार ने अपने सातों बेटे तथा बेटी का विवाह कर दिया था जिसके बाद साहूकार के घर सात बहुएं भी रहने लगी और बेटी अपने ससुराल में रहने लगी। एक दिन दीवाली के त्योहार पर साहूकार की बेटी अपने मायके आई। दीवाली के त्योहार पर घर को लीपना था इसलिए सारी बहुएं जंगल से मिट्टी लेने के लिए गई। साहूकार की बेटी भी अपनी भाभियों के साथ चल दी।
साहूकार की बेटी जिस स्थान पर मिट्टी काट रही थी। वहीं पर स्याहू अथवा साही अपने बेटों के साथ निवास करती थी। वहां पर साहूकार की बेटी ने गलती से मिट्टी काटते हुए, एक स्याहू के बेटे की गर्दन पर खुरपी चला दी जिससे उसकी मौत हो गई। ये दखकर स्याहू की मां क्रोधित हो गई और उसने साहूकार की बेटी से कहा, "मैं तुम्हारी कोख बांध दूंगी" इस बात से भयभीत होकर साहूकार की बेटी अपनी सातों भाभियों से विनती करती है कि वे सब उसके बदले अपनी कोख एक - एक बार बंधवा लें। उन सातों भाभियों में से सबसे छोटी भाभी अपनी कोख बंधवाने को राज़ी हो जाती है जिससे छोटी भाभी के जो भी बच्चे होते हैं वे सभी सात दिन के भीतर मर जाते हैं।
अपने सातों पुत्रों की मृत्यु से दुखी छोटी भाभी ने इसका कारण जानने के लिए पंडित से संपर्क किया। पंडित ने उन्हें सुरही गाय की सेवा करने की सलाह दी। वह उसी प्रकार सुरही गाय की सेवा में लग गई। सुरही गाय उसकी सेवा से खुश होती हैं और कहती हैं," तू किस कारण मेरी इतनी सेवा करती है कारण तो बता, जो तेरी इच्छा तू मुझसे वो मांग ले" यह बात सुनकर छोटी बहू ने कहा कि, हे सुरही गाय, स्याहू माता ने मेरी कोख बांध दी है जिस कारण मेरे सारे बच्चे मर गए। यदि आप मेरी कोख खुलवा दें तो बड़ा उपकार होगा।
गाय माता ने उसकी बात को सुना और उसे सात समुंद्र पार कराते हुए स्याहू माता के पास ले गई। चलते - चलते रास्ते में दोनों थक जाते हैं और आराम करते हैं। इसी बीच छोटी बहू देखती है कि एक सांप गरुण पंखुनी के बच्चे को खाने जा रहा था। ऐसे में वह सांप को मार देती है, तभी गरुण पंखुनी वहां पहुंच जाती है। खून देखकर उसे लगता है कि छोटी बहू ने उसके बच्चे को मार डाला। तो वह उसे चोंच मारने लगती है।
छोटी बहू उसे बताती है कि उसने किस प्रकार उसके बच्चे की जान बचाई है। सब बात सुनकर गरुण पंखुनी उन दोनों को आसानी से स्याहू माता के पास पहुंचा देती है। स्याहू माता के पास जाकर छोटी बहू उनकी भी लगन से सेवा करती है। उसकी सेवा से स्याहू माता भी अत्यधिक प्रसन्न होती हैं और उसे सात पुत्र तथा सात पुत्रवधू प्राप्ति का वरदान देती हैं और कहती हैं कि घर जाकर तू अहोई माता का उद्यापन करना। जब छोटी बहू घर आती है तो अपने सात पुत्र तथा उनकी वधुओं को देखकर भाव विभोर हो उठती है तथा प्रसन्नतापूर्वक अहोई माता का उद्यापन करती है।
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