सर्वपितृ अमावस्या पर श्राद्ध करने से पितृदोषों से मुक्ति मिलती है। आश्विन मास साल के सभी 12 मासों में खास माना जाता है। इस वर्ष सर्वपितृ अमावस्या 14 अक्टूबर को है।
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सर्वपितृ अमावस्या पर श्राद्ध करने से पितृदोषों से मुक्ति मिलती है। आश्विन मास साल के सभी 12 मासों में खास माना जाता है। इस वर्ष सर्वपितृ अमावस्या 14 अक्टूबर को है। भाद्रपद मास की पूर्णिमा से शुरू होकर अश्विन मास की अमावस्या तक का समय पितृ पक्ष होता है। इस साल पितृ पक्ष की शुरुआत 29 सितंबर से हो रही है और 14 अक्टूबर को समाप्त होंगे। तो जानिए सर्वपितृ अमावस्या पर क्यों करते हैं श्राद्ध|
सर्वपितृ अमावस्या का महत्व
श्राद्ध पक्ष में अमावस्या का महत्व
श्राद्ध पक्ष में अमावस्या का बड़ा महत्व है। आश्विन मास की अमावस्या पितरों की शांति का सबसे अच्छा मुहूर्त है। जो व्यक्ति पितृपक्ष के पंद्रह दिनों तक श्राद्ध, तर्पण या पितरों की संतुष्टि के लिए यत्न नहीं कर पाते हैं, वो इस दिन अपने पितरों का पिण्डदान या श्राद्ध करते हैं। पितर अपने पिण्डदान व श्राद्ध की आशा में पृथ्वी पर आते हैं। अगर उन्हें समुचित आदर-सम्मान नहीं मिलता है तो वे रुष्ट होकर लौटते हैं जिससे पितृदोष लगता है। पितरों की नाराज़गी व्यक्ति के जीवन में अनेक तरह के कष्टों का कारण बनती है। पितरों की नाराज़गी की वजह से घर में कलह होने लगते हैं, सुख-समृद्धि में कमी आती है और कार्य भी बिगड़ने लगते हैं।
पितरों को विदा करने की तिथि
सर्वपितृ अमावस्या पितरों को विदा करने की अंतिम तिथि होती है। श्राद्धपक्ष के 15 दिनों तक पितृ घर में विराजते हैं। सर्वपितृ अमावस्या के दिन भूले-बिसरे सभी पितरों का श्राद्ध करके उन्हें विदा किया जाता है और उनसे आशीर्वाद मांगा जाता है।
सर्वपितृ अमावस्या पर श्राद्ध की विधि
सर्वपितृ अमावस्या को गायत्री मंत्र का जाप करते हुए सूर्यदेव को जल अर्पित करें। घर में बने खाने को सबसे पहले गाय, कुत्ते और कौए के लिए निकालें। श्रद्धापूर्वक पितरों की पूजा करें, फिर ब्राह्मण या किसी गरीब को भोजन कराएं और दान दक्षिणा भी दें।
दान का विशेष महत्व
सर्वपितृ अमावस्या पर दान अवश्य करें। इस दिन दान करना बहुत फलदायी माना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन दान करने से पितरों के लिए स्वर्ग के द्वार खुल जाते हैं।
सर्वपितृ अमावस्या पर क्या करना चाहिए
शास्त्रों के अनुसार पीपल के पेड़ की पूजा करने से हमारे पितृ प्रसन्न रहते हैं।
इस दिन दूध, काले तिल,पानी, शहद और जौ को एक स्टील के लोटे में डाल दें।
इसके बाद कोई भी सफेद रंग की मिठाई लें,एक नारियल, कुछ सिक्के और एक जनेऊ लेकर पीपल के पेड़ के नीचे जाकर जड़ में डाल दें। इसके साथ थी स्टील के लोटे में डाली हुई सारी सामग्री भी पेड़ की जड़ में अर्पित कर दें।
अब इस मंत्र का जाप भी करें - ॐ सर्व पितृ देवताभ्यो नमः
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