माटी से जुड़ाव
एक राजा बहुत ही महत्त्वाकांक्षी था और उसे महल बनाने की बड़ी महत्त्वाकांक्षा रहती थी उसने अनेक महलों का निर्माण करवाया! रानी उनकी इस इच्छा से बड़ी व्यथित रहती थी की पता नहीं क्या करेंगे इतने महल बनवाकर!
श्रीराम शर्मा आचार्य |
एक दिन राजा नदी के उस पार एक महात्मा जी के आश्रम के वहां से गुजर रहे थे तो वहां एक संत की समाधि थी और सैनिकों से राजा को सूचना मिली की संत के पास कोई अनमोल खजाना था और उसकी सूचना उन्होंने किसी को न दी पर अंतिम समय में उसकी जानकारी एक पत्थर पर खुदवाकर अपने साथ जमीन में गड़वा दिया और कहा की जिसे भी वो खजाना चाहिए उसे अपने हाथों से अकेले ही इस समाधि से चौरासी हाथ नीचे सूचना पड़ी है निकाल ले और ध्यान रखे उसे बिना कुछ खाए-पिए खोदना है और बिना किसी की सहायता के खोदना है अन्यथा सारी मेहनत व्यर्थ चली जाएगी! राजा अगले दिन अकेले ही आया और अपने हाथों से खोदने लगा और बड़ी मेहनत के बाद उसे वो शिलालेख मिला और उन शब्दों को जब राजा ने पढ़ा तो उसके होश उड़ गए और सारी अकल ठिकाने आ गई! उस पर लिखा था हे?
राहगीर संसार के सबसे भूखे प्राणी शायद तुम ही हो और आज मुझे तुम्हारी इस दशा पर बड़ी हंसी आ रही है तुम कितने भी महल बना लो पर तुम्हारा अंतिम महल यही है एक दिन तुम्हें इसी मिट्टी में मिलना है! सावधान राहगीर, जब तक तुम मिट्टी के ऊपर हो तब तक आगे की यात्रा के लिए तुम कुछ जतन कर लेना क्योंकि जब मिट्टी तुम्हारे ऊपर आएगी तो फिर तुम कुछ भी न कर पाओगे यदि तुमने आगे की यात्रा के लिए कुछ जतन न किया तो ध्यान रखना की जैसे ये चौरासी हाथ का कुआं तुमने अकेले खोदा है बस वैसे ही आगे की चौरासी लाख योनियों में तुम्हें अकेले ही भटकना है। और हे?
राहगीर ये कभी न भूलना की ‘मुझे भी एक दिन इसी मिट्टी में मिलना है’ फिर राजा जैसै-तैसे कर के उस कुएं से बाहर आया पर उस शिलालेख के उन शब्दों ने उसे झकझोर के रख दिया और सारे महल जनता को दे दिए और ‘अंतिम घर’ की तैयारियों में जुट गया! हमें एक बात हमेशा याद रखना की इस मिट्टी ने जब रावण जैसै सत्ताधारियों को नहीं बख्शा तो फिर साधारण मानव क्या चीज है इसलिये ये हमेशा याद रखना की मुझे भी एक दिन इसी मिट्टी में मिलना है क्योंकि ये मिट्टी किसी को नहीं छोड़ने वाली है!
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