ईर्ष्या
जब तक आप भीतर से अधूरापन महसूस करते रहेंगे, तब तक किसी इंसान के पास आपके अनुसार अपने से थोड़ा सा भी ज्यादा दिखने पर जलन महसूस होगी।
![]() जग्गी वासुदेव |
जब आप बहुत ख़्ाुश होते हैं, तब क्या आपके भीतर कोई जलन होती है? नहीं। जब आप नाखुश होते हैं, तभी आपके भीतर ईर्ष्या जन्म लेती है। आप ईर्ष्या की चिंता मत कीजिए। अगर जीवन के हर पल में, आपके भीतर की ऊर्जा परम आनंद से भरी है, तो जलन कैसे टिक सकती है? जलन से लड़ने से बेहतर होगा कि अपने जीवन के अनुभव को संपूर्ण बना लीजिए। किसी चीज को छोड़ने से आजादी नहीं मिलेगी, क्योंकि छोड़ने के लिए है ही क्या? इस समय, आपके भीतर कोई ईर्ष्या नहीं है।
यह आपके स्वभाव का अंग नहीं है। आप इसे समय-समय पर पैदा करते हैं। अगर आपने इसे इसलिए पैदा किया होता कि आप ऐसा करना चाहते थे, तो यह आपके लिए आनंददायक होता। अगर आपको गुस्से, जलन और नफरत से खुशी होती है तो उसे पैदा कीजिए। पर ऐसा नहीं है, वे आपके लिए खुशी देने वाले अनुभव नहीं हैं। तो आपने उन्हें क्यों रचा है? आपने उन्हें रचा है क्योंकि आपके भीतर जरूरी जागरूकता की कमी है। अगर आप सही मायने में मुक्त होना चाहते हैं, तो आपको समझना चाहिए कि बंधन कहां है? आपने किस चीज से अपनी पहचान जोड़ रखी है।
जिस क्षण आप किसी पहचान से जुड़ेंगे, इस अस्तित्व से आपका टकराव होने लगेगा। यह सारा आध्यात्मिक सिलसिला इसलिए ही बना है कि आप अपनी पहचान को तोड़ सकें, ताकि आपका अस्तित्व से कोई टकराव न रहे। अगर आप अपने भयानक पहलुओं को खाद की तरह इस्तेमाल में ला सकें, तो आपके जो खूबसूरत पहलू हैं, वे खिल सकते हैं। यह ‘भयानक’ क्या है और इसका मतलब क्या है?
जब आप किसी इंसान को बहुत ज्यादा पक्षपाती, ईर्ष्यालु, गुस्सैल, नफरत से भरा और भयभीत पाते हैं तो यही वो भयंकर रूप हैं जो इनसान ले सकता है। इन दिनों लोग आर्गेनिक सब्जियों की बात करने लगे हैं। इसका मतलब है कि आपको ऐसी सब्जी पसंद है, जिसे थैले में बंद रासायनिक उर्वरक नहीं, बल्कि मल और कचरे की खाद दी गई है। आप समझते हैं कि इस तरह की खाद से बेहतरीन फल, फूल और सब्जी पैदा कर सकते हैं यह सबसे बढ़िया खाद है।
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