नीलामी से हटा लेंगे गांधी की वस्तुयें
Last Updated 03 Mar 2009 09:45:51 AM IST
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न्यूयार्क। महात्मा गांधी का चश्मा सहित उनकी व्यक्तिगत वस्तुओं के मालिक जेम्स ओटिस ने कहा कि वह भारत सरकार के साथ वित्तीय समाधान के लिये तैयार है और वह नीलामी से उन वस्तुओं को हटा लेंगे।
उसने कहा लेकिन अगर ‘भारत' सरकार ने गरीबों के लिये कुछ बडी योजनाओं की घोषणा की अथवा सकल घरेलू उत्पाद के पांच प्रतिशत आवंटित किया तो मैं इन वस्तुओं को दान में दे दूंगा। ओटिस ने खुद को गांधी जी का बडा प्रशंसक बताते हुए कहा कि नीलामी से मिली राशि का अधिकांश भाग वह अच्छे काम के लिये खासकर अहिंसा के गांधी जी के संदेश को फैलाने के लिये काम करने वाले संस्थान अथवा संगठन की मदद के लिये दान में दे देंगे।
उन्होंने कहा कि नीलाम की जा रही पांच वस्तुओं में उन्होंने दो वस्तुयें और शामिल की हैं। इसमें दिल्ली में तत्कालीन इर्विन अस्पताल की ब्लड रिपोर्ट तथा एक उनका हस्ताक्षरित वह टेलीग्राम है जो उन्होंने अहिंसा संग्राम कर रहे छात्रों को भेजा था। उन्होंने लेकिन ब्लड रिपोर्ट और टेलीग्राम की तारीख नहीं बतायी।
उन्होंने कहा कि वह पहले ही उन्हें एन्टीकोरम आक्शनीयर्स को भेज चुके हैं और जो प्रतियां उनके पास हैं उनमें तिथि स्पष्ट नहीं है।
इससे पहले नीलामी घर के एक प्रवक्ता ने कहा था कि गांधी जी की वस्तुओं की नीलामी बृहस्पतिवार को होगी।
क्या वह इस आखरी चरण में वस्तुयें हटा लेंगे इस पर जेम्स ने कहा कि उनका नीलामीघर से अनुबंध है लेकिन उनके सरकार तथा नीलामीघर तीनों के बीच कोई व्यवस्था हो सकती है।
उन्होंने माना कि समय कम है लेकिन कहा कि टेलीफोन पर बातचीत से व्यवस्था हो सकती है। यह कठिन नहीं होना चाहिये।
जेम्स ने कहा कि वह गांधी जी के पोते तुशार अरूण गांधी को इस आशय का ई-मेल भेज चुके हैं।
जेम्स ने कहा कि गांधी जी की अहिंसा से प्रभावित होकर उसने ये वस्तुयें गांधी जी के परिवार तथा डीलरों सहित अन्य सोतों से हासिल किये। उन्होंने कहा कि वह इन वस्तुओं की नीलामी इसलिये कर रहे हैं कि अहिंसा का संदेश दुनिया से साझा किया जा सके।
जेम्स ने कहा कि वह पिछले 15 साल से वस्तुओं का संग्रह कर रहे थे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात से काफी दुख हुआ कि वस्तुओं की नीलामी के उनके निर्णय से इस कदर नाराजगी उभर कर सामने आयी है।
क्या उन्होंने भारत सरकार अथवा किसी संग्रहालय को इन वस्तुओं को बेचने की कोशिश की थी इस पर उन्होंने कहा मैं हमेशा गांधीजी के विचारों एवं कार्यों का संवर्द्धन चाहता रहा हूं।
उन्होंने कहा कि उन्होंने इन वस्तुओं को संग्रहालयों और विश्वविद्यालयों में प्रदर्शित किया जहां छात्रों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली लेकिन वह दुनियाभर में यह काम नहीं कर सके जो हो सकता है इनको खरीदने वाला कर सकेगा।
क्यों इस वक्त वह नीलामी करने को प्रेरित हुए इस सवाल पर उन्होंने कहा वह अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा की गयी गांधी जी तथा मार्टिन लूथर किंग की सराहना तथा अपनी खुद की धारणा से प्रेरित हुए कि गांधी के शब्द आज अधिक प्रासंगिक हैं।
जेम्स ने कहा कि नीलामी से एकत्रित अधिकांश धन का इस्तेमाल अहिंसा के मकसद खासकर विकासशील देशों में इस मकसद के लिये करेंगे जहां लोग तानाशाही और कुशासन से लड रहे हैं और उन संस्थाओं को देंगे जो अहिंसा को बढावा देते हैं।
लेकिन अगर भारत सरकार भारत में सबसे गरीब लोगों के लिये सकल घरेलू उत्पाद का पांच प्रतिशत देने पर विचार करती है तो मैं इन वस्तुओं को भारत सरकार को दान देने पर विचार करूंगा।
जेम्स ने कहा गांधी जी की वस्तुयें अमूल्य हैं और जो कोई भी उन्हें खरीदेगा वह उस महान व्यक्ति के प्रति अपने प्रेम का इजहार करेगा।
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