अर्थव्यवस्था : राजस्व बढ़ने का गणित
वस्तु व सेवाकर (जीएसटी) परिषद ने पुराने और इस्तेमाल किए गए वाहनों, जिनमें इलेक्ट्रिक वाहन भी शामिल हैं कि बिक्री के लाभ मार्जिन पर जीएसटी दर को बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर दिया है।
अर्थव्यवस्था : राजस्व बढ़ने का गणित |
जीएसटी परिषद के इस ऐलान के बाद इसकी वसूली को लेकर आमजन में ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है। लोग उलझन में है, क्या उन्हें अपनी पुरानी गाड़ी को बेचने पर 18 प्रतिशत की दर से जीएसटी देना होगा या यह कर सिर्फ पंजीकृत वाहन विक्रेता या डीलर के लाभ मार्जिन पर आरोपित किया जाएगा?
बता दें कि सिर्फ पंजीकृत वाहन विक्रेता अपने लाभ मार्जिन पर जीएसटी का भुगतान करेगा। अगर कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को या किसी वाहन डीलर को अपनी पुरानी या इस्तेमाल की हुई गाड़ी बेचता है तो उस पर उसे कोई जीएसटी नहीं देना होगा। इसे एक उदाहरण से समझा जा सकता है। यदि कोई व्यक्ति 15 लाख रु पए में एक कार खरीदता है और 3 वर्षो तक उसका इस्तेमाल करता है, फिर उसे किसी व्यक्ति को 10 लाख रु पए में बेच देता है तो उसे बिक्री मूल्य पर कोई जीएसटी नहीं देना होगा।
इसी तरह, अगर कोई व्यक्ति अपनी पुरानी और इस्तेमाल की गई गाड़ी को किसी पंजीकृत वाहन विक्रेता को समान कीमत पर बेचता है तो भी उसे बिक्री की राशि पर कोई जीएसटी नहीं देना होगी। जब डीलर उसी कार को किसी ग्राहक को 11 लाख रुपए में बेचता है तो उस डीलर को 1 लाख रु पए का लाभ होता है, जिसे यहां मार्जिन की संज्ञा दी गई है पर 18 प्रतिशत जीएसटी यानी 18,000 रु पए का भुगतान कर के रूप में करना होगा। यह कर पंजीकृत वाहन विक्रेता को इसलिए देना होगा, क्योंकि उसने यह लाभ अपने कारोबार के जरिये अर्जित किया है।
इस क्रम में यदि पंजीकृत वाहन विक्रेता आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 32 केतहत बिक्री किए गए वाहन पर मूल्य ह्रास का दावा करता है तो भी उसे जीएसटी लाभ मार्जिनपरदेना होगा। यहां मार्जिन का अर्थ हुआ (विक्रय मूल्य-मूल्य ह्रास के बाद की शेष कीमत)। यदि यह मार्जिन नकारात्मक होगी तो डीलर को कोई जीएसटी नहीं देना होगा, लेकिन अगर यह सकारात्मक होगी तो उसे विक्रय मूल्य और खरीद मूल्य के बीच के अंतर यानी मार्जिन पर जीएसटी देना होगा। इसे एक उदाहरण से समझा जा सकता है। किसी वाहन की कीमत 20 लाख रुपए है और विक्रेता उसमें 9 लाख रुपए के मूल्य ह्रास का दावा करता है और वाहन बेचने की कीमत 10 लाख रुपए निर्धारित करता है।
ऐसे में वाहन का विक्रय मूल्य, जो 10 लाख रूपये है से मूल्य ह्रास के बाद की कीमत, जो 11 लाख रुपए है से घटाने पर नकारात्मक मार्जिन निकलता है, इसलिए उसपर कोई जीएसटी नहीं देना होगा, लेकिन यदि वाहन को 10 लाख रुपए की जगह 12 लाख रुपए में बेचा जाएगा तो 1 लाख रुपए का सकारात्मक मार्जिन निकलेगा और 18 प्रतिशत की दर से उस पर वाहन डीलर को 18,000 रुपए जीएसटी के रूप में सरकार को भुगतान करना होगा।
मार्जिन पर कर लगाना कोई नई बात नहीं है। यूपीए के कार्यकाल के दौरान भी पुरानी या इस्तेमाल की गई गाड़ियों की खरीद-फरोख्त के क्रम में मार्जिन पर कर की वसूली की जाती थी, जिसे ‘सर्विस टैक्स या सेवा कर’ के नाम से जाना जाता था। उल्लेखनीय है कि इस कर की वसूली 2017 तक की गई है। जीएसटी परिषद के इस ताजा फैसले से पहले, 1200 सीसी या उससे ज्यादा इंजन क्षमता वाले पुराने वाहनों, जो पेट्रोल, एलपीजी या सीएनजी से चलते थे और 1500 सीसी या उससे ज्यादा सीसी वाले इंजन के डीजल वाहन पर वर्ष 2018 से 18 प्रतिशत की दर से जीएसटी की वसूली की जा रही है।
इतना ही नहीं, पुराने इलेक्ट्रिक वाहनों पर भी 12 प्रतिशत की दर जीएसटी की वसूली की जा रही है। अस्तु, जीएसटी परिषद के ताजा फैसले पर कोई हाय-तौबा मचाने की जरूरत नहीं है। सकारात्मक तरीके से बात करें तो सरकार ने अपने इस पहल के माध्यम से सभी पुराने वाहनों, जिनमें इलेक्ट्रिक वाहन भी शामिल हैं की खरीद-फरोख्त पर जीएसटी की वसूली में एकरूपता लाने का काम किया है, जिसे सरकार की सराहनीय और प्रशंसनीय पहल कहा जा सकता है। भारत में पुरानी कारों का बाजार लगातार बढ़ रहा है। जाहिर है, बाजार में विस्तार होने से सरकार के राजस्व में भी इजाफा होगा।
दास वेल्ट ऑटो और कार एंड बाइक की इंडियन ब्लू बुक 2023 रिपोर्ट केअनुसार, भारत में पुरानी कारों का बाजार वित्त वर्ष 2022-23 में 31.33 अरब अमेरिकी डॉलर का था, जिसके वित्त वर्ष 2027-28 तक 70.48 अरब अमेरिकी डॉलर तक बढ़ने का अनुमान है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वित्त वर्ष 2017 और वित्त वर्ष 2022 के दौरान पुराने वाहन बाजार की औसत वृद्धि दर 6 प्रतिशत रही थी, लेकिन वित्त वर्ष 2023 और वित्त वर्ष 2028 की अवधि में बाजार में 16 प्रतिशत की दर से वृद्धि होने का अनुमान है। तुलनात्मक दृष्टि से देखें तो इस अवधि के दौरान नई कार बाजार में महज 1 प्रतिशत से 6 प्रतिशत की दर से वृद्धि होने का अनुमान है।
आज के युवा अपनी जिंदगी को शानदार तरीके से जीना चाहते हैं। पहले लोग 20 साल या 25 साल की नौकरी करने के बाद अधेड़ावस्था में कार खरीदते थे, लेकिन अब नौकरी मिलते ही लोन से ही सही, लेकिन युवा तुरंत कार एवं मकान खरीद रहे हैं। पैसे कम होने पर युवा पुराने वाहन खरीदने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं। ऐसे में पुराने वाहन के बाजार के विस्तार की अपार संभावनाएं हैं, जिसकी अनदेखी सरकार कतई नहीं कर सकती है। कहा जा सकता है कि सभी तरह के पुरानी और इस्तेमाल की गई वाहनों के दोबारा या तीसरी बार बेचने पर लाभ मार्जिन पर 18 प्रतिशत की दर से जीएसटीकी वसूली करने पर सरकार के राजस्व में इजाफा होगा।
पुनश्च: जीएसटी परिषद के इस निर्णय से आम आदमी पर कोई कर का बोझ नहीं पड़ेगा। यह भी यहां पर कहना समीचीन होगा कि पुराने या इस्तेमाल किये गए वाहनों पर पहले से ही जीएसटी या दूसरे नाम से कर की वसूली की जा रही थी। देखा जाए तो सरकार के ताजा पहल से कर में एकरूपता आई है। ऐसे में कहना होगा कि राजस्व में वृद्धि होने से सरकार विकासात्मक कार्य पर खर्च करने में समर्थ हो सकेगी, जिसका फायदा अंत में आम जनता को ही मिलेगा।
(लेख में विचार निजी हैं)
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