आंतरिक सुरक्षा : ड्रग्स का धंधा बड़ा संकट
वर्तमान दौर में मादक पदाथरे की तस्करी से माफिया, आतंकवादी संगठन और तस्कर गुट अपना व्यापक जाल फैलाते जा रहे हैं। इनके घातक कारनामों से परिवार, समाज, राज्य और देश बड़े संकट में घिरता जा रहा है।
आंतरिक सुरक्षा : ड्रग्स का धंधा बड़ा संकट |
युवाओं को नशे की लत से बचाने के लिए ड्रग्स के धंधे के विरुद्ध विशेष अभियान पर बल देने की सामयिक आवश्यकता है। भारत में निरंतर नशीले पदाथरे की आवक जिस तरह से बढ़ती जा रही है, वह गंभीर चुनौती और चिंता की बात है।
युवाओं को नशे की लत से बचाने के लिए ड्रग्स व्यापार के विरुद्ध भारत का जोरदार अभियान जारी है। इसी के तहत भारतीय नौ सेना ने अरब सागर में श्रीलंका की नौ सेना के साथ मिल कर संचालित संयुक्त अभियान में लगभग 500 किलोग्राम ड्रग्स पकड़ी। अभियान विगत 24-25 नवम्बर को चलाया गया जिसमें श्रीलंका के ध्वज वाली दो नौकाओं से ड्रग्स पकड़ा गया। एक दूसरे अभियान के तहत भारतीय तटरक्षक बल (कोस्टगार्ड) द्वारा अंडमान एवं निकोबार द्वीप के पास 6000 किग्रा. प्रतिबंधित मेथमफेटामाइन ले जा रहे जलयान को जब्त कर लिया गया।
जलयान से म्यांमार के छह नागरिकों को भी गिरफ्तार किया गया। यह मादक पदार्थ दो-दो किग्रा. भार वाले 3000 पैकेट में पैक पाया गया जिसकी कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में करोड़ों रुपये में आंकी गई। उल्लेखनीय है कि इसी 14 नवम्बर को नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी), नौ सेना तथा गुजरात के एंटी टेररिज्म सक्वायड (एटीएस) द्वारा संयुक्त अभियान में गुजरात के निकट अंतरराष्ट्रीय समुद्री क्षेत्र से 700 किग्रा. मेथमफेटामाइन जब्त करके आठ ईरानी नागरिकों को गिरफ्तार किया गया। उसी दिन दिल्ली में भी 900 करोड़ रुपये कीमत वाली करीब 82.53 किग्रा. कोकीन पकड़ी गई।
इस समय समुद्री मार्ग से ड्रग्स तस्करी का धंधा जोरों से जारी है। यह भारत ही नहीं, बल्कि विव्यापी संकट बनता जा रहा है। यही कारण है कि भारतीय नौ सेना, एनसीबी तथा डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलीजेंस (डीआरआई) समेत अनेक एजेंसियां मिल कर इस व्यापार के विरुद्ध अनवरत अभियान चला रही हैं। इसी वर्ष अक्टूबर माह में भारत में अनेक मादक पदाथरे की खेप पकड़ी गई जिनमें गुजरात के अंकलेर में अधिकारियों ने एक दवा कंपनी से 5000 करोड़ रुपये मूल्य की 518 किग्रा. कोकीन जब्त की थी, जिसमें अंतरराष्ट्रीय तस्करी समूह का हिस्सा होने का अनुमान लगाया गया। इसी प्रकार दिल्ली के महिपालपुर में छापामारी करके 562 किग्रा. कोकीन और 40 किग्रा. हाइड्रोपोनिक मारिजुआना पकड़ा गया जिसकी कीमत 5620 करोड़ रुपये अनुमानित है। इसी माह दिल्ली के रमेश नगर में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने नमकीन के पैकेटों में छिपा कर रखी गई 200 किग्रा. कोकीन बरामद की जिसकी कीमत 2000 करोड़ रुपये से अधिक थी।
पारगमन केंद्र से आपूर्तिकर्ता और उपभोक्ता तक भारत अब नशीली दवाओं की तस्करी और लत के बढ़ते संकट का सामना कर रहा है। कहावत है कि नशा नाश की जड़ है। नशे के चक्रव्यूह में फंस चुका पंजाब तबाही की ओर होने के कारण ‘उड़ता पंजाब’ के नाम से संबोधित किया गया। पंजाब की सीमा से सटा हरियाणा भी अब मादक पदाथरे के तस्करों के निशाने पर है। शायद ही कोई दिन हो जब नशे की अधिकता से युवाओं की आकस्मिक मौत की खबर की सुर्खियों में नजर न आए। नशा तस्करों पर लगाम लगाना समय की मांग है। मादक पदाथरे के विरुद्ध अभियान में अनेक एजेंसियों के अलावा आम नागरिक को भी सक्रिय भूमिका निभाने की जरूरत है।
मादक पदाथरे का धंधा करने वाले न सिर्फ कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं, बल्कि राज्य, देश और मानवता के साथ सामाजिक, अन्याय और नैतिक संकट भी पैदा कर रहे हैं। इसी दिसम्बर में तमिल अभिनेता मंसूर अली खान के बेटे अली खान तुगलक को मादक पदार्थ तस्करी के मामले में गिरफ्तार किया गया। ड्रग्स ट्रायल के दौरान पूणो पुलिस की क्राइम ब्रांच को एक गुप्त मादक तस्करी की जानकारी मिली जिसमें सेक्स वर्करों का इस्तेमाल साइकोट्रोपिक पदार्थ बेचने के लिए किया गया। इसमें सम्मिलित दो तस्करों को इस अभियान के तहत पकड़ा गया। एनसीबी ने राजस्थान के जोधपुर में गांजा के एक प्रमुख ड्रग तस्कर के रूप में काम करने वाले और कॉलेज के छात्रों को निशाना बनाने वाले को गिरफ्तार किया। वस्तुस्थिति यह है कि हाल के वर्षो में समुद्री मागरे के माध्यम से मादक पदाथरे की तस्करी में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। संयुक्त राष्ट्र संघ की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि पूर्वी और दक्षिण पूर्व एशिया में मेथामफेटामाइन की जब्ती वर्ष 2023 में 190 टन के रिकार्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई।
यद्यपि इस समय भारतीय एजेंसियां मादक पदाथरे को तस्करों के विरुद्ध जोरदार अभियान चलाए हुए हैं। इससे यह भी संकेत मिलता है कि दुनिया भर के ड्रग तस्कर भारत को मादक पदाथरे की अपनी आपूर्ति का बड़ा आधार बना रहे हैं अथवा मादक सामग्री को यहां एकत्रित करके अन्य देशों में भेजने का आसान तरीका मान रहे हैं। वास्तव में मादक पदाथरे की आपूर्ति अथवा आधार केंद्र भारत को बनाया जाना चुनौती एवं चिंता का विषय बन गया है। नशाखोरी पर न केवल नकेल कसनी होगी, बल्कि नशा तस्करी को भी जड़मूल से उखाड़ फेंकने की आवश्यकता है।
आज स्थिति इतनी भयावह एवं व्यापक हो गई है कि देश के प्रत्येक राज्य, जिला, तहसील, कस्बा, गांव तक नशे का कारोबार किसी भी रूप में देखा जा सकता है। नशे के विविध रूपों में अफीम, गांजा, हैरोइन, भुक्की या बोड़ी, चरस, भांग, तंबाकू, शराब, मार्फिन, स्मैक, कोकीन, मेपरिडोन, मेथाडोन, आइस (एम एनीफेटामाइन) तथा मारिजुआना का प्रचलन फैशन-सा बन गया है। बड़े-बड़े फार्म हाउसों तथा पर्यटन केंद्रों में होने वाली रेव पार्टियों में मादक पदाथरे का सेवन शायद एडवांस होने का फैशन-सा माना जाने लगा है। इसके पीछे सोच यह भी है कि इनके सेवन से व्यक्ति को चिंता, तनाव, भय और परेशानी से मुक्ति मिल जाती है। भौतिकता और भाग-दौड़ की जिंदगी में मादक पदार्थ बड़ी राहत का कार्य करते हैं, किंतु इसके परिणामों के बारे में इनका सेवन करने वाले सोच तक नहीं पाते हैं, जिनसे घातक और विनाशक स्थिति पनपती हैं।
(लेख में व्यक्त विचार निजी हैं)
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