रेलवे और गतिशक्ति : मूर्त होती अजेय साझेदारी

Last Updated 23 Nov 2024 01:50:04 PM IST

भारतीय रेल और पीएम गतिशक्ति-नेशनल मास्टर प्लान (पीएमजीएस-एनएमपी) के बीच साझेदारी भारत के बुनियादी ढांचे के विकास में मांग के अनुरूप परिवर्तनकारी (गेमचेंजर) भूमिका निभा रही है।


इस एकीकृत दृष्टिकोण ने बुनियादी ढांचे से जुड़े मंत्रालयों और रेलवे जोन के बीच समन्वय को उल्लेखनीय तरीके से बेहतर बनाया है, जिससे परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान करने में तेजी आई है। इस पहल ने परियोजनाओं  के सर्वेक्षण को मंजूरी देने में आम तौर पर लगने वाले 4-5 महीनों के समय को घटा कर सात दिन कर दिया है। इससे पूरे रेलवे नेटवर्क की दक्षता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 2022-23 के दौरान कुल 458 परियोजनाओं के सर्वेक्षणों को मंजूरी दी गई जबकि पहले यह संख्या लगभग 50 थी। जहां रेलवे ने ऐतिहासिक रूप से अन्य सरकारी एजेंसियों के साथ समन्वय किया है, वहीं पीएमजीएस के माध्यम से उन्नत डिजिटल प्लेटफार्मो एवं वास्तविक समय में निगरानी का लाभ उठाते हुए परिवहन के विभिन्न साधनों के एकीकरण ने देश के बुनियादी ढांचे के इकोसिस्टम में क्रांति ला दी है।

पीएमजीएस का सबसे व्यापक प्रभाव विभागीय अवरोधों को तोड़ना है। परंपरागत रूप से सात अलग-अलग विभाग रेलवे के बुनियादी ढांचे के विकास से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर स्वतंत्र रूप से काम करते हैं। परिणामस्वरूप अनावश्यक देरी और अक्षमताएं पैदा होती हैं। अंतरविभागीय संवाद को बढ़ावा देने और डिजिटल प्लेटफार्मो का लाभ उठाने से परियोजनाओं को मंजूरी प्रदान करने में तेजी आई है और नौकरशाही से जुड़ी अनावश्यक बाधाएं समाप्त हो गई हैं।

पीएमजीएस के कार्यान्वयन से योजना निर्माण में काफी सुधार आया है। गतिशक्ति के आने से पहले जहां प्रत्येक वर्ष 6-7 परियोजनाएं ही स्वीकृत होती थीं, वहीं वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान 73 परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं। इस एक वित्तीय वर्ष में सर्वाधिक रिकॉर्ड हैं। कुल 5,309 किमी. नई लाइन, दोहरीकरण और गेज परिवर्तन की परियोजनाओं के पूरा होने के साथ परियोजनाओं के अंतिम रूप से कार्यान्वित होने का रिकॉर्ड भी काफी ऊपर पर पहुंच गया। रेल विद्युतीकरण 7,188 रूट किमी. (आरकेएम) के सार्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया है और ट्रैक कमीशनिंग की गति 4 किमी. प्रति दिन से बढ़कर 15 किमी. प्रति दिन हो गई है। प्रभावी रूप से पीएमजीएस-एनएमपी कहां, क्या और कब की विस्तृत मैपिंग के माध्यम से बुनियादी ढांचे की भविष्योन्मुखी योजनाएं बना रहा है। इसमें सामाजिक-आर्थिक बुनियादी ढांचे, ट्रंक एवं उपयोगिता नेटवर्क, मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी, पर्यटन स्थल, भूमि राजस्व मानचित्र और वन सीमाओं से जुड़े सटीक एवं व्यापक आंकड़ों का समावेश है। ये जानकारियां परियोजनाओं के योजना निर्माण और कार्यान्वयन की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं।

सभी परियोजनाओं की जांच (एनपीजी) नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप द्वारा की जाती है, जिसमें अतिरेक और निर्माण के बाद केबल/पाइप बिछाने के लिए नई बनी सड़कों को तोड़ने जैसी स्थितियों से बचते हुए समन्वित योजना निर्माण हेतु बुनियादी ढांचे से संबंधित सभी मंत्रालय शामिल हैं। उदाहरण के लिए हाउसिंग सोसाईटियां अब निवासियों के आने से पहले सीवेज, बिजली तथा अन्य सुविधाओं से लैस होंगी और कार्रवाई के लिए शिकायतों के आने का इंतजार नहीं किया जाएगा। मांगों के बढ़ने से पहले ही विस्तारित हो रहे उपनगरों के पास स्थित गोदामों को समय पर सड़क कनेक्टिविटी मिलेगी और विस्तार के दौर से गुजर रहे बंदरगाहों को पर्याप्त रेलवे निकासी और मल्टीमॉडल लिंक का लाभ मिलेगा।

योजना निर्माण की इस कुशल क्षमता को भास्कराचार्य नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस एप्लिकेशन एंड जियो-इंफॉर्मेटिक्स (बीआईएसएजी-एन) द्वारा समर्थित किया गया है, जिसने पीएमजीएस-एनएमपी को विकसित करने में महती भूमिका निभाई है। गतिशक्ति की सफलता का महत्त्वपूर्ण पहलू बुनियादी ढांचे की उन प्रमुख परियोजनाओं को प्राथमिकता देने में निहित है, जिनका कनेक्टिविटी, दक्षता और लॉजिस्टिक्स को बेहतर बनाने पर अधिकतम प्रभाव पड़ेगा। रेलवे अब शुरु आती और अंतिम छोर तक की कनेक्टिविटी के लिए आर्थिक केंद्र, खदानें, बिजली संयंत्र और लॉजिस्टिक्स हब जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों की पहचान कर सकता है और मांग से पहले माल ढुलाई गलियारे एवं बंदरगाह कनेक्टिविटी परियोजनाओं की योजना बना सकता है। भारत में आर्थिक विकास को गति देने तथा व्यापार करना और अधिक आसान बनाने की क्षमता के आधार पर इस बुनियादी ढांचे को प्राथमिकता दी गई है।

कुल 16 रेलवे जोन के सभी 68 मंडलों के बीच बेहतर सहयोग के माध्यम से होने वाला सुधार स्पष्ट दिखाई देता है। गतिशक्ति के आने से पहले प्रत्येक रेलवे जोन व विभाग एक हद तक अलग-थलग रूप से संचालित होते थे। इससे देरी, अक्षमताएं और समन्वय की कमी की समस्याएं पैदा होती थीं। पीएमजीएस-एनएमपी के माध्यम से डिजिटल इंटरफेस की शुरुआत ने क्रॉस-जोन सहयोग का एक एकीकृत मंच प्रदान किया, जिससे समस्याओं का त्वरित समाधान और परियोजनाओं का सुचारु कार्यान्वनका संभव हुआ। हालांकि मैं पीएमजीएस और भारतीय रेलवे, दोनों को सचेत करना चाहूंगा। जहां सचिन और सौरव ने क्रिकेट के मैदान पर उत्कृष्ट प्रदर्शन किया, वहीं राजनीतिक क्षेत्र में उन्हें चुनौतियों का सामना करना पड़ा। वैसे ही, पीएमजीएस की शक्ति और रेलवे के दृढ़ संकल्प को वैसी राजनीतिक परियोजनाओं से कमजोर नहीं पड़ने दिया जाना चाहिए जिनमें दीर्घकालिक लाभ का अभाव हो क्योंकि भारत जल्द ही अपनी आजादी के सौ वर्ष पूरा करने वाला है।

(लेखक इंफ्रा रेलवे बोर्ड के पूर्व सदस्य हैं। विचार निजी हैं)

ए.के. खंडेलवाल


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