मुसलमानों को डर दिखाकर कांग्रेस इस देश में कई दशक तक शासन सत्ता में रही। मुसलमान आजादी के बाद भी कई दशकों तक हाशिये पर रहा, लेकिन कभी भी उसे मुख्यधारा में शामिल नहीं होने दिया गया।
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वजह सिर्फ एक थी मुसलमान को भय दिखा कर उसे अपना वोट बैंक बनाए रखना। मोदी राज में अब पुरानी धारणाएं पूरी तरह बदल गई हैं। जब देश के प्रधानमंत्री 140 करोड़ भारतीयों की बात करते हैं तो मुसलमान भी उनकी नीतियों में, उनके विकसित भारत के विजन में शामिल होता है।
हमारे प्रधानमंत्री कहते हैं कि हम एक हैं, तो सेफ हैं तो देश के मुसलमान को डरने की जरूरत नहीं। क्योंकि यह नारा किसी एक समुदाय के लिए नहीं है, बल्कि उन सभी देशवासियों के लिए जिन्हें यहां की विविधता में एकता की संस्कृति पर गर्व है। प्रधानमंत्री मोदी ने किसी योजना में ऐसा नहीं किया कि कोई ख़्ाुद को अलग महसूस करे। जहां तक विपक्ष की बात है तो उनके लिए यही कहा जा सकता है जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी। उनको सब कुछ नकारात्मक ही दिखता है। सैकड़ों कल्याणकारी योजनाओं के केंद्र में सबका साथ, सबका विकास मूलमंत्र सर्वोपरि रहा यानी योजनाओं को किसी खांचे में नहीं बांटा गया और इनका लाभ सभी जरूरतमंद लोगों को मिला।
मुझे यह कहने में भी कोई संकोच नहीं कि इन योजनाओं का सबसे बड़ा लाभ देश की अल्पसंख्यक आबादी खास तौर पर मुसलमानों को मिला है। प्रधानमंत्री आवास योजना हो, मुफ्त राशन योजना हो, आयुष्मान स्कीम हो या अन्य कोई कल्याणकारी कार्यक्रम। लिस्ट उठा कर देख लीजिए कहीं कोई भेदभाव नहीं मिलेगा। लाभार्थियों में मुसलमान बड़ी संख्या में शामिल हैं। सच्चर कमेटी की सिफारिशों में देश के मुसलमान की बदहाली बयान की गई थी। कहना चाहूंगी कि यह रिपोर्ट कांग्रेस की विफलताओं का दस्तावेज भी था। क्योंकि मुसलमान सबसे ज्यादा बदहाल हुआ तो कांग्रेस के कई दशकों के कुशासन और राजनीतिक हथकंडे की वजह से हुआ। कांग्रेस ने मुसलमानों को हाशिये पर रख कर उन्हें केवल वोट बैंक समझा। सच्चर रिपोर्ट कांग्रेस सरकारों के ही अधिसंख्य कार्यकाल पर आधारित थी। वे रिपोर्ट बनवाते रहे, अपनी ही विफलताओं को दिखा कर मुसलमानों को डराते रहे लेकिन उनकी भलाई के लिए कुछ नहीं किया, लेकिन आज मैं फख्र फक्र के साथ कह सकती हूं कि हालात तेजी से बदल रहे हैं। अब मुसलमान तुष्टिकरण अस्वीकार्य है और संतुष्टिकरण सबकी भागीदारी का मूलमंत्र है। कांग्रेस के मुस्लिम आरक्षण के कर्नाटक मॉडल की हकीकत मुसलमान समझ रहा है। धर्म के आधार पर आरक्षण का कोई आधार नहीं है। दुर्भाग्य से कांग्रेस और विपक्ष के पास इस तरह के राजनीतिक झुनझुनों के अलावा कोई और विजन नहीं है। कांग्रेस कर्नाटक में सरकारी पब्लिक टेंडर में 4 फीसद आरक्षण का सब्जबाग दिखा रही है और इसके उलट मोदी सरकार और भाजपा शासित राज्य सरकारें मुसलमान को जनकल्याणकारी कार्यक्रमों के माध्यम से समृद्धि का रास्ता दिखा रही हैं। पिछले दस वर्षो में मोदी प्रशासन के दौरान किए गए कई प्रयासों से अल्पसंख्यक समुदायों को लाभ हुआ है। अनुच्छेद 370 के खत्म होने से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख, दोनों में अल्पसंख्यकों को समान अधिकार दिए गए हैं। पीएम ने सिखों के धर्म का अहम प्रतीक करतारपुर कॉरिडोर राष्ट्र को समर्पित किया। सभी हज प्रक्रियाएं कंप्यूटरीकृत हो गई हैं, जिससे ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है।
हम नहीं भूल सकते कि पीएम मोदी जब सऊदी प्रिंस से मिले तो उन्होंने हज कोटा बढ़ाने का अनुरोध किया। यह दर्शाता है कि उनके लिए मुसलमान अल्पसंख्यक राजनीतिक हथियार नहीं है बल्कि उन्हें 140 करोड़ भारतीयों की समान चिंता है। रिकॉर्ड 2 लाख भारतीय मुसलमानों, जिनमें 48% महिलाएं थीं, ने 2019 में हज यात्रा की। इसके अलावा, मोदी प्रशासन ने कई शहरों में ‘हुनर हाट’ शुरू किए जिससे हजारों अल्पसंख्यक समुदाय के कारीगरों, शिल्पकारों और पारंपरिक रसोइयों को मदद मिली। वक्फ संपत्तियों का उचित उपयोग और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए वक्फ लीजिंग नियमों और वक्फ संपत्तियों की जीआई मैपिंग में सकारात्मक सुधार किए गए। वक्फ संशोधन का मकसद भी यही है । लेकिन दुर्भाग्य से कुछ लोगों को यह रास नहीं आ रहा। वे मुसलमान को बंधुआ बना कर रखना चाहते हैं। उसे लगातार गुमराह करने का अभियान चलाया जा रहा है।
मोदी सरकार ‘सबका साथ-सबका विकास’ कर रही है और इसका लक्ष्य राष्ट्रीय एकता को बनाए रखते हुए विकसित भारत का सफर तय करना है। 2009-14 तक यूपीए के कार्यकाल के दौरान अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को मात्र 11,208.20 करोड़ आवंटित किए गए थे, जबकि 2014 में कार्यभार संभालने वाली एनडीए सरकार ने 2019 तक इस आवंटन को बढ़ा कर 17,715 करोड़ रुपये कर दिया जो यूपीए की तुलना में 58% की सराहनीय वृद्धि है। इसके अलावा, 2023 तक यह आवंटन बढ़कर ?18,539.16 करोड़ हो गया है, जो यूपीए सरकार की तुलना में 65.4% की महत्वपूर्ण वृद्धि है। आज का भारत तुष्टिकरण नहीं एक भारत श्रेष्ठ भारत की कल्पना के साथ सबके विकास की अवधारणा वाला देश है।
(लेख में व्यक्त विचार निजी हैं)
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