जनजातीय : आर्थिक विकास योजनाओं का क्रियान्वयन
जनजाति समाज कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए देश में दूरदराज इलाकों के सघन जंगलों के बीच रहता है। यह समाज सुदूर इलाकों में रहता है अत: देश के आर्थिक विकास का लाभ इसे कम ही मिल पाता है।
जनजातीय : आर्थिक विकास योजनाओं का क्रियान्वयन |
इसलिए केंद्र एवं कई राज्य सरकारों ने विशेष रूप से जनजाति समाज के लिए कई योजनाएं प्रारंभ की हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार देश में अनुसूचित जनजातियों की जनसंख्या 10.43 करोड़ है, जो भारत की कुल जनसंख्या का 8.6 प्रतिशत है। जनजाति समाज के लिए केंद्र की विभिन्न योजनाएं दो प्रकार से चलाई जा रही हैं। कई योजनाओं का सीधा लाभ जनजाति समाज को प्रदान किया जाता है। कुछ योजनाओं के अंतर्गत राज्य सरकारों को विशेष केंद्रीय सहायता एवं अनुदान प्रदान किया जाता है, और इन योजनाओं को राज्य सरकारों द्वारा क्रियान्वित किया जाता है।
मध्य प्रदेश भारत के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में गिना जाता है एवं मध्य प्रदेश में विविध, समृद्ध एवं गौरवशाली जनजातीय विरासत है, जिसका न केवल संरक्षण एवं संवर्धन किया जा रहा है, अपितु जनजातीय क्षेत्रों के समग्र विकास के लिए अनेक कार्य भी किए जा रहे हैं। मध्य प्रदेश में भारत की जनजातीय जनसंख्या की 14.64% जनसंख्या निवास करती है। भारत में 10 करोड़ 45 लाख जनजाति जनसंख्या है, वहीं मध्य प्रदेश में 1 करोड़ 53 लाख जनजाति जनसंख्या है। भारत की कुल जनसंख्या में जनजातीय जनसंख्या का प्रतिशत 8.63 है और मध्य प्रदेश में कुल जनसंख्या में जनजाति जनसंख्या का प्रतिशत 21.09 है।
मध्य प्रदेश में जनजाति उपयोजना क्षेत्रफल, कुल क्षेत्रफल का 30.19% है। प्रदेश में 26 वृहद, 5 मध्यम एवं 6 लघु जनजाति विकास परियोजनाएं संचालित हैं तथा 30 माडा पॉकेट हैं। मध्य प्रदेश में 52 जिलों में 21 आदिवासी जिले हैं, जिनमें 6 पूर्ण रूप से जनजाति बहुल जिले तथा 15 आंशिक जनजाति बहुल जिले हैं। मध्य प्रदेश में 89 जनजाति विकास खंड हैं। मध्य प्रदेश के 15 जिलों में विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा, भारिया एवं सहरिया के 11 विशेष पिछड़ी जाति समूह अभिकरण संचालित हैं।
मध्य प्रदेश सरकार जनजातियों के सामाजिक-आर्थिक और शैक्षणिक विकास के साथ ही उनके स्वास्थ्य एवं जनजाति बहुल क्षेत्रों के विकास के लिए विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं संचालित कर रही है-1) मप्र. के विशेष पिछड़ी जनजाति बहुल 15 जिलों में आहार अनुदान योजना संचालित की जा रही है, 2) आकांक्षा योजना के अंतर्गत अनुसूचित जनजाति वर्ग के 11वीं एवं 12वीं कक्षा के प्रतिभावान विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे जेईई, नीट, क्लेट की तैयारी के लिए नि:शुल्क कोचिंग एवं छात्रावास की सुविधा प्रदान की जाती है, 3) प्रतिभा योजना के अंतर्गत जनजाति वर्ग के विद्यार्थियों को उच्च शासकीय शैक्षिक संस्थाओं में प्रवेश के लिए प्रोत्साहन दिया जाता है, 4) आईआईटी, एम्स, क्लेट तथा एनडीए की परीक्षा उत्तीर्ण कर उच्च शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश पर 50 हजार रुपये की राशि तथा अन्य परीक्षाओं जेईई, नीट, एनआईआईटी, एफडीडीआई, एनआईएफटी, आईएचएम के माध्यम से प्रवेश लेने पर 25 हजार रुपये की राशि प्रदान की जाती रही है, 5) महाविद्यालय में अध्ययन करने वाले अनुसूचित जनजाति के जो विद्यार्थी गृह नगर से बाहर अन्य शहरों में अध्ययन कर रहे हैं, उन्हें वहां आवास के लिए संभाग स्तर पर 2000, जिला स्तर पर 1250 तथा विकास खंड एवं तहसील स्तर पर 1000 रुपये प्रति माह की वित्तीय सहायता, आवास सहायता योजना के अंतर्गत प्रदान की जाती रही है, 6) अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों को विदेश स्थित उच्च शैक्षणिक संस्थानों में अध्ययन के लिए भी प्रदान की जाती है, 7) अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों के शैक्षणिक विकास के लिए प्रदेश के 89 जनजाति विकास खंडों में प्राथमिक शालाओं से लेकर उच्चतर माध्यमिक स्तर की शालाएं संचालित की जा रही हैं, जिनमें विद्यार्थियों को प्री-मैट्रिक तथा पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति दी जा रही है, 8) अनुसूचित जनजाति के ऐसे विद्यार्थियों, जो सिविल सेवा परीक्षा में निजी संस्थाओं द्वारा कोचिंग प्राप्त कर रहे हैं, को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाती है। 9) मध्य प्रदेश में जनजातीय लोक कलाकृतियों एवं उत्पादों को लोकप्रिय करने तथा उनसे जनजाति वर्ग को लाभ दिलाए जाने के उद्देश्य से उनकी जीआई टैगिंग कराई जा रही है।
केंद्र सरकार एवं विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा जनजाति समाज के लाभार्थ अन्य कई प्रकार की विशेष योजनाएं सफलतापूर्वक चलाई जा रही हैं ताकि जनजाति समाज की कठिन जीवन शैली को कुछ आसान बनाया जा सके एवं जनजाति समाज को देश की मुख्यधारा में शामिल किया जा सके।
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