भुलाए नहीं भूलेगा भारत न्यूजीलैंड से हार
मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम पर तीसरा टेस्ट हारते ही भारत की उम्मीदों को ऐसा झटका लगा है, जिसका दर्द सालों साल महसूस होता रहेगा।
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भारत की इस हार से न्यूजीलैंड पहली बार अपने घर से बाहर तीन टेस्ट की सीरीज में क्लीन स्वीप करने में सफल हुई है। भारत का भी घर में सीरीज में सफाया पहली बार हुआ है। भारत इससे पहले 2012-13 में एलिस्टेयर कुक की अगुआई वाली इंग्लैंड टीम से घर में सीरीज हारी थी। इसके बाद से भारत ने लगातार 18 सीरीज जीतकर घर में अजेय योद्धा वाली छवि बना ली थी। पर टॉम लेथम की अगुआई वाली न्यूजीलैंड टीम ने भारत से सीरीज ही नहीं जीती बल्कि उन्हें एकदम से बौना बनाकर रख दिया। लेथम की टीम ने सीरीज जीतने का गौरव तो एक हफ्ते पहले ही पा लिया था। अब तो उसने सीरीज में क्लीन स्वीप करके केक पर आइसिंग लगाने का काम भर किया है।
भारत की इस सीरीज में हुई थुक्का-फजीहत के कई कारण हैं। इन कारणों में प्रमुख रूप से गलत फैसले, विराट और रोहित जैसे दिग्गजों का फॉर्म में नहीं होना प्रमुख हैं। भारत के टी-20 विश्व कप जीतने और इस सीरीज के बीच करीब एक माह का समय था। इसलिए मुख्य चयनकर्ता चाहते थे कि प्रमुख खिलाड़ी मैच अभ्यास करने के लिए दलीप ट्रॉफी के कुछ मैच सीनियर खिलाड़ी खेलें। पर इस प्रस्ताव को टीम के सीनियर खिलाड़ियों ने सिरे से खारिज कर दिया। उनका मानना था कि घरेलू क्रिकेट में खेलने से उन्हें किसी तरह की प्रेरणा नहीं मिलती है। वे यदि दलीप ट्रॉफी में खेले होते तो बेहतर तैयारी के साथ इस सीरीज में उतर सकते थे। भारतीय टीम से जुड़े सीनियर खिलाड़ियों ने शुरुआत में घरेलू मैचों में खेलने की बात मान ली थी।
पर बाद में खेलने से इनकार कर दिया आर वह इस तरह लाल गेंद के किसी खास अभ्यास के बिना बांग्लादेश और न्यूजीलैंड के खिलाफ पांच टेस्ट में खेलने पर सहमति जता दी। हम अच्छे से जानते हैं कि भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ घर में सीरीज हारने के बाद अगले 12 सालों में भारत द्वारा जीतीं ज्यादातर सीरीजों के जीतने में कप्तान रोहित शर्मा और विरोट कोहली के प्रदर्शनों की भूमिका अहम रही है। पर इस सीरीज के दौरान दोनों खिलाड़ी जरा भी रंगत में नहीं दिखे। विराट ने अपनी आखिरी 10 टेस्ट पारियों में सिर्फ 192 रन बनाए हैं। वहीं कप्तान रोहित शर्मा इतनी पारियों में 133 रन ही बना सके हैं। रोहित शर्मा यहां पेस गेंदबाजी का भरोसे से सामना नहीं कर पा रहे हैं तो विराट कोहली स्पिन गेंदबाजी, खासतौर से लेफ्ट ऑर्म स्पिनरों का सामना करने में असहज हो गए हैं। अब सवाल यह है कि क्या इन दोनों के विकल्प तलाशने का समय आ गया है। अब यह जोड़ी अगले ऑस्ट्रेलिया दौरे के पांच टेस्ट मैचों में भी प्रदर्शन सुधार नहीं पाती है, तो फिर इन दोनों को बाहर करने की मांग जोर पकड़ सकती है। रोहित शर्मा बल्ले से तो फ्लॉप रहे और उन्होंने कप्तान के तौर पर भी कई खराब फैसले लेकर सीरीज में भारत की स्थिति दयनीय बनाने में अहम भूमिका निभाई।
बेंगलुरू में खेले गए पहले टेस्ट में आसमान में छाए बादलों के बीच टॉस जीतकर बल्लेबाजी करने के फैसले की वजह से टीम को 46 रनों के शर्मनाक स्कोर पर आउट होना पड़ा। इस टेस्ट में भारत ने दूसरी पारी में पंत और सरफराज की 177 रनों की साझेदारी से स्थिति संभाल दी थी। पर बाद के बल्लेबाजों के ताश के पत्तों की तरह ढहने से भारत को हार झेलनी पड़ी। इस हार के बाद पुणोऔर मुंबई में पहले दिन से टर्न लेने वाली विकेट बनवाने के गलत फैसले ने सीरीज में सफाया कराने में अहम भूमिका निभाई। भारतीय टीम मैनेजमेंट इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि हमारे प्रमुख बल्लेबाजों को टर्निग विकेट पर खेलने में दिक्कत होती है। पर फिर भी आखिरी दो टेस्ट में इस तरह की विकेट बनवाने के पीछे का उद्देश्य समझ से परे है। सही मायनों में घर में स्पिन विकेट पर भारतीय बल्लेबाजों की कमजोरी 2023 से ही उजागर हो गई थी।
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज में भारत टर्निग विकेट पर नई दिल्ली में तो किसी तरह जीत गया था। पर इंदौर में उसकी पोल खुल गई थी। ऑस्ट्रेलिया इस सीरीज में 1-2 से हारा सिर्फ अपनी खराब बल्लेबाजी की वजह से अन्यथा उसके गेंदबाजों ने भारतीय बल्लेबाजों के नकेल डाले रखी थी। इस सीरीज में भी स्पिन के मददगार विकेट पर खेलते समय भारतीय बल्लेबाज तकनीकी रूप से कमजोर नजर आए। भारतीय टीम के मुंबई टेस्ट में 147 रनों का लक्ष्य नहीं प्राप्त कर पाने में न्यूजीलैंड के गेंदबाज लेफ्ट ऑर्म स्पिनर एजाज पटेल की भूमिका अहम रही। दिलचस्प बात यह है कि इस टेस्ट में 11 विकेट लेने वाले इस गेंदबाज का जन्म मुंबई में ही हुआ है। यह उनकी गेंदबाजी का ही कमाल था कि भारत ने एक समय 29 रन पर पांच विकेट खो दिए थे। वह तो भला हो ऋषभ पंत का जो उन्होंने अपनी बेहतरीन बल्लेबाजी से भारत को एक समय जीत का दावेदार बना दिया था। पर वह विवादास्पद कैच की वजह से आाउट हो गए और भारत की उम्मीदें भी टूट गई।
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