वित्तीय अनुमान : भारत का आर्थिक विकास गतिमान

Last Updated 02 Oct 2024 01:21:44 PM IST

आज जब विश्व में कई विकसित एवं विकासशील देशों की अर्थव्यवस्थाओं में भिन्न प्रकार की आर्थिक समस्याएं दिखाई दे रही हैं, लेकिन वैश्विक स्तर पर कई प्रकार की विपरीत परिस्थितियों के बीच भी भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व में सबसे तेज गति से आगे बढ़ती अर्थव्यवस्था बनी हुई है।


वित्तीय अनुमान : भारत का आर्थिक विकास गतिमान

कई विदेशी एवं निवेश संस्थान भारत के सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि के संबंध में अपने पूर्वानुमानों में संशोधन कर रहे हैं।

विशेष रूप से कोरोना महामारी के पश्चात भारत ने आर्थिक विकास के क्षेत्र में तेज रफ्तार पकड़ ली है। भारत में आर्थिक क्षेत्र में सुधार कार्यक्रमों को लागू किया गया है। स्टैंर्डड एवं पूअर (एसएंडपी) नामक विविख्यात क्रेडिट रेटिंग संस्थान ने हाल में अपने एक प्रतिवेदन में बताया है कि भारत कैलेंडर वर्ष 2024 में एवं इसके बाद के वर्षो में 6.7 प्रतिशत की आर्थिक विकास दर के साथ 2031 तक विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा तथा भारतीय अर्थव्यवस्था का वैश्विक अर्थव्यवस्था में योगदान वर्तमान के 3.6 से बढ़कर 4.5 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच जाएगा। भारत में प्रति व्यक्ति आय भी बढ़कर उच्च मध्यम आय समूह की श्रेणी की हो जाएगी।

भारत के सकल घरेलू उत्पाद का आकार भी वर्तमान के 3.92 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 7 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर का हो जाएगा। हालांकि एसएंडपी ने भारत में आर्थिक विकास दर के 6.7 प्रतिशत प्रति वर्ष बढ़ने का अनुमान लगाया है जबकि वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत की आर्थिक विकास दर के 7.3 प्रतिशत के अनुमान के विरुद्ध 8.2 प्रतिशत की रही है। भारत सरकारी क्षेत्र के साथ ही निजी क्षेत्र भी पूंजीगत खर्च बढ़ाने पर ध्यान देता दिखाई दे रहा है। इससे आगे आने वाले समय में केंद्र सरकार पर पूंजीगत खचरे में वृद्धि करने संबंधी दबाव कम होगा और केंद्र सरकार का बजटीय घाटा और अधिक तेजी से कम होगा जिससे अंतत: विदेशी निवेशक भारत में अपना निवेश बढ़ाने के लिए आकर्षित होंगे।

इसी प्रकार, विश्व बैंक एवं अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी 2024, 2025 एवं 2026 में भारत के आर्थिक विकास संबंधी अपने अनुमानों को बढ़ाया है। विश्व बैंक का तो यह भी कहना है कि भारत ने कैलेंडर वर्ष 2023 में विश्व के आर्थिक विकास में 16 प्रतिशत का योगदान दिया और इस प्रकार भारत अब विश्व में आर्थिक विकास के इंजिन के रूप में कार्य करता हुआ दिखाई दे रहा है।

भारत ने  2023 में 7.2 प्रतिशत की आर्थिक विकास दर हासिल की थी, जो विश्व की अन्य उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं द्वारा इसी अवधि में हासिल की गई विकास दर से दुगुनी थी। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भारत की आर्थिक विकास दर के  2024 के अपने पूर्व अनुमान 6.7 प्रतिशत की विकास दर को बढ़ा कर 7 प्रतिशत कर दिया है। ओईसीडी देशों के समूह ने भी 2024 एवं 2025 में वैश्विक स्तर पर आर्थिक प्रगति के अनुमान जारी किए हैं। इन अनुमानों के अनुसार, वैश्विक स्तर पर 2024 एवं 2025 में सकल घरेलू उत्पाद में 3.2 प्रतिशत की वृद्धि हासिल की जा सकेगी।

वहीं भारत की आर्थिक विकास दर 2024 के 6.7 प्रतिशत से बढ़कर  2025 में 6.8 प्रतिशत रहने की संभावना व्यक्त की गई है। चीन की आर्थिक विकास दर 2024 में 4.9 प्रतिशत से घट कर 2025 में 4.5 रहने की संभावना है। इसी प्रकार रूस एवं अमेरिका की आर्थिक विकास दर भी 2024 में क्रमश: 3.7 प्रतिशत एवं 2.6 प्रतिशत से घट कर 2025 में क्रमश: 1.1 प्रतिशत एवं 1.6 प्रतिशत रहने की संभावना व्यक्त की गई है। कुल मिलाकर आज विश्व के लगभग समस्त वित्तीय एवं निवेश संस्थान आने वाले वर्षो में भारत की आर्थिक विकास दर बढ़ने के अनुमान लगा रहे हैं।     

वैश्विक स्तर पर वित्तीय संस्थानों द्वारा भारत के आर्थिक विकास दर के संबंध में लगाए जा रहे अनुमानों के अनुसार यदि भारत आने वाले वर्षो में प्रति वर्ष 6.7 प्रतिशत की आर्थिक विकास दर हासिल करता है तो भारत 2031 तक विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। इसके ठीक विपरीत भारत ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में 8.2 प्रतिशत की आर्थिक विकास दर हासिल की थी एवं भारतीय रिजर्व बैंक के अनुमान के अनुसार भारत वित्तीय वर्ष 2024-25 में 7 प्रतिशत से अधिक की आर्थिक विकास दर हासिल करेगा, इस प्रकार तो भारत 2031 के पूर्व ही विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।

विश्व बैंक की आर्थिक संभावना रिपोर्ट 2024 ने वैश्विक अर्थव्यवस्था के बारे में तार्किक आशावादी दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है। 2024 में वैश्विकअर्थव्यवस्था में स्थिरता के संकेत जरूर दिए हैं परंतु कोविड महामारी से पहले के विकास के स्तरों की तुलना में वैश्विक स्तर पर विकास अभी भी धीमा बना हुआ है। वैश्विक स्तर पर मौजूदा चुनौतियों से निपटने के लिए सभी देशों को मिल कर प्रभावी उपाय करने होंगे। यहां भारत की ‘वसुधैव कुटुंबकम’ एवं ‘सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय’ जैसी भावनाओं के साथ, वैश्विक स्तर पर आर्थिक विकास के लिए, यदि सभी देश मिल कर आगे बढ़ते हैं, तो भारत के साथ-साथ पूरे विश्व में भी खुशहाली लाई जा सकती है।

प्रह्लाद सबनानी


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