हिज्बुल्लाह : ये जंग नहीं आसान

Last Updated 28 Sep 2024 01:28:58 PM IST

पश्चिमी एशिया का संकट एक जटिल और दीर्घकालिक समस्या है, जो युद्ध भी भयावहता की आशंका को निरंतर बनाए रखती है।


हिज्बुल्लाह : ये जंग नहीं आसान

इसके केंद्र में इस्रइल और फिलिस्तीनियों के बीच भूमि के अधिकार और स्वायत्तता के विवाद की खास भूमिका है और इस्लामिक दुनिया के नेतृत्व की लड़ाई ने इसे खतरनाक बना दिया है। पश्चिमी एशिया में सांस्कृतिक विविधता से समृद्ध देश लेबनान, शिया सशस्त्र संगठन हिज्बुल्लाह के शिकंजे में है, और इसकी आक्रामकता के कारण यह गाजा के बाद अब इस्रइल का नया युद्ध का मैदान है।

लेबनान की सीमा उत्तर में सीरिया और दक्षिण में इस्रइल से लगती है। पश्चिम में भूमध्य सागर है। लेबनान में रहने वाले धार्मिंक समूहों में सुन्नी, शिया और ईसाई शामिल हैं।  शिया समूहों पर ईरान का गहरा प्रभाव है, और हिज्बुल्लाह, सीरिया और अन्य समूहों के साथ उसकी साझेदारी क्षेत्रीय स्थिरता को प्रभावित करती है। लेबनान की भौगोलिक और सांस्कृतिक विविधता इसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्र बनाती है लेकिन ईरान की आर्थिक और सैन्य सहायता से शिया समूह हिज्बुल्लाह, देश की राजनीति और समाज पर हावी है तथा यह इस देश की समस्या का मुख्य कारण माना जाता है। उत्तरी इस्रइल की सीमा लेबनान के साथ मिलती है, जहां हिज्बुल्लाह की गतिविधियों के कारण सुरक्षा संबंधी चिंताएं बनी रहती हैं। इस्रइल के लिए यह क्षेत्र सामरिक रूप से महत्त्वपूर्ण है।

यहीं पर गोलान हाइट्स है, जिस पर इस्रइल ने 1967 के युद्ध में कब्जा किया था। यहां से सीरिया के कुछ हिस्से और लेबनान दिखाई देते हैं। पहाड़ी और घाटियों से भरा गैलील क्षेत्र, इस्रइल का तीसरा सबसे बड़ा शहर, बंदरगाह और औद्योगिक केंद्र हैफा है।  लेबनान की सीमा से लगे इस्रइल के इन इलाकों को हिज्बुल्लाह निशाना बनाता रहता है। इन क्षेत्रों में हिज्बुल्लाह की गतिविधियों को खत्म करने के लिए इस्रइल ने युद्ध का सहारा लिया और इससे पश्चिम एशिया में किसी बड़े युद्ध का खतरा बढ़ गया है। इस्रइल के हमले आम तौर पर लेबनान के दक्षिणी हिस्से और विशेषकर उन क्षेत्रों पर केंद्रित होते हैं, जहां हिज्बुल्लाह की मौजूदगी होती है।

इन इलाकों में हिज्बुल्लाह का गढ़ दक्षिणी लेबनान लेबनान, लेबनान और इस्रइल के बीच स्थित शिबा फार्म्स जैसे कुछ और इलाके भी हैं, जहां इस्रइल ने सीमा पर ड्रोन और हवाई हमले भी किए हैं। लेबनान के कुछ गुटों से इस्रइल के संघर्ष पिछले पांच दशकों से हो रहे हैं, लेकिन इस बार यह संकट ज्यादा बड़ा है। हिज्बुल्लाह को ईरान ने अत्याधुनिक हथियारों से लैस कर रखा है। हिज्बुल्लाह के पास छोटे और मध्यम दूरी के राकेट हैं, जिनका इस्तेमाल वे इस्रइल के खिलाफ कर सकते हैं। इनमें कात्यूशा और फज्जर जैसे रॉकेट शामिल हैं। संगठन के पास तोपखाने के हथियार भी हैं, जिनका उपयोग जमीनी लड़ाई में किया जा सकता है। हिज्बुल्लाह के पास एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइलें हैं, जिनसे वे इस्रइल के विमानों को लक्षित कर सकते हैं। हिज्बुल्लाह के पास संचार और निगरानी के लिए उन्नत तकनीकी उपकरण भी हैं, जो उन्हें युद्ध के दौरान लाभ प्रदान करते हैं। ये हथियार हिज्बुल्लाह को इस्रइल के खिलाफ अपनी सैन्य क्षमता बढ़ाने में मदद करते हैं।  

इस्रइल अपनी उत्तरी सीमा को सुरक्षित करने के लिए दक्षिण लेबनान में जमीनी हमला करने की योजना बना रहा है, उसका यह कदम खतरनाक हो सकता है। हिज्बुल्लाह ने शिया समुदाय में शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सेवाओं के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण कार्य किए हैं। यह स्थानीय स्तर पर अपनी सेवाओं के लिए लोकप्रियता हासिल कर चुका है। हिज्बुल्लाह और अन्य लेबनानी समूहों का मजबूत प्रतिरोध इस्रइली बलों के लिए गंभीर चुनौती साबित हो सकता है। स्थानीय नागरिकों का समर्थन भी उन्हें ताकत दे सकता है।

जमीनी हमले से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नकारात्मक प्रतिक्रिया हो सकती है, जिससे इस्रइल की अंतरराष्ट्रीय स्थिति प्रभावित हो सकती है। कई देश इसे मानवाधिकारों का उल्लंघन मान सकते हैं। संघर्ष के दौरान नागरिकों की हताहत होने की आशंका बढ़ जाती है, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जनहित में नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। लेबनान में जमीनी संघर्ष से पूरे क्षेत्र में अस्थिरता बढ़ सकती है, जो अन्य देशों को भी प्रभावित कर सकती है। यदि संघर्ष बढ़ता है, तो यह एक दीर्घकालिक सैन्य अभियान में बदल सकता है जिससे इस्रइल को अधिक संसाधनों और सैनिकों की आवश्यकता हो सकती है।

इन चुनौतियों के कारण इस्रइल को जमीनी हमले के निर्णय पर सोच-समझ कर विचार करना होगा। हमास से हिज्बुल्लाह ज्यादा खतरनाक और संगठित है। हिज्बुल्लाह अक्सर गुरिल्ला युद्ध की रणनीति अपनाता है, जिसमें छोटे, त्वरित हमले किए जाते हैं। हमले अचानक होते हैं, और विरोधियों को असामान्य स्थानों से निशाना बनाते हैं। हिज्बुल्लाह का एक प्रमुख हमला राकेट और मिसाइलों का इस्तेमाल करना है। यह इस्रइल के भीतर बड़े शहरों और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाता है।

हिज्बुल्लाह कभी-कभी जमीनी हमलों का सहारा भी लेता है, जिसमें वे इस्रइली सैनिकों के ठिकानों पर हमला करते हैं खासकर दक्षिणी लेबनान में। संगठन ने कुछ मामलों में आत्मघाती हमलों का भी सहारा लिया है जहां सदस्य खुद को विस्फोटकों के साथ लक्षित स्थान पर ले जाकर हमला करते हैं। हिज्बुल्लाह अपने हथियारों और सैनिकों को सुरक्षित ठिकानों और सुरंगों में छुपाता है, जिससे उन्हें दुश्मन के हमलों से बचने में मदद मिलती। हिज्बुल्लाह ने दक्षिण लेबनान के इलाकों में सुरंगों का व्यापक जाल बिछा रखा है। इन क्षेत्रों में इस्रइल की सेना को जमीनी हमला करने पर भारी नुकसान होता है।

हमलों की योजना बनाने और हमलों को प्रभावी बनाने के लिए विस्तृत इंटेलिजेंस का उपयोग किया जाता है, जिसमें स्थानीय नेटवर्क और सामुदायिक सहायता शामिल होती है। ईरान हिज्बुल्लाह को समर्थन देता है, और यदि वह लेबनान में सक्रिय रूप से शामिल होता है तो यह इस्रइल के साथ संघर्ष को और भड़का सकता है। ईरान का सीधे तौर पर शामिल होना सऊदी अरब और अन्य खाड़ी देशों के साथ क्षेत्रीय तनाव को बढ़ा सकता है। ईरान का सैन्य हस्तक्षेप संघर्ष को दीर्घकालिक बना सकता है जिससे शांति स्थापित करना और भी कठिन हो जाता है। लेबनान में युद्ध बढ़ने से क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता को खतरा हो सकता है। इसे हर हाल में रोका जाना चाहिए।
(लेखक के निजी विचार हैं)

डॉ. ब्रह्मदीप अलूने


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