शतरंज में महाशक्ति हैं हम
भारत अथक प्रयासों के बाद विश्व शतरंज में महाशक्ति के तौर पर उभरने में सफल रहा है। भारत ने 1956 में शतरंज ओलंपियाड में भाग लेने की शुरुआत की।
शतरंज : महाशक्ति हैं हम |
इन सालों में तमाम हताशा भरे पलों से गुजरने के बाद वह पहली बार 2014 में कांस्य पदअक जीतने में सफल रहा। पुरुषों के पदचिन्हों पर चलते हुए महिला टीम भी 2022 में कांस्य पदक जीतने में सफल हो गई और उनके साथ पुरुष टीम भी कांस्य पदक जीतने में कामयाब हुई। पर अब बुडापेस्ट शतरंज ओलंपियाड में भारत ने दोनों वगरे के स्वर्ण पदक जीत कर इतिहास रच दिया है।
भारत की शतरंज की सफलताओं में अभी एक अध्याय और जुड़ना बाकी है। डी गुकेश सबसे कम उम्र में कैंडीडेट चैंपियन बन गए हैं। अब उन्हें 20 नवम्बर से 15 दिसम्बर तक विश्व चैंपियनशिप मैच में चीन के डिंग लिरेन को चुनौती देनी है। कामयाब हो जाते हैं तो आनंद के बाद यह उपलब्धि पाने वाले दूसरे भारतीय होंगे। अगर हम दोनों खिलाड़ियों के पिछले प्रदर्शनों को देखें तो गुकेश चैंपियन बनने के दावेदार हैं। लिरेन पिछले काफी समय से क्लासिकल शतरंज नहीं खेली है, और फीडे की लाइव रेटिंग में 21वें स्थान पर पिछड़ गए हैं। गुकेश शानदार प्रदर्शन से पांचवीं रैंकिंग पर हैं और 2800 ईएलओ रेटिंग तक पहुंचने के करीब हैं।
भारतीय टीम के दबदबे की कहानी इस बात से भी दिखती है कि वह 32 सालों में सबसे बड़े अंतर से विजेता बनने वाली टीम है। भारतीय दबदबा इस बात से भी दिखता है कि उन्होंने 11 राउंड में खेलीं 44 बाजियों में से सिर्फ एक हारी और 27 जीतीं, बाकी बाजियां ड्रा रहीं। उन्होंने आखिरी राउंड में स्लोवेनिया को 3.5-0.5 अंकों से विजय पाकर खिताब पर कब्जा जमाया।
महिला टीम ने आखिरी राउंड में अजरबेजान को फतह करके अपने की विजयी रेखा के पार पहुंचाया। भारत के लिए पुरुष वर्ग में गुकेश और अजरुन एरिगेसी, महिला वर्ग में दिव्या देशमुख और वंतिका अग्रवाल ने व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीते। अजरुन भारत के नंबर एक खिलाड़ी हैं पर भारत ने उन्हें तीसरे बोर्ड पर खिलाने की रणनीति बनाई जो कारगर साबित हुई। वह 10 में से नौ बाजियां जीत कर स्वर्ण पदक जीतने में कामयाब हुए। गुकेश ने पहले बोर्ड पर खेल कर दस में से आठ बाजियां जीतीं और वह भी स्वर्ण पदक जीतने में सफल रहे। महिला वर्ग में 18 वर्षीय दिव्या देशमुख और 21 वर्षीय वंतिका अग्रवाल ने व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीत कर भारत को खिताब जिताने में अहम भूमिका निभाई। दिव्या ने 11 में से आठ बाजियां और वंतिका ने नौ में से छह बाजियां जीतीं।
दोनों खिलाड़ी अजेय रहीं क्योंकि इनकी बाजी बाजियां ड्रा रहीं। अजरुन को तीसरे बोर्ड पर खिलाने का फायदा यह मिला कि उन्हें हर राउंड में विपक्षी टीम के तीसरे सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी का सामना करना पड़ा। इससे उन्हें 11 राउंड में 10 बाजियां जीतने में सफलता मिली और इससे वह तीसरे बोर्ड का व्यक्तिगत स्वर्ण जीतने में सफल रहे। पर गुकेश टॉप बोर्ड पर खेले और उन्होंने सभी टीमों के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों का सामना करके 10 में से नौ बाजियां जीत कर व्यक्तिगत स्वर्ण जीता है। वह इस ओलंपियाड के एकलौते खिलाड़ी हैं, जिन्हें प्रदर्शन रेटिंग 3056 मिली है, और वह 3000 की संख्या को पार करने वाले इकलौते खिलाड़ी हैं। भारत के लिए 1998-2022 में शतरंज ओलंपियाड में सबसे ज्यादा 113 बाजियां खेलने वाले के शशिकिरण ने कहा, ‘मुझे खुशी है कि भारत ने मेरे जीवनकाल में ही स्वर्ण पदक जीत लिया।
यह टीम बहुत खास है, क्योंकि पहला मौका है, जब भारतीय टीम के सभी खिलाड़ी ईएलओ रेटिंग में 2700 से ऊपर वाले हैं।’ वह इस बात से इत्तिफाक नहीं रखते कि वह इस टीम की जीत का आधार बनाने वाले हैं। वह कहते हैं, आधार बनाने वाले विनाथन आनंद हैं और मैंने आनंद और युवा खिलाड़ियों के बीच ब्रिज बनाने का काम किया है।’ वह भारतीय युवाओं से 2026 से अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद कर रहे थे पर इन युवाओं से समय से पहले ही डंका बजा दिया है। इस सफलता के अलावा भी भारतीय खिलाड़ियों ने साल 2024 में अपना झंडा बुलंद रखा है। भारत के तीन खिलाड़ियों ने कैंडीडेट टूर्नामेंट में भाग लिया और गुकेश मात्र 17 साल की उम्र में इसे जीतने में सफल रहे। इस समय फीडे की लाइव रेटिंग में भारत के दो खिलाड़ी र्टाप पांच में शामिल हैं।
अजरुन 1797.2 अंकों से तीसरे और डी गुकेश 2794 अंकों से पांचवें स्थान पर हैं। दोनों 2800 ईएलओ रेटिंग के पार जाने के करीब हैं। इससे पहले सिर्फ आनंद ही ऐसा कर सके हैं। भारतीय महिला टीम सातवें राउंड की समाप्ति पर बढ़त बनाए हुई थी। लेकिन वह आठवें राउंड में पोलैंड से हार गई और अगले राउंड में अमेरिका ने उसे ड्रा पर रोक दिया। भारत को चैंपियन बनने के लिए आखिरी राउंड में अजरबेजान पर जीत जरूरी थी। भारत ने बाजी जीतने के साथ स्वर्ण पदक जीतना पक्का कर दिया।
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