सेंसेक्स में उछाल : सतर्क रहें निवेशक

Last Updated 10 Jul 2024 01:08:27 PM IST

बीएसई सेंसेक्स पहली बार पिछले सप्ताह 80,000 के पार पहुंचा, 5,000 अंकों की बढ़त में मात्र 57 दिन लगे। 1990 से शुरू हुए सेंसेक्स में तीसरी बार इतनी बड़ी बढ़त हुई है जिसे लेकर जहां शेयर धारकों में उल्लास का वातावरण है वहीं सेबी के लिए बड़ी जिम्मेदारी की बात कही जा रही है।


सेंसेक्स में उछाल : सतर्क रहें निवेशक

इस वर्ष सेंसेक्स में अब तक 10% की तेजी हो चुकी है, 29 कंपनियों का मार्केट कैप 1 लाख करोड़ रु पये के ऊपर चला गया है। देश में अब कुल 1 लाख करोड़ रु पये से अधिक मार्केट कैप वाली 101 कंपनियां हैं, 2023 में इनकी संख्या 74 थी।

सेंसेक्स में इतनी बड़ी तेजी को लेकर मुख्य न्यायाधीश माननीय चंद्रचूड़ ने कहा है कि ऐसी घटनाएं नियामक प्राधिकरणों के लिए यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल देती हैं  कि जीत के जश्न के बीच हर कोई अपना संतुलन और धैर्य बनाए रखे। बाजार नियामकों -सेबी (भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड) एवं सैट (प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण) को सतर्क रहने की आवश्यकता है ताकि इनकी नींव की  स्थिरता सुनिश्चित की जा सके। विगत वर्षो में शेयर बाजार में लेन-देन में भारी बढ़त होने के कारण सेबी और सैट, दोनों के कार्यभार बढ़े हैं। साथ ही साथ जिम्मेदारियां भी। सैट के और नये पीठ खोलने की आवश्यकता पर भी उन्होंने बल दिया। निवेश के लिए स्थिर और विसनीय माहौल राष्ट्रीय महत्त्व का विषय है। जब निवेशक आस्त महसूस करते हैं कि उनका निवेश कानून द्वारा संरक्षित है, और विवादों के समाधान के लिए प्रभावी तंत्र है, तो पूंजी बाजार में निवेश की अधिक संभावना होती है जो इस समय देखी जा रही है।

सेबी भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 के प्रावधानों के अनुसार 12 अप्रैल, 1992 को स्थापित स्वायत्त वैधानिक निकाय है जिसे वैधानिक शक्तियां प्रदान की गई हैं-वही शक्तियां जो दीवानी न्यायालय में निहित होती हैं। सेबी तीन श्रेणियों के आवश्यकता की पूर्ति करता है: 1) ऐसा बाजार उपलब्ध कराना जिसमें निवेशक अपना वित्त बढ़ा सकें, 2) बाजार के बारे में सही और सटीक जानकारी सुनिश्चित करना, तथा 3) बिचौलियों के लिए प्रतिस्पर्धा और पेशेवर बाजार को सक्षम करना। बाजार अपराधियों से भरा होता है। इसके चलते सख्त कार्रवाई और गंभीर हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है। वैधानिक प्रवर्तन शक्तियां, जो सेबी को दी गई हैं, अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों की तुलना में भी अधिक हैं ताकि आर्थिक क्षति के लिए दंड की व्यवस्था प्रभावी हो।

सैट भी वैधानिक निकाय है जिसकी स्थापना भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 के तहत सेबी द्वारा पारित आदेशों के विरुद्ध अपीलों की सुनवाई और निपटारे के लिए की गई है। भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण एवं पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण के आदेशों के खिलाफ अपील भी सैट में की जा सकती है। 1997 से अब तक सैट ने 67,000 अपीलों पर अपने निर्णय दिए हैं, 1,028  अपील अभी लंबित हैं।

शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव सामान्य घटना है, जो होती ही रहती है। कभी-कभी बढ़ोतरी या गिरावट बहुत तीव्र होती है, जो निवेशकों को तेजी से आकर्षित करती है, या उनकी पूंजी डुबो देती है। इसके अनेक कारण हैं-देश की राजनीतिक एवं आर्थिक स्थिति, सरकार एवं केंद्रीय बैंक की अर्थ एवं वित्त नीति, कंपनियों में लगी पूंजी और लाभ, जीडीपी, मुद्रास्फीति, व्याज दर, बेरोजगारी, वैश्विक अर्थव्यवस्था, विकसित देशों के केंद्रीय बैंकों द्वारा उठाए गए कदम, युद्ध, सप्लाई श्रृंखला में बाधा, अराजकता आदि सभी शेयर बाजार को प्रभावित करते हैं। इन पर सेबी का कोई नियंत्रण नहीं होता। बड़े निवेशकों एवं बिचौलियों द्वारा हेराफेरी जब शेयर मार्केट को प्रभावित करती हैं, तब सेबी की भूमिका महत्त्वपूर्ण हो जाती है। आजकल सोशल मीडिया, व्हाट्सएप ग्रुप एवं बिजनेस न्यूज चैनलों पर स्टॉक टिप्स सहित सूचनाओं की लगातार बमबारी हो रही है, सीधे-साधे निवेदक कभी-कभी इससे खतरनाक जाल में फंस जाते हैं, और अपनी गाढ़ी कमाई गंवा बैठते हैं।

शेयर बाजार में भारी संख्या में निवेशक घाटे में रहते हैं। पेनी स्टॉकों में निवेश कराने, इंट्रा ट्रेड और कम समय वाले कारोबार में शामिल कराने, जल्दबाजी में निर्णय कराने, अफवाह फैलाने जैसे हथकंडे बिचौलियों द्वारा अपनाए जाते हैं, जिन पर नियंत्रण आवश्यक है। शेयर धारकों की बेसब्री भी उनके लिए महंगी पड़ती है, गिरते बाजार में बिना सोचे-समझे भारी बिकवाली इसका एक उदाहरण है। कई बार बहुत थोड़े समय में बाजार में फिर से तेजी आ जाती है। ऐसी स्थिति में शेयर धारक अपने निर्णय पर पछताने के अलावा कुछ नहीं कर सकता। कोरोना महामारी के शुरू होते शेयर बाजार तेजी से नीचे आया किंतु 11 महीनों के बाद ही फिर ऊंचाइयां छूने लगा। गिरते बाजार में जिन लोगों ने भारी खरीदारी की बाद में उनकी पूंजी में खूब वृद्धि हुई, जिन लोगों ने जल्दबाजी में बेच दिया घाटे में रहे।

वि के महानिवेशक वारेन बुफे का कहना है कि शेयर बाजार बेसब्री से सब्र करने वालों को धन हस्तांतरित करने का एक उपकरण है। समय-समय पर शेयर बाजार में बड़े घोटाले के समाचार आते हैं। भारतीय शेयर बाजार का कुल मार्केट कैप 3.2 ट्रिलियन डॉलर के करीब है जहां इतना पैसा रोज एक दूसरे के पास आता जाता है, लालच, घोटाले, धोखाधड़ी करने वाले को अवसर मिल ही जाता है। हषर्द मेहता, केतन पारिख, सत्यम आदि घोटाले बड़े पैमाने पर निवेशकों को चूना लगा चुके हैं। बाजार नियामकों-सेबी, सैट आदि की सतर्कता और हस्तक्षेप ऐसी स्थितियों को कुछ हद तक नियंत्रण में ला सकते हैं। शेयर बाजार के बारे में सही समाचार निवेशकों तक पहुंचें और बिचौलिये निवेशकों को गुमराह न कर सकें, इसके लिए सेबी प्रयत्नशील रही है। फिर भी अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है। सैट द्वारा अपीलों का निपटारा भी कम समय में हो, इसके लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं, सैट की पीठों की संख्या बढ़ाई जाए तथा उन्हें और सक्षम किया जाए।

प्रो. लल्लन प्रसाद


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