रेल हादसा : बहुत कुछ करना बाकी

Last Updated 20 Jun 2024 12:48:36 PM IST

पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में गत सोमवार को बड़ा रेल हादसा हो गया। अगरतला से सियालदह जा रही कंचनजंगा एक्सप्रेस को न्यू जलपाईगुड़ी रेलवे स्टेशन से 30 किमी. दूर रंगापानी स्टेशन के पास मालगाड़ी ने पीछे से जोरदार टक्कर मार दी।


हादसे में 11 लोगों की मौत और करीब 50 लोगों से अधिक घायल हो गए। एक तरफ जहां देश में सुपर फास्ट वंदेभारत जैसी ट्रेन पटरी पर दौड़ रही हैं, रेल सेवाओं के आधुनिकीकरण, ऑटोमेशन में तेजी लाने की दिशा में काम किया जा रहा है, तो रेल भिड़ंत की घटनाएं रेल सेवाओं के प्रबंधन पर सवाल उठा रही हैं।

ट्रेन हादसों से जहां करोड़ों की आर्थिक क्षति होती है वहीं यात्रियों की असामयिक मौत प्रियजनों को सदैव के लिए पीड़ा दे जाती है। रेलवे सुरक्षा आयोग की 2022-23 रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार 2020-2021 में 2 गंभीर सहित कुल 22 दुर्घटनाएं, 2021-22 में 2 गंभीर सहित कुल 35 दुर्घटनाएं और 2022-23 में 4 गंभीर सहित 48 रेल दुर्घटनाएं हुई। इनमें रेलवे कर्मचारियों की गलती से 2021-22 में 15 और 2022-23 में 34 दुर्घटनाएं हुई जबकि पिछले 10 वर्ष में कुल 897 रेल दुर्घटनाएं हुई।

इनमें 87 गंभीर दुर्घटनाएं रहीं। हालांकि 2013-14 के बाद से रेल दुर्घटनाओं के ग्राफ में कमी का रुझान है। दुर्घटनाओं से रेलवे संपत्ति की क्षति की बात करें तो पिछले 10 वर्ष में रेलवे को 2015-16 में 64.46 करोड़ रुपये की सर्वाधिक क्षति हुई। 2020-21 ऐसा वर्ष रहा जिसमें सबसे कम 36 लाख क्षति रही जबकि 2021-22 में 3.15 करोड़ और 2022-23 में 55.81 करोड़ रुपये की क्षति हुई। इस घटना में रानीपतरा रेलवे स्टेशन और चत्तर हाट जंक्शन के बीच स्वचालित सिग्नल प्रणाली सुबह 5.50 बजे से खराब थी। सिग्नलिंग प्रणाली फेल होने पर स्टेशन मास्टर ने कंचनजंगा एक्सप्रेस और मालगाड़ी को ‘टीए 912’ लिखित अधिकार पत्र जारी कर लाल हुए सिग्नलों को पार करने की अनुमति दी थी।

एक ही ट्रैक पर जा रही मालगाड़ी ने लापरवाही के चलते कंचनजंगा एक्सप्रेस को पीछे से टक्कर मार दी। भीषण टक्कर से गार्ड डिब्बे के परखचे उड़ गए। पार्सल रैक का  डिब्बा उछल कर मालगाड़ी के इंजन पर जा चढ़ा और कई डिब्बे पटरी से इधर-उधर छिटक गए। मालगाड़ी के लोको पायलट और कंचनजंगा एक्सप्रेस के गार्ड की मौत हो गई। रेलवे बोर्ड की चेयरमैन एवं सीईओ जया वर्मा सिन्हा का दावा है कि प्रथम दृष्टया जांच में सामने आ रहा है कि हादसा मानवीय चूक के कारण हुआ। लोको पायलट ने सिग्नल को तोड़ा जिससे मालगाड़ी की कंचनजंगा एक्सप्रेस से जोरदार टक्कर हुई।

हादसा कई प्रश्न खड़े कर रहा है कि आखिर, मालगाड़ी के लोको पायलट से यह चूक कैसे हुई? मालगाड़ी की स्पीड इतनी तेज क्यों रही? खराब सिग्नल क्यों जल्दी से ठीक नहीं हो सका? संचालन के बीच लापरवाही का क्या कारण रहा? जिस रेल सुरक्षा कवच का डंका बजाया जा रहा था वह इस ट्रैक पर अब तक क्यों नहीं लगा?

दो जून, 2023 को ओडिशा के बालासोर में कोरोमंडल एक्सप्रेस सहित तीन टेनों की टक्कर लोग भूले नहीं हैं, जिसमें 296 की मौत और करीब एक हजार लोग घायल हुए थे। 29 अक्टूबर, 2023 को आंध्र प्रदेश में विशाखापत्तनम-रायगड़ा पैसेंजर स्पेशल ट्रेन हादसे,  विशाखापत्तनम-पलासा पैसेंजर टक्कर और 13 यात्रियों की मौत सहित 12 अक्टूबर, 2023 को बिहार के बक्सर में रघुनाथपुर स्टेशन के समीप पटरी से उतरी कामाख्या नॉर्थ ईस्ट एक्सप्रेस हादसे में 4 की मौत और 75 घायल की घटनाओं से रेलवे ने शायद सीख नहीं ली है।   

रेल हादसे न हों उसके लिए रेलवे करीब दो साल पहले सुरक्षा कवच सिस्टम लाई थी। लेकिन आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत निर्मिंत रेलवे का यह कवच सिस्टम बेहद धीमी गति से रेलवे मागरे पर लगाया जा रहा है। भारत में कुल 68,083 किमी. रेल नेटवर्क है। आठ साल पहले फरवरी, 2016 में इस कवच सिस्टम का पहली बार यात्री ट्रेन में लगा कर ट्रायल किया गया था। अभी तक रेलवे 1465 किमी. ट्रेन रूट पर ही कवच सिस्टम लगा सकी है। दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा रेलमार्ग पर 2951 किमी. में कवच सिस्टम लगाने का काम बाकी है जबकि 35,736 किमी. और रेलमार्ग पर कवच सिस्टम लगाने की मंजूरी मिली है। रेलवे बोर्ड चेयरमैन का कहना है दिल्ली-गुवाहाटी में कवच लगाना अगली योजना में है। उनका दावा है कि पूरे भारत के रेलवे ट्रैक पर मिशन मोड में धीरे-धीरे कवच लगाने की योजना है। इस पर भी सवाल है कि सुरक्षा के लिए यदि कवच लगाने का काम इसी तरह धीमी चाल से चलता रहा तो पूरे 68,083 किमी. रेलवे ट्रैक पर कवच लगाने में दशकों लग जाएंगे। बड़ा सवाल यह भी है कि रेलवे द्वारा पदों की भर्ती में देरी भी इन हादसों की ओर इशारा करती है। रेलवे के पास जुलाई, 2023 तक करीब ढाई लाख पद रिक्त थे। 

अनिरुद्ध गौड़


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