भारतीय रेल : मंत्री जी, कृपया ध्यान दें

Last Updated 22 Jun 2024 01:35:47 PM IST

शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जिसने कभी ना कभी रेल यात्रा न की हो। रेलवे स्टेशन पर सुनाई देने वाली घोषणा की शुरु आत ‘यात्रीगण कृपया ध्यान दें’ से ही होती है।


भारतीय रेल : मंत्री जी, कृपया ध्यान दें

इसका उद्देश्य सभी मौजूद यात्रियों का ध्यान आकर्षित करना होता है। यह तो हुई एक साधारण बात। परंतु बीते कुछ वर्षो में हो रहे रेल हादसों के बाद से अब इस घोषणा का सीधा संबंध भारतीय रेल से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े मंत्रियों और अफसरों से है। बढ़ते हुए रेल हादसों के चलते अब भी अगर संबंधित मंत्री और अधिकारी नहीं जागेंगे तो कब जागेंगे?

देश की जीवन रेखा माने जाने वाली भारतीय रेल हर खास-ओ-आम आदमी के लिए देश के किसी भी कोने से दूसरे कोने तक यात्रा करने का सस्ता और भरोसेमंद साधन है। हर यात्री को इस बात का भरोसा होता था कि देर-सेवर वो अपने गंतव्य तक पहुंच ही जाएगा। ज्यों-ज्यों देश की आबादी बढ़ी सरकार ने रेल यात्रा में उचित सुधार भी किए। आज भारत में रेलवे की कुल लंबाई 1,15,000 किलोमीटर है। भारतीय रेल रोजाना करीब 2 करोड़ 31 लाख यात्रियों और 33 लाख टन माल को ढोती है।

यह दुनिया की चौथी सबसे बड़ी रेलवे सेवा है। 12.27 लाख कर्मचारियों के साथ, भारतीय रेलवे दुनिया की आठवीं सबसे बड़ी व्यावसायिक इकाई है। भारतीय रेल के कार्यचालन केविभिन्न पहलुओं की देखभाल करने के लिए इसने 11 सरकारी क्षेत्र के उपक्रम भी स्थापित किए। भारत जैसे देश के लिए इतने बड़े स्तर पर यात्रा का साधन मुहैया कराने वाली भारतीय रेल पर देश को गर्व है, परंतु हर सिक्के के दो पहलू होते हैं।

बीते कुछ वर्षो में रेल मंत्रालय द्वारा कई ट्रेनों में जो बदलाव किए गए हैं। वह एक ओर जहां यात्रियों द्वारा बधाई प्राप्त कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर पूरे सिस्टम में फैली अव्यवस्था को लेकर भारी विरोध भी झेल रहे हैं। यात्रियों की सुविधा की दृष्टि से रेल मंत्रालय ने अनेकों आधुनिक गाड़ियां भी चलाई। जैसे-जैसे रेल यात्रा में सुविधा बढ़ी वैसे-वैसे किराये में भी वृद्धि हुई। उल्लेखनीय है कि जिस कदर रेल के किरायों में वृद्धि हुई है उसमें यात्रा केवल वही लोग कर पा रहे हैं जो उस बढ़े हुए किराए का वहन कर सकते हैं। आम जनता जो कि साधारण श्रेणी में यात्रा करती है उसके लिए कोई भी नई सुविधा नहीं दी गई है। आबादी के बढ़ने पर आम जनता के लिए आम श्रेणी की गाड़ियों में भी बढ़ोतरी की जानी चाहिए थी, परंतु ऐसा नहीं हुआ।  आँकड़ों के अनुसार बीते वित्तीय वर्ष में 2.70 करोड़ यात्री टिकट होने के बावजूद रेल में यात्रा नहीं कर पाए, क्योंकि उनका टिकट कन्फर्म नहीं हो पाया।

इसी का नतीजा हुआ कि आए दिन हमें यह देखने को मिलता है कि ट्रेन में सफर करने वाले लोग ट्रेन की क्षमता से ज्यादा पाए जाते हैं। इससे आरक्षित टिकट प्राप्त कर यात्रा करने वालों को काफी असुविधा का सामना करना पड़ता है। क्या रेल मंत्रालय के अधिकारियों इस बात की जानकारी नहीं थी कि देश में बढ़ती हुई आबादी के चलते आवागमन में भी वृद्धि होगी? क्या जिन यात्रियों की टिकट कन्फर्म नहीं हुई और उन्हें उनके किराए की राशि वापिस की गई, इसकी संख्या में होती वृद्धि पर किसी का ध्यान नहीं गया? क्या जिन साधारण श्रेणी के डिब्बों को उच्च श्रेणी में तब्दील किया जाना उचित था? क्या उच्च श्रेणी की आधुनिक ट्रेनों को चलाने के लिए साधारण श्रेणी की ट्रेनों को रद्द करना उचित था? यदि समय रहते सही निर्णय लिया गया होता तो रेल में भीड़ के चिंताजनक दृश्य सामने नहीं आते।

एक ओर जहां किसी नई और आधुनिक रेल के उद्घाटन के समय जिस कदर मंत्री और अफसर श्रेय लेने के लिए आगे आते हैं, वह रेल में हो रही लापरवाहियों का ज़िम्मा लेने से बचते नजर आते हैं। आंकड़ों के अनुसार 2014 से 31 मार्च 2023 तक 1117 रेल हादसे हो चुके हैं। इनमें सैकड़ों लोगों की जानें गई, हजारों की तादाद में लोग घायल हुए और करोड़ों की  संपत्ति का भी नुकसान हुआ, परंतु इन हादसों से कोई सबक नहीं लिया गया।

यहां एक तथ्य का उल्लेख करना आवश्यक होगा कि सीएजी की एक रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष में 20 हजार करोड़ रु पये आने थे, जिसमें 15 हजार करोड़ केंद्र सरकार द्वारा दिये जाते और 5 हजार करोड़ रेल मंत्रालय देता, परंतु चार साल बाद मात्र 4225 करोड़ ही आए और इन्हें भी गैर जरूरी मदों पर खर्च किया गया रेलवे सुरक्षा पर नहीं।  सोचने वाली बात यह है कि अधिकतर दुर्घटनाओं में मानवीय त्रुटि बताई जाती है। रेल मंत्री द्वारा संसद में दिए गए उत्तर के मुताबिक रेलवे में 3.12 लाख रिक्त पद पड़े हैं। गौरतलब है कि ट्रेन चलाने वाले लोको पायलट के 70093 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 21 प्रतिशत पद खाली पड़े हैं। इसी के चलते मौजूदा लोकोपायलटों को लंबे समय तक ड्यूटी पर रहना पड़ता है। थकान और नींद के चलते ऐसे हादसे होना स्वाभाविक है, परंतु क्या देश में बढ़ती बेरोजगारी के चलते सरकार को इस ओर ध्यान नहीं देना चाहिए था?

रजनीश कपूर


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