खालिस्तानी तत्व : कनाडा की शतरंजी चालें

Last Updated 08 May 2024 01:22:52 PM IST

खालिस्तान अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के आरोप में तीन भारतीय नागरिकों की गिरफ्तारी के बाद कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि कानून के शासन वाला देश है-कनाडा।


खालिस्तानी तत्व : कनाडा की शतरंजी चालें

साथ ही, बताया कि कनाडा देश मजबूतैऔर स्वतंत्र न्याय प्रणाली के तहत अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।  

आखिरकार, कानून के शासन वाले लोकतांत्रिक देश कनाडा के नियम तब कहां गए  थे, जब भारत ने 25 लोगों के प्रत्यर्पण की मांग रखी थी, जिनमें से अधिकांश खालिस्तान समर्थक हैं। कनाडा के कानून को खालिस्तानियों द्वारा अपनाई जा रही गतिविधियां भारत के आंतरिक मामलों में प्रत्यक्ष हस्तक्षेप के रूप में क्यों नजर नहीं आ रहीं। चूंकि वे अब कनाडा के पासपोर्टधारक कनाडाई नागरिक बन चुके हैं, भारत के लिए विदेशी हो गए हैं, और कनाडा को अपने इन नागरिकों की घातक गतिविधियों पर हरसंभव अंकुश लगाने का प्रयास करना चाहिए। खालिस्तान को जिंदा रख कर इन्हें सशक्त, सक्षम एवं सामथ्र्यपूर्ण बनाने के लिए कनाडा के प्रधानमंत्री अपने वोट बैंक  के स्वार्थ के कारण भारत के लिए एक कड़ी चुनौती खड़ी करने का काम कर रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि कनाडा के नागरिक निज्जर की विगत वर्ष 18 जून को ब्रिटिश कोलंबिया के सर्रे में गुरु द्वारे के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में एडमोंटन निवासी 22 वर्षीय भारतीय नागरिक कमल बरार, 22 वर्षीय कनकप्रीत सिंह और 28 वर्षीय करनप्रीत सिंह को हत्या तथा हत्या की साजिश के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया है। हाल में टोरंटो में ट्रूडो ने सिख विरासत एवं सांस्कृतिक समारोह में सिख समुदाय को संबोधित करते हुए इनकी गिरफ्तारी पर कहा, ‘यह बेहद महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि कनाडा मजबूत एवं स्वतंत्र न्याय प्रणाली और अपने सभी नागरिकों की सुरक्षा के लिए मौलिक प्रतिबद्धता वाला कानून सम्मत देश है। प्रत्येक कनाडाई को सुरक्षित रूप से रहने और कनाडा में भेदभाव और हिंसा के खतरों से मुक्त रहने का अधिकार है।’ हकीकत यही है कि इस जांच में एक ओर भारतीय अधिकारियों को शामिल करके ट्रूडो सरकार अपनी निष्पक्षता दिखाने का प्रयास कर रही है तो दूसरी ओर सिख समुदाय का तुष्टीकरण भी कर रही है।

विगत कुछ समय से विदेशों में खालिस्तान आंदोलन को पुनर्जीवित करने के प्रयास किए जाने लगे हैं। भारत विरोधी पश्चिमी शक्तियां पंजाब में फिर से अलगाववाद को बढ़ाने के लिए खालिस्तान समर्थित आंदोलन को सामाजिक, आर्थिक, नैतिक एवं राजनयिक सहयोग देने में लगी हैं। प्रधानमंत्री ट्रूडो अब पाकिस्तान की तरह आतंकवादी निज्जर को नागरिक स्वतंत्रता का हीरो बनाने में जुटे हैं। इस मामले में अमेरिकी प्रशासन का व्यवहार भी संदेह के घेरे में है। विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कनाडा में अलगाववादी समूहों, हिंसा और आतंकवाद से जुड़े संगठित अपराध के बारे में चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि कनाडा में राजनीतिक विचारों के कारण इन मुद्दों को बने रहने दिया गया है। भारत और कनाडा के बीच संबंध गंभीर तनाव के दौर से गुजर रहे हैं। भारत ने ट्रूडो के आरोपों को बेतुका और प्रेरित बताकर खारिज कर दिया है।

कनाडा के कई शहरों में सिख समुदाय की आबादी बहुत अधिक है, और गुरुद्वारे इस समुदाय के केंद्र बिन्दु हैं। आतंकी निज्जर सर्रे में गुरु द्वारे का अध्यक्ष था। सिख नेशनल कॉलेज, बंगा (पंजाब) के पूर्व प्रोफेसर हरपाल सिंह बताते हैं कि कनाडा के गुरु द्वारे पैसे और चरमपंथियों के प्रभुत्व के टूल बन गए हैं। इन गुरु द्वारों को नियंत्रित और निर्देशित करने से उन्हें अपनी पहचान स्थापित करने में मदद मिलती है। कुछ चरमपंथी अपनी उपस्थिति बनाए रखने के प्रयास में निरंतर लगे हैं। कनाडा की उदारवादी मानसिकता भी खालिस्तानी आंदोलन का कारण है। अभिव्यक्ति की आजादी और पश्चिमी देशों की सरकारों द्वारा निरंतर नजरअंदाजी ने ही भारत विरोधी भावनाओं को पल्लवित, पुष्पित और फलित करने में सक्रिय सहयोग दिया है।

उल्लेखनीय है कि सिख समुदाय के लोगों को भड़का कर उनकी भावनाओं, संवेदनाओं, मनोवृत्ति और विचारों को इस समय पश्चिमी देशों की शक्तियों द्वारा निरंतर न केवल कुरेदा जाता है, बल्कि उनको यथासंभव प्रत्येक प्रकार का सहयोग, सहानुभूति, समर्थन और सक्रियता प्रदान करके भारत के विरु द्ध तत्पर, तैनात और तैयार किया जाता है। सत्ता का लालच और धार्मिंक भावना की आड़ अपने को आगे लाने की चाहत में मानवीय मूल्यों की सुरक्षा तथा राष्ट्रीय हित को ताक पर रख सत्ता के गलियारे में प्रवेश पाने के लिए  सिख युवा भी लालायित हो रहे हैं। हिन्दू बनाम सिख उपद्रव के लिए अनेक सिख उग्रवादी संगठन खड़े हो गए हैं। नेशनल काउंसिल ऑफ खालिस्तान, दल खालसा, सिख लीग, खालितानी कमांडो फोर्स, बब्बर खालसा, खालिस्तान लिबरेशन फोर्स, सिख स्टूडेंट फेडरेशन, इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन, बब्बर खालसा इण्टरनेशनल, वारिस पंजाब दे, खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स, र्वल्ड सिख आर्गनाइजेशन तथा सिख फॉर जस्टिस आदि।

जहां एक ओर सिख अलगाववादी निज्जर की हत्या के आरोप में रॉयल कनाडियन माउंटेड पुलिस भारत सरकार की संलिप्तता की जांच कर रही है वहीं अमेरिका भी खालिस्तानी अलगाववादी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की कथित साजिश को लेकर भारत पर दबाव बढ़ा रहा है। वाशिंगटन पोस्ट की खबर के बाद अमेरिका ने कहा है कि इस मामले में अपनी चिंताओं को सीधे तौर पर उच्च स्तर पर भारत सरकार के साथ उठाता रहेगा तथा भारत से जवाबदेही की उम्मीद करता है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट को अनुचित और अप्रमाणिक आरोपों के रूप में खारिज कर दिया जिसमें रॉ अधिकारी विक्रम यादव को साजिश में शामिल बताया गया। वास्तव में खालिस्तानी अलगाववादी समस्या की जड़ विदेश में अधिक पनप रही है, जिस पर गंभीरता से राजनयिक रूप से निपटना होगा ताकि एक एजेंडे के रूप में हिन्दू विरोधी अभियान पर अंकुश समय रहते लगाया जा सके। विदेश में खालिस्तानी खेल की शतरंजी चालों को शीघ्र ही शह- मात देने की सामयिक आवश्यकता है।

डॉ. सुरेन्द्र कुमार मिश्र


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