विश्व सुरक्षा : नई पीढ़ी के लिए बेहतर भविष्य जरूरी

Last Updated 06 Aug 2023 01:35:19 PM IST

चाहे यूक्रेन युद्ध का संदर्भ हो या जलवायु बदलाव के संकट का, विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ हाल के समय में चेतावनी देते रहे हैं कि विश्व नेतृत्व को इन बड़े मुद्दों पर अधिक जिम्मेदारी दिखानी चाहिए।


विश्व सुरक्षा : नई पीढ़ी के लिए बेहतर भविष्य जरूरी

 विभिन्न बड़े संकटों को अधिक बढ़ने नहीं देना चाहिए और आपसी सहयोग से उचित समय पर समाधान प्राप्त करने चाहिए।

यूक्रेन युद्ध की ही बात करें तो अनेक जाने-माने विशेषज्ञों ने यह कहा है कि इसे इस दिशा में न जाने दें कि अमेरिका और रूस के बीच प्रत्यक्ष युद्ध की स्थिति आ जाए। आखिर, हम यह नहीं भूल सकते हैं कि विश्व के लगभग 13,000 परमाणु हथियारों में से लगभग 90 प्रतिशत इन दो देशों के पास ही हैं। इसी तरह जलवायु बदलाव के संकट के बारे में अनेक विशेषज्ञ कहते रहे हैं कि इसके भी अपने ‘टिपिंग प्वॉइंट’ हैं, जिनका  अतिक्रमण हुआ तो संकट तेजी से बढ़ता हुआ मानव नियत्रण के बाहर भी जा सकता है। विश्व नेतृत्व की युवा पीढ़ी के प्रति, आज के मासूम बच्चों के प्रति और भावी पीढ़ियों के प्रति बहुत बड़ी जिम्मेदारी है कि उनके लिए एक सुरक्षित दुनिया हम छोड़ कर जाएं।

इसके लिए विश्व स्तर के सभी बड़े खतरों के समाधान को उच्चतम प्राथमिकता देते हुए अंतरराष्ट्रीय सहयोग से कार्य करना होगा और निर्धारित अवधि के बीच कुछ बड़े अंतरराष्ट्रीय समझौते करने होंगे, विश्व सुरक्षा के मुद्दों पर आम राय बनानी होगी। पर गहरी चिंता की बात है कि तरह-तरह के विवादों और झगड़ों के बीच फंसा हुआ विश्व इस दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति नहीं कर पा रहा है। महाविनाशक हथियारों के मुद्दे को ही लें तो आज विश्व में लगभग 13,000 परमाणु हथियार हैं। इनमें से अधिकांश की विध्वंसक क्षमता उन परमाणु बमों से कहीं अधिक है जिन्हें हिरोशिमा और नागासाकी पर 1945 में गिराया गया था। आज नौ देशों के पास परमाणु हथियार हैं, जो 14 देशों में तैनात हैं। इसके अतिरिक्त, अनेक समुद्री जहाज और यान हजारों परमाणु हथियारों से लैस होकर निरंतर समुद्रों में घूम रहे हैं।

इस स्थिति में विश्व की कोई भी धरती या समुद्र इन हथियारों की विध्वंसकता में सुरक्षित नहीं है। युद्ध न हो तो भी दुर्घटनाएं हो सकती हैं, और इन परमाणु हथियारों से इस कारण बहुत क्षति हो सकती है। तिस पर बड़ी सैन्य महाशक्तियों के बीच तनाव निरंतर बढ़ रहे हैं। अनेक विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि निरंतरता से तनाव लंबे समय तक बने रहे तो महज शक और एक-दूसरे के इरादे की गलत पहचान से भी नाहक ही महाशक्तियों के बीच परमाणु युद्ध आरंभ हो सकता है। इसके अतिरिक्त, रोबोट और एआई हथियारों का खतरा बढ़ रहा है, जो आगे चलकर ऐसी पेचीदगियां उत्पन्न कर सकता है, जिनके लिए विश्व तैयार नहीं है। अंतरिक्ष के सैन्यकरण के खतरे भी मौजूद हैं जिनसे विश्व सुरक्षा बहुत बुरी तरह प्रभावित हो सकती है।

जलवायु बदलाव को विश्व की सबसे बड़ी पर्यावरण समस्या माना गया है, पर इसके साथ लगभग ऐसी अन्य पर्यावरणीय समस्याएं भी जुड़ी हैं, और इनका मिला-जुला असर यह है कि ये विश्व की जीवनदायिनी क्षमताओं को ही बुरी तरह संकटग्रस्त कर सकती हैं। यह तो भावी पीढ़ियों के साथ बहुत बड़ा अन्याय होगा। बहुत दूर की बात न करें तो जो आज के मासूम बच्चे हैं, उनके जीवनकाल में ही यह धरती की जीवनदायिनी क्षमता बहुत बुरी तरह प्रभावित हो सकती है। इस स्थिति में विश्व स्तर पर सबसे बड़ी जिम्मेदारी तो यही बनती है कि इस स्थिति को समय पर संभाल लिया जाए।

इससे मिला-जुला एक अन्य संकट यह बढ़ रहा है कि विश्व स्तर पर कई तरह की खतरनाक तकनीकें आ रही हैं और वह भी खाद्य एवं कृषि, स्वास्थ्य तथा संचार जैसे क्षेत्रों में। इनके बारे में कई जाने-माने विशेषज्ञ चेतावनियां देते रहे हैं कि इनके तेज प्रसार से पहले इनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करना बहुत जरूरी है। पर जहां बहुत बड़ी-बड़ी विश्व स्तर की बहुराष्ट्रीय कंपनियों के स्वार्थ जुड़े हों, वहां इन बड़े विशेषज्ञों की चेतावनियों की भी उपेक्षा हो सकती है, और हो भी रही है। इनमें से कुछ तकनीकों का उद्देश्य केवल मुनाफा बढ़ाना नहीं है अपितु नियत्रण बढ़ाना है। इस संदर्भ में विकासशील देशों के अनेक विद्वान और नेता विशेष तौर पर चिंतित हैं कि यदि कृषि और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में बहुराष्ट्रीय कंपनियां हावी हो गई तो इन देशों की अर्थव्यवस्था और आजीविका पर बहुत प्रतिकूल असर पड़ेगा। इसके अतिरिक्त, पर्यावरण और स्वास्थ्य भी प्रतिकूल प्रभावित होंगे।

ध्यान रहे कि इनमें से अनेक विकासशील देश पहले ही औपनिवेशिक शोषण को एक-दो शताब्दियों तक या उससे भी अधिक समय तक झेल चुके हैं।  इससे उनकी बहुत क्षति हुई और फिर एक बड़े संघर्ष के बाद उन्होंने स्वतंत्रता प्राप्त की। अनेक कठिनाइयों के बीच अपने नागरिकों के लिए अनेक महत्वपूर्ण उपलब्धियां प्राप्त कीं। अब इनके लिए बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा प्रसारित नई तकनीकों, धनी देशों द्वारा प्रसारित नये व्यापार एवं निवेश समझौतों और नियमों के कारण नई कठिन चुनौतियां उत्पन्न की जा रही हैं, और उन्हें बहुत सावधानी से निर्णय लेने पड़ेंगे ताकि वे किसी ऐसे नये जाल में न फंस जाएं जिससे निकलना उनके लिए कठिन हो जाए। ध्यान देने की बात है कि जहां पश्चिमी धनी देश इस संदर्भ में कई चाल चल रहे हैं, वहां विश्व आर्थिक शक्ति के नये केंद्र के रूप में चीन भी अपनी ओर से कई आक्रामक नीतियां अपना रहा है।

इस स्थिति में भारत जैसे महत्वपूर्ण विकासशील देशों के लिए नई चुनौतियां उत्पन्न हो रही हैं। उन्हें इन दोनों ओर के भ्रमजाल से दूर हटकर अपनी स्वतंत्र और सोची-सुलझी राह निकालने के लिए विश्व को नई राह दिखानी चाहिए। भारत, ब्राजील, मैक्सिको जैसे अनेक महत्वपूर्ण देश विश्व स्तर पर कई गंभीर संकटों से बचने की और न्यायसंगत विकास की नई राह दिखा सकते हैं पर इसके लिए जरूरी है कि वे कई तरह के भ्रमजाल से अपने को दूर रख सकें। दूसरी ओर, बढ़ती विषमता के बीच अरबपतियों की संख्या तेजी से बढ़ी है, और इनमें से सबसे बड़े अरबपतियों के पास आज इतनी आर्थिक शक्ति और राजनीतिक असर संचित है, जो कुछ वर्ष पहले तक संभव नहीं था। इनमें से अनेक अरबपतियों को सबसे धनी देशों की सरकारों का समर्थन इस रूप में मिल रहा है कि विश्व स्तर पर नियत्रण बढ़ाने के लिए जो कार्य सरकारी स्तर पर खुलेआम नहीं हो सकता है, वह कार्य इन अरबपतियों के माध्यम से हो सकता है। आज इन अरबपतियों द्वारा संचालित संस्थाओं का दखल स्वास्थ्य, कृषि जैसे क्षेत्रों में विश्व स्तर पर इतना बढ़ गया है कि वे नीतियों में बदलाव ला सकते हैं।

इस स्थिति में यह बहुत जरूरी हो गया है कि न्याय, समता, अमन-शांति, पर्यावरण और जैव विविधता की रक्षा से ईमानदारी और निष्ठा से जुड़े सभी लोग और संगठन अपनी प्रतिबद्धताओं और मेहनत को और बढ़ाएं तथा साथ में बहुत समझदारी से, बहुत सावधानी से आपसी सहयोग और एकता को बढ़ाएं। तभी वे बढ़ती कठिनाइयों के बीच विश्व को बेहतर और सुरक्षित भविष्य की ओर ले जा सकेंगे। युवाओं और बच्चों का बेहतर भविष्य इन प्रयासों से जुड़ा है। इस दौर की चुनौतियां और जिम्मेदारियां बहुत बड़ी हैं, और किसी भी तरह की संकीर्णता की राह पर इनसे जूझा नहीं जा सकता है, और व्यापक सोच और एकता की राह ही उचित राह है।

भारत डोगरा


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