पेपर बैग दिवस : प्लास्टिक थैलियां छोड़ें
आम जनजीवन में प्लास्टिक की थैलियों के बजाय पेपर बैग के उपयोग के बारे में जागरूकता फैलाने और प्लास्टिक के बजाय पेपर बैग के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वैश्विक स्तर पर प्रतिवर्ष 12 जुलाई को ‘विश्व पेपर बैग दिवस’ मनाया जाता है।
![]() पेपर बैग दिवस : प्लास्टिक थैलियां छोड़ें |
दरअसल प्लास्टिक की थैलियों का पर्यावरण पर बेहद प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जिन्हें पर्यावरण के लिए सर्वाधिक हानिकारक चीजों में से एक माना जाता है। सिंगल यूज प्लास्टिक की थैलियां आसानी से रीसाइकिल नहीं हो पाती। प्लास्टिक न केवल सड़कों पर गंदगी का कारण बनता है बल्कि समुद्र तथा नदियों में भी प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है। जमीन में प्लास्टिक को गलने में सालों लग जाते हैं और इससे मिट्टी की उर्वरता भी कम होती है, वहीं पेपर बैग आसानी से नष्ट हो जाता है और बायोडिग्रेडेबल होने के कारण प्रदूषण भी नहीं फैलाता। पेपर बैग को आसानी से रिसाइकल कर पुन: विभिन्न रूपों में ढ़ालकर इस्तेमाल किया जा सकता है अर्थात प्लास्टिक की थैलियों का उपयोग नियंत्रित कर पेपर बैग के उपयोग को बढ़ावा देकर पर्यावरण प्रदूषण पर काफी हद तक अंकुश लगाया जा सकता है।
प्लास्टिक बैग की तुलना में पेपर बैग की रीसाइक्लिंग के लिए कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है। अलग-अलग रंग और आकार में उपलब्ध पेपर बैग देखने में तो आकषर्क होते ही हैं, साथ ही पर्यावरण हितैषी भी हैं। पेपर बैग बनाने में बहुत कम लागत लगती है, इसलिए माना जाने लगा है कि स्टार्टअप के लिए इसका बिजनेस स्वर्णिम अवसर है। दरअसल खासकर शहरी क्षेत्रों में प्रतिष्ठित ब्रांड के अलावा किराना दुकानों, मिठाई की दुकानों, बेकरी, कपड़े की दुकानों, आभूषण स्टोर, स्नैक्स स्टोर इत्यादि छोटे क्षेत्र के कारोबारियों ने भी अब पेपर बैग का उपयोग शुरू कर दिया है। हालांकि भारत में पिछले साल एक जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा है लेकिन यह प्रतिबंध काफी हद सरकारी फाइलों तक ही सीमित है। दूरदराज वाले इलाकों की तो क्या बात करें, राजधानी दिल्ली में ही हर कहीं प्लास्टिक की थैलियां पहले की ही भांति प्रचलन में हैं।
इसीलिए अब समय की सबसे बड़ी मांग है कि लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए विशेष अभियान चलाए जाएं ताकि लोग इन थैलियों की बजाय स्वयं ही पेपर बैग का इस्तेमाल करने को प्रोत्साहित हों। हालांकि विभर में करोड़ों लोगों ने प्लास्टिक थैलियों का उपयोग छोड़कर पेपर बैग की ओर रुख किया है लेकिन करोड़ों लोग अभी भी इन थैलियों का धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं। यही कारण है कि हर साल 12 जुलाई को ‘पेपर बैग दिवस’ मनाकर इसके उपयोग के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाने का प्रयास किया जाता है। हालांकि अब जरूरत इस बात की महसूस होने लगी है कि पेपर बैग दिवस को साल में केवल एक दिन के दायरे में सीमित न रखते हुए पेपर बैग का उपयोग बढ़ाने के लिए वषर्भर बड़े स्तर पर कैंपेन चलाए जाएं।
भारत दुनियाभर में पेपर बैग और इनसे बने अन्य उत्पादों का बड़ा निर्यातक बन चुका है, जो विकसित देशों को ही अब प्रतिवर्ष करीब चार सौ करोड़ रु पये के पेपर बैग, पेपर प्लेट, पेपर कप, पेपर बाउल सहित कई अन्य पेपर उत्पादों का निर्यात करता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में अब पेपर बैग का बड़ा बाजार विकसित हो रहा है, जिसमें वार्षिक चार फीसद से भी ज्यादा वृद्धि हुई है। ऐसा अनुमान है कि 2023 से 2030 के दौरान पेपर बैग का बाजार 7.3 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा। पेपर बैग की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि ये सौ प्रतिशत रीसाइकिल किए जा सकते हैं और केवल एक महीने में ही विघटित हो सकते हैं। पेपर बैग का इस्तेमाल खाद बनाने के लिए भी किया जा सकता है। ये पालतू अथवा अन्य जानवरों के लिए प्लास्टिक बैग की भांति ज्यादा नुकसानदेह नहीं होते। पेपर बैग बायोडिग्रेडेबल होते हैं, जिनमें विषाक्त पदार्थ नहीं बचते। पेपर बैग को घरेलू कंपोस्टर में आसानी से कंपोस्ट किया जा सकता है। पेपर बैग सस्ते और उपयोग में व्यावहारिक होते हैं। पेपर बैग को आसानी से नए कागज में बदला जा सकता है।
पेपर बैग के इतिहास की बात करें तो 1852 में एक अमेरिकी आविष्कारक फ्रांसिस वोले ने पहली पेपर बैग मशीन की स्थापना की थी और उसका पेटेंट कराया था। 1871 में मार्गरेट ई. नाइट ने एक ऐसी मशीन डिजाइन की, जो फ्लैट-बॉटम पेपर बैग का उत्पादन कर सकती थी। उनके बनाए पेपर बैग का इस्तेमाल किराने की दुकानों पर खूब किया जाने लगा और इसीलिए उन्हें ‘किराने की थैली की मां’ के रूप में जाना जाने लगा। 1883 में चाल्र्स स्टिलवेल ने ऐसी मशीन का आविष्कार किया, जो प्लीटेड किनारों वाले चौकोर तले के पेपर बैग का उत्पादन कर सकती थी, जिससे उन्हें मोड़ना और स्टोर करना आसान हो गया। 1912 में वाल्टर ड्यूबनेर ने पेपर बैग को मजबूत करने और ले जाने वाले हैंडल जोड़ने के लिए एक रस्सी का उपयोग किया। हालांकि पेपर बैग दिवस मनाने का सटीक इतिहास ज्ञात नहीं है लेकिन यह दिन विलियम गुडेल द्वारा निर्मिंत पेपर बैग मशीन के पेटेंट की याद दिलाता है, जिनकी मशीन का पेटेंट 12 जुलाई 1859 को हुआ था और इसलिए हर साल इसी दिन पेपर बैग दिवस मनाया जाता है।
| Tweet![]() |