पंचायत चुनाव : हिंसा की सियासत

Last Updated 27 Jun 2023 12:59:43 PM IST

पंचायत राज की स्थापना का सीधा-सीधा मतलब था कि हर वर्ग और हर व्यक्ति को न केवल सरकारी योजनाओं का ज्ञान रहे, बल्कि लाभ भी मिले।


पंचायत चुनाव : हिंसा की सियासत

इसी बात को ध्यान में रखते हुए पंचायत राज को बढ़ावा दिया गया कि व्यक्ति पंचायत प्रमुख या पंचायत प्रधान के जरिए अपनी दिक्कतों को सरकार तक पहुंचा सके, लेकिन कालक्रम में ज्यों-ज्यों राजनीति में असामाजिक तत्वों का बोलबाला बढ़ा और राजनेताओं के प्रति जनता का विश्वास कम हुआ त्यों-त्यों राजनीति में हिंसा का चलन बढ़ता गया। चाहे कोई नेता हो या दल, चुनाव जीतने के लिए मुद्दों नहीं, मारपीट का सहारा ले रहा है। हिंसक वारदातों को जायज नहीं ठहराया जा सकता। इस मामले में कोई भी राजनीतिक दल पीछे नहीं है। नेता को जीत चाहिए और दल को सत्ता। इसके लिए वह सब कुछ कर गुजरने को तैयार हैं।

ताजा उदाहरण पश्चिम बंगाल का है, जहां अगले महीने (8 जुलाई) त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव होना है, इसके लिए नामांकन और नाम वापस लेने की प्रक्रिया भले ही पूरी यानी रु क गई हो, लेकिन हिंसा रु कने का नाम नहीं ले रही है। सूबे के विभिन्न जिलों से रोजाना हिंसक घटनाएं प्रकाश में आ रही हैं। सरकारी तौर पर सात लोग की मौत हुई है और दर्जनों जख्मी बताए जा रहे, इन घटनाओं पर किस प्रकार अंकुश लगे, इस पर विचार करने की बजाए सभी नेता और दल एक-दूसरे पर आरोप लगाने पर व्यस्त दिख रहे हैं। बंगाल में जिला परिषद, ग्राम पंचायत और पंचायत समितियों के लिए आठ जुलाई को मतदान और 11 जुलाई को मतगणना होगी, लेकिन इसे अचरज कहें या अराजकता कि 12 फीसद यानी नौ हजार से कुछ ज्यादा सीटों पर सभी दलों (तृणमूल, भाजपा, माकपा और कांग्रेस) समेत निर्दलीय ने जीत हासिल कर ली है।

इस गणित से यह साफ हो जाता है कि अगले महीने होने वाला त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कितना निष्पक्ष और शांतिपूर्ण होने वाला है। नामांकन और नाम वापसी की समय-सीमा पूरी होते ही जैसे ही राज्य चुनाव आयोग ने यह बताया कि 9009 सीटों पर निर्दलीय समेत तमाम दलों ने जीत हासिल कर ली है। आम आदमी तो क्या कलकत्ता उच्च न्यायालय में अचंभित रह गया और इस बाबत हलफनामा दायर करने को कहा। विपक्ष शुरू से ही चुनाव में गड़बड़ी की आशंका जताता रहा है, इस बाबत उच्च न्यायालय ने भी विपक्ष की बातों को सही मानते हुए केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश दिया, जिसके खिलाफ राज्य चुनाव आयोग और राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखाया, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने भी उच्च न्यायालय के आदेश पर मुहर लगाई।

अब केंद्रीय बलों के जवान हिंसा पीड़ित इलाकों का दौरा कर लोगों को यह विश्वास दिलाने की कोशिश कर रहे हैं, आठ जुलाई को निर्भय होकर अपनी मर्जी से अपने पसंदीदा उम्मीदवार को वोट दें, इस बीच तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और राज्य की मुख्यमंत्री डंके की चोट पर कह रही हैं कि चाहे जितने केंद्रीय बल आ जाए, जीत हर हाल में हमारी यानी तृणमूल कांग्रेस की ही होगी।
सवाल यह उठता है कि मतदान के पहले ममता इस तरह का दावा कैसे और किस आधार पर कर सकती हैं?

उनके दावे में इतना दम है तो फिर केंद्रीय बलों की तैनाती से डर क्यों रही हैं? सूबे में यह पहला मौका नहीं है, जब केंद्रीय बलों की तैनाती में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव होने जा रहे हैं, इससे पहले 2013 में भी पंचायत चुनाव के दौरान भी केंद्रीय बलों की तैनाती हुई थी और तृणमूल कांग्रेस जीती थी। शायद इस बार ममता अंदर से भयभीत हैं, क्योंकि नाना प्रकार के भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरने, सीबीआई व ईडी के जाल में फंसी होने और कांग्रेस व वाममोर्चा की लोकप्रियता में हुई कुछ बढ़ोतरी के कारण तृणमूल खेमे की नींद उड़ी हुई है। इसके अलावा, मुख्य विपक्षी दल भाजपा से मिल रही कड़ी टक्कर मिल रही है।

आगामी 8 जुलाई को 73,887 सीटों के लिए होने वाले मतदान से पहले 9009 उम्मीदवारों ने बिना प्रतिद्वंदिता के निर्विरोध जीत हासिल कर ली। राज्य चुनाव आयोग ने जिलावार ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद के सीटों पर निर्विरोध जीत की सूची जारी की। सूची के तहत ग्राम पंचायत के 63,229 सीटों में से 8,002 उम्मीदवारों ने निर्विरोध जीत हासिल की, जबकी पंचायत समिति के 9,730 सीटों में से 991 उम्मीदवार बिना प्रतिद्वंदिता के जीत गए। जिला परिषद की कुल 928 सीटों में से 16 उम्मीदवारों ने निर्विरोध जीत दर्ज की।

पंचायत समिति में सबसे अधिक दक्षिण चौबीस परगना की 6,383 सीटों में से 1,767 उम्मीदवारों ने निर्विरोध जीत हासिल की। अलीपुरद्वार में सबसे कम 1,252 सीटों में से 8 सीटों पर उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की। पंचायत समिति में भी सबसे अधिक संख्या में जीत दर्ज करने वाले उम्मीदवार भी दक्षिण चौबीस परगना जिले के हैं। जहां 926 पंचायत समिति सीटों पर 233 उम्मीदवारों ने निर्विरोध जीत हासिल की। कालिम्पांग और पुरु लिया के 76 और 496 सीटों में एक-एक उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की। जिला परिषद में बीरभूम और कूचबिहार की एक-एक सीट, उत्तर चौबीस परगना की 3 सीट, दक्षिण चौबीस परगना की 8 सीट और उत्तर दिनाजपुर की 3 सीट पर उम्मीदवारों ने बिना प्रतिद्वंदिता की जीत हासिल की है।

शंकर जालान


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