वैश्विकी : रूस में ‘सैन्य’ बगावत

Last Updated 25 Jun 2023 01:42:14 PM IST

रूस और यूक्रेन में जारी सैन्य संघर्ष में एक बेहद खतरनाक और नाटकीय मोड़ आ गया है।


वैश्विकी : रूस में ‘सैन्य’ बगावत

कुछ दिन पहले तक यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में मोर्चा संभाले वैगनर सैन्य गुट ने क्रेमलिन के खिलाफ ही एक भयावह चुनौती पेश कर दी है। वैगनर ग्रुप का सरगना येवगेनी, जो वास्तव में एक कारोबारी है, लेकिन उसने लड़ाकू टुकड़ियों के जरिए सैन्य कार्रवाइयों में महारत हासिल की है। वैगनर ग्रुप सेना की देख-रेख में देश की तरफ से ही सैन्य कार्रवाइयां करता है। शायद इसीलिए अमेरिका और पश्चिमी देशों की मीडिया में वैगनर को रूसी राष्ट्रपति ब्लादीमिर पुतिन की निजी सेना कहा जाता है।

लेकिन वास्तव में येवगेनी एक महत्त्वाकांक्षी और बड़बोला नेता है, जो पिछले कुछ समय से रूस के रक्षा मंत्री और सैनिक नेतृत्व को अपनी आलोचना का शिकार बनाता रहा है। पुतिन और रूस के अन्य नेताओं ने येवगेनी की गतिविधियों को लंबे समय तक नजरअंदाज किया। इसका कारण यह था कि युद्ध के मोच्रे बाखमत में वैगनर ने यूक्रेन के खिलाफ महत्त्वपूर्ण सफलता हासिल की थी। बाद में यह ग्रुप युद्ध के मोच्रे से हट गया था और रूसी सेना ने अधिकृत क्षेत्र में सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाल ली थी। इस बीच, यूक्रेन ने बहुप्रतीक्षित जवाबी हमला शुरू किया था। अमेरिका और नाटो देशों के अत्याधुनिक हथियारों के बावजूद यूक्रेन की सेना रूस की सुरक्षा पंक्तियों को भेदने में सफल नहीं हुई थी। राष्ट्रपति पुतिन के लिए यह राहत की बात थी। लेकिन येवगेनी की बगावत के बाद रूस के लिए आज एक दोहरा संकट पैदा हो गया है। एक ओर उसे अमेरिका और नाटो देशों से लोहा लेना है, वहीं घरेलू मोच्रे पर वैगनर लड़ाकुओं के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें निष्क्रिय करना है।

संकट की गंभीरता को भांपते हुए राष्ट्रपति पुतिन ने देश को संबोधित किया, जिसमें उन्होंने रूस को बचाने के लिए राष्ट्रीय एकजुटता का आह्वान किया। पुतिन ने देशवासियों को वर्ष 1917 के घटनाक्रम की याद दिलाई जब प्रथम विश्व युद्ध के दौरान बोल्शेविक और मेनशेविक समूहों के बीच गृह युद्ध छिड़ गया था। इस घटना के उल्लेख के जरिए पुतिन का साफ संदेश है कि पुराने घटनाक्रम की पुनरावृत्ति को देशवासी नहीं स्वीकार कर सकते। उन्होंने येवगेनी पर विासघात का आरोप लगाया तथा रूसी सेना को उसकी बगावत को कुचलने के लिए निर्देश जारी किया। फिलहाल वैगनर लड़ाकू रूस के दक्षिणी क्षेत्र रोस्टोव में जमा हैं तथा मास्को की ओर बढ़ने की कोशिश में हैं। हालांकि वहां से मास्को सैकड़ों मील दूर है तथा वहां तक कोई वैगनर लड़ाकू पहुंच पाएगा, यह असंभव है। रूस की सेना और समाज संकट की इस घड़ी में यदि एकता का प्रदर्शन करता है तो यह बगावत कुछ ही दिनों में दम तोड़ देगी। लेकिन सबसे खतरनाक हालात तब पैदा हो सकते हैं, यदि अमेरिका और नाटो देश वैगनर लड़ाकुओं को सैन्य समर्थन मुहैया कराएं। इसी खतरे को देखते हुए राष्ट्रपति पुतिन ने बेलारूस, उज्बेकिस्तान और कजाकिस्तान के नेताओं से बात की है।

दुनिया के लिए चिंता की बात यह है कि यूक्रेन संघर्ष के बाद अब मध्य एशिया के भी अस्थिर हो जाने का खतरा है। ये हालात भारत सहित आसपास के सभी देशों के लिए चुनौती बन सकते हैं। इसलिए कि इस बगावत से जाने-अनजाने परमाणु हथियारों के इस्तेमाल होने का खतरा फिर से मंडराने लगा है। इसके पहले भी रूस के रक्षा विशेषज्ञों का एक तबका यूक्रेन संघर्ष को लंबा खींचने के बाद परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने की वकालत करता रहा है। इसमें राहत की बात यही है कि यह तबका अल्पमत में है और राष्ट्रपति पुतिन एवं सैन्य नेतृत्व भी इस विकल्प के पक्ष में नहीं हैं। ऐसे में बहुत कुछ इस बात पर निर्भर है कि अमेरिका और नाटो देश क्या रवैया अपनाते हैं। अमेरिका की मंशा यदि यह है कि रूस की सेना की कमर तोड़ी जाए तो यह परमाणु युद्ध को न्योता देने जैसा होगा। दुनिया इसके पहले परमाणु युद्ध की आशंका के इतने नजदीक कभी नहीं पहुंची थी। अमेरिका की सफल यात्रा के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ‘भरोसेमंद और मित्र देश’ के राष्ट्रपति पुतिन को संकट की इस घड़ी में क्या सुझाव देते हैं, इसकी प्रतीक्षा रहेगी। हालांकि कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि रूस की नजरों में प्रधानमंत्री मोदी की विसनीयता अब घट गई है।

डॉ. दिलीप चौबे


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment