बतंगड़ बेतुक : हे भगवान! कहां करें तेरी शिकायत
झल्लन आते ही बोला, ‘ददाजू, आज हम बड़े दुखी मन से आपके पास आये हैं और सच्ची कहें तो भगवान की शिकायत लेकर आये हैं।’
बतंगड़ बेतुक : हे भगवान! कहां करें तेरी शिकायत |
हमने हैरत से उसे देखा और सही सलामत पाया पर उसका कहा हमारी समझ में नहीं आया, सो हमने कहा, ‘तू हमारे साथ मजाक करने आया है, लोग तो अपनी शिकायत भगवान से करते हैं और तू भगवान की शिकायत करने हमारे पास आया है।’ झल्लन बोला, ‘आपके पास नहीं आते तो और कहां जाते। कोई थाना-पुलिस तो हमारी बात पर ध्यान देगा नहीं, हमारी सच्ची शिकायत का कोई संज्ञान लेगा नहीं, और कहीं किसी मंदिर-मस्जिद जाएंगे तो या तो हमें कोरा टरका दिया जाएगा या फिर मार के भगा दिया जाएगा। सो सोचे सीधे आपके पास आयें और भगवान को जी भर के गरियाएं।’ हमने किंचित परिहास के साथ कहा, ‘तू भगवान की ऐसी कौन-सी शिकायत लेकर आया है, भगवान ने तेरा ऐसा क्या बिगाड़ दिया है जो तेरा मन उसे गरियाने को हो आया है?’
झल्लन बोला, ‘देखो ददाजू, हमने आज तक भगवान का कुछ नहीं बिगाड़ा तो भगवान हमारा कुछ क्यों बिगाड़ेगा, हम तो वैसे ही उजड़े-उखड़े रहते हैं तो भगवान हमारा और क्या उजाड़ेगा। हम तो उनकी बात कर रहे हैं जिन्हें कोरोना ने बुरी तरह उजाड़ दिया है, जिनकी जान ले ली है और जिन्हें उनकी रोजी-रोटी से उखाड़ दिया है। लोगों की जिंदगी सांसत में फंस गयी है, पूरे देश की रफ्तार रलक गयी है। और उधर आपका ये भगवान है जिसने किसी को भी नहीं बचाया, यह भगवान किसी के काम नहीं आया। यह अदृश्य भगवान एक अदृश्य वायरस का कुछ नहीं बिगाड़ पाया।’ हमने कहा, ‘कभी-कभी तू निहायत ही फालतू बात करता है झल्लन, तू क्या भगवान को देश की सरकार समझता है। लोगों को बचाने, राहत पहुंचाने जैसे जो काम एक सरकार को करने होते हैं उनकी उम्मीद भगवान से करता है, भगवान तो भगवान है वो इंसानी झमेलों में कब पड़ा है, कब पड़ता है?’ झल्लन बोला, ‘कैसी बात करते हो ददाजू, लोग उम्मीद तो भगवान से ही करते हैं, उसकी भक्ति करते हैं और उसी से डरते हैं, विपदा के समय केवल उसी को याद करते हैं। भगवान सर्वशक्तिमान है, सर्वव्याप्त है, करुणामय है, कृपालु है, भक्तवत्सल है, सो जो भी भगवान पर ध्यान लगाता है, कहते हैं भगवान उसकी नैया जरूर पार लगाता है।’
हमने कहा, ‘तो तू कहना चाहता है कि भगवान को अपनी कृपा बरसानी चाहिए थी, महामारी की मार में आये लोगों की जान बचानी चाहिए थी और उनकी नैया पार लगानी चाहिए थी। और क्योंकि भगवान ने ऐसा नहीं किया इसलिए तू गुस्से से उबला जा रहा है और तू भगवान की शिकायत लेकर हमारे पास आ रहा है।’ झल्लन बोला, ‘सच्ची कही ददाजू, हमें लगता है कि या तो लोगों में भगवान के प्रति गलत विश्वास जगता रहा है या फिर भगवान ही लोगों के विश्वास को ठगता रहा है।’ हमने कहा, ‘देख झल्लन, हमने जिस भगवान को बड़ी मेहनत से एक अबूझ पहेली के रूप में गढ़ा है वह भगवान न तो किसी को ठगता है न उसके प्रति किसी का गलत विश्वास जगता है। वह सर्वशक्तिमान होते हुए भी शक्तिविहीन है जो किसी निरीह, लाचार की मदद नहीं करता, वह सर्वव्याप्त होते हुए भी कहीं भी व्याप्त नहीं क्योंकि उसकी व्याप्ति का प्रत्यक्ष अनुभव कोई नहीं करता। वह दयालु-कृपालु होते हुए भी पूरी तरह क्रूर और निष्ठुर है जो किसी भी महामारी में बच्चों से उनके मां-बाप को, पिताओं से पुत्रों को, पत्नियों से उनके पतियों को छीन लेता है, अशक्त-असहाय मांओं से उनके कमाऊ पूत छीन लेता है और असुरक्षित परिवारों से उनकी रोजी-रोटी-रोजगार छीन लेता है, फिर भी भगवान न्यायप्रिय भगवान बना रहता है। जो चले जाते हैं वे अपने कर्मो के कारण मर जाते हैं और जो बच जाते हैं वे भगवान की कृपा से बच जाते हैं। भगवान की सत्ता अक्षुण्ण, स्थायी, चिरकालिक बनी रहती है, लोगों के दिल-दिमाग पर परमशक्ति बनकर तनी रहती है। ऐसे भगवान की शिकायता तू किसी से करे या न करे, कोई फर्क नहीं पड़ेगा, भगवान जहां है वहीं बना रहेगा।’
झल्लन बोला, ‘तो आप चाहते हैं कि हम भगवान के विरुद्ध अपनी शिकायत वापस ले लें, और जैसे बाकी लोग भगवान के साथ कबड्डी खेलते हैं वैसे हम भी खेलें।’ हमने कहा, ‘वैसे भी झल्लन, भगवान पर भरोसा कौन करता है, महामारी से बचने के लिए भगवान से गुहार कौन लगाता है? जो भी महामारी की गिरफ्त में आता है वह डॉक्टर के पास जाता है या सीधे अस्पताल दौड़ लगाता है। जब लोग बिना दवा, बिना ऑक्सीजन और बिना उचित देखभाल मरते हैं तो कौन भगवान की निंदा-आलोचना करता है, हर व्यक्ति नाकारा सरकार और भ्रष्ट व्यवस्था को कटघरे में खड़ा करता है। महामारी में किसने भगवान की घंटी बजायी, जिसने बजायी सरकार और प्रशासन की बजायी।’ झल्लन बोला, ‘ठीक है ददाजू, अब हम भी भगवान से उम्मीद नहीं लगाएंगे, न उसके विरुद्ध कहीं शिकायत दर्ज कराएंगे, शिकायत होगी तो सिर्फ सरकार और व्यवस्था की पुंगी बजाएंगे।’
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