बजट से पूर्व : बुजुर्गों को राहत देने की दरकार
बुजुर्गों की एक बड़ी आबादी अपने बच्चों की उपेक्षा की वजह से अकेले जीवनयापन करने पर मजबूर है।
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सरकारी नौकरी से सेवानिवृत बुजुर्गों को तो पेंशन मिल जाती है, लेकिन निजी नौकरी से सेवानिवृत्त बुजुर्गों के लिए बैंकों में जमा पैसे ही उनके जीवनयापन का सहारा होते हैं। अमूमन ऐसे बुजुर्ग ब्याज आय से गुजर-बसर करते हैं। हमारे देश में वैसे बुजुर्गों की भी बड़ी आबादी है, जो किसी भी तरह के आर्थिक कवच के अभाव में स्व-रोजगार को मजबूर हैं। ऐसे लाखों बुजुर्ग कारोबारी आज छोटे एवं मझोले स्तर के कारोबार कर रहे हैं। लिहाजा, आज जरूरत इस बात की है कि ऐसे बुजुर्ग कारोबारियों को भी कर एवं अन्य प्रावधानों में राहत दी जाए।
हमारा देश एक लोकतांत्रिक और कल्याणकारी देश है। ऐसे देश में सरकार के लिए यह जरूरी है कि वह अपने बुजुर्ग नागरिकों के जीवनयापन की या तो व्यवस्था करे या फिर उन पर कर नहीं लगाए ताकि वे आसानी से अपनी बची हुई जिंदगी सम्मानजनक तरीके से जी सकें। इस संदर्भ में अगर कोई बुजुर्ग कारोबार कर रहा है तो उसे कर में राहत दी जाए। एमएसएमइ के अंतर्गत बुजुर्ग कारोबारियों को दिए जाने वाले 2 करोड़ रुपये तक के ऋण को आवश्यक रूप से सीजीटीएमएसई की गारंटी के साथ स्वीकृत करने की व्यवस्था की जाए, ताकि ऋण के एनपीए होने पर बुजुर्ग कारोबारी और बैंक पर अनावश्यक वित्तीय भार नहीं पड़े। बुजुर्ग कारोबारी के मामले में सीजीटीएमएसई के लिए लगने वाले वार्षिक शुल्क को भी माफ किया जाए। एमएसएमई के तहत प्लांट एंड मशीनरी में निवेश करने वाले बुजुर्ग कारोबारियों को सब्सिडी या कारोबार की शतरे में राहत देने की आवश्यकता है।
वैसे बुजुर्ग कारोबारी, जिनके कारोबार का कुल टर्नओवर में 70 प्रतिशत हिस्सा निर्यात का है को विशेष दरजा देने की जरूरत है, ताकि उन्हें निर्यात जोन में सस्ती जमीन, सस्ती ब्याज दर पर ऋण की सुविधा, निर्यात नियमों में राहत आदि का लाभ मिल सके। ऐसे बुजुर्ग कारोबारियों के ईसीजीसी शुल्क को भी माफ किया जाना चाहिए। इससे निर्यात करने वाले बुजुर्ग कारोबारियों को विशेष प्रोत्साहन मिलेगा। वरीय नागरिक बचत खाता योजना (एससीएसएस) की सुविधा बैंक बुजुर्गों को दे रहे हैं। इस योजना के तहत वे 15 लाख रुपये जमा कर सकते हैं, जिनपर उन्हें आकषर्क ब्याज मिलता है, लेकिन ब्याज के करमुक्त नहीं होने के कारण बुजुर्ग इस योजना में अपनी जिंदगी भर की कमाई जमा करने से परहेज करते हैं। अगर इस खाते में जमा राशि पर मिलने वाले ब्याज को करमुक्त कर दिया जाए तो बुजुर्गों को आर्थिक राहत तो मिलेगी ही साथ ही साथ बैंकों को भी सस्ती पूंजी मिल सकेगी। वर्तमान में 80 टीटीबी के तहत बचत, मियादी, आवृत्ति आदि जमा खाते में मिलने वाले 50,000 रुपये तक के ब्याज को आयकर से मुक्त रखा गया है। अगर आयकर की मुक्त राशि को बढ़ाकर 1,00,000 लाख रुपये कर दिया जाता है तो बुजुर्गों को बड़ी राहत मिलेगी। सरकार को स्वास्थ्य से जुड़े सभी उत्पादों को जीएसटी से मुक्त करना चाहिए, इससे बुजुर्ग एवं आमजन को बड़ी राहत मिलेगी। कोरोना महामारी के दौरान स्वास्थ्य बीमा का महत्त्व सभी को समझ में आ गया है। स्वास्थ्य बीमा कराने से मुश्किल समय में बुजुर्ग और आमजन आर्थिक मुश्किलों से निजात पा सकेंगे। बुजुर्ग कारोबारी से जुड़े विवादों में अगर सरकार ट्रिब्यूनल या अदालत में वाद हार चुकी है तो सरकार को उन मामलों को वापस ले लेना चाहिए। सरकार को विविध सरकारी महकमों या एजेंसियों में बुजुर्ग कारोबारी से संबंधित लंबित मामलों को भी वापस ले लेना चाहिए। ऐसा करने से सरकार को मानव संसाधन पर किए जा रहे अनावश्यक खर्च में भी कमी आएगी साथ ही साथ बुजुर्ग कारोबारियों को भी बड़ी राहत मिलेगी।
एक फरवरी 2021 को पेश किया जाने वाला बजट बहुत ही महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि कोरोना महामारी के कारण देश की अर्थव्यवस्था तहस-नहस हो गई है, जिसे फिर से खड़ा करने और उसे पहले से ज्यादा गतिमान करने के लिए सरकार को दूरगामी नीतियों व उपायों को मूर्त रूप देने की जरूरत है। हालांकि मामले में यह भी सच है कि कोरोना महामारी बुजुर्गों के लिए यमराज बनकर आई है, क्योंकि कोरोना वायरस उनके कमजोर प्रतिरोधक क्षमता का फायदा उठाकर उन्हें सबसे पहले अपना शिकार बनाता है। इसलिए, यह जरूरी है कि सरकार अपने बुजुर्ग नागरिक की विशेष चिंता करे। अगर सरकार आगामी बजट में बुजुर्ग नागरिकों को सभी स्तरों पर कर में राहत देने की व्यवस्था करे साथ ही साथ उनका स्वास्थ्य बीमा कम किस्तों में करवाये तो बुजुर्ग नागरिकों को बड़ी राहत मिलेगी।
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