सरोकार : महिला क्रिकेट पर ध्यान देना जरूरी
हाल ही में महिला क्रिकेटर्स से जुड़ी एक रिपोर्ट आई है। फेडरेशन ऑफ इंटरनेशनल क्रिकेटर्स एसोसिएशन की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दो तिहाई महिला क्रिकेटर अपने भविष्य को लेकर असुरक्षित महसूस करती हैं।
सरोकार : महिला क्रिकेट पर ध्यान देना जरूरी |
करीब आधी को कोई मेंटल हेल्थ सपोर्ट नहीं मिलता। एक चौथाई को उनके नियोक्ता तंग करते हैं, और एक तिहाई को लगता है कि उन्हें अच्छी सुविधाएं नहीं मिलतीं।
इस रिपोर्ट के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद ने कहा है कि वह महिला क्रिकेट के लिए प्रतिबद्ध है, इसके बावजूद कि कोविड-19 के दौरान पुरुषों के खेल को प्राथमिकता मिली है। परिषद इसकी शुरु आत एक बराबर यानी समान प्राइजमनी से करना चाहती है। हालांकि महिला क्रिकेटर्स को अभी भी पुरुषों के मुकाबले कम धनराशि मिलती है। 2020 में आईसीसी महिला टी20 र्वल्ड कप में प्राइजमनी में 2018 के मुकाबले 320 फीसद की बढ़ोतरी की गई थी। सभी प्रतिस्पर्धी टीम्स को भागीदारी के लिए भी ज्यादा धनराशि मिली थी, लेकिन फिर भी गैर-बराबरी बढ़ी है। 2022 में महिला क्रिकेट र्वल्ड कप न्यूजीलैंड में होने वाला है। इसकी प्राइजमनी 55 लाख अमेरिकी डॉलर है, जबकि 2019 में पुरुषों के क्रिकेट र्वल्ड कप की राशि लगभग 1.4 करोड़ अमेरिकी डॉलर थी।
पे चैक में भी गैर-बराबरी कायम है। अधिकतर देश अपने महिला और पुरुष क्रिकेटर्स को एक बराबर पे चैक नहीं देते। हां, ऑस्ट्रेलिया ने इस सिलसिले में जरूर पहल की है, लेकिन भारत में दोनों नेशनल टीम्स की आय में बड़ा अंतर है। बीसीसीआई के हालिया कॉन्ट्रैक्ट्स के अनुसार, ग्रेड ए महिला खिलाड़ी को 50 लाख रु पये मिलते हैं, और ए ग्रेड पुरुष खिलाड़ी को 5 करोड़। पुरुष खिलाड़ियों का एक ऊपरी ग्रेड ए प्लस है, और उन्हें 7 करोड़ रुपये मिलते हैं। यहां तीन साल पहले टेनिस स्टार नोवाक जोकोविच का वह बयान याद आता है, जिसके लिए उन्हें बहुत लताड़ भी खानी पड़ी थी। जब उनसे पूछा गया था कि महिला खिलाड़ियों को इतनी कम फीस क्यों मिलती है, तो उन्होंने कहा था-क्योंकि महिला टूर्नामेंट्स को कम दर्शक मिलते हैं। खेल की दुनिया में लैंगिक भेदभाव का सबसे बड़ा उदाहरण पे चेक का असंतुलन ही है।
पहले और बुरी हालत थी। कुछ सालों में महिला क्रिकेट की दशा पहले से सुधरी है। फिर भी अभी काफी कुछ किया जाना बाकी है। हाल ही में पूर्व भारतीय कप्तान अंजुम चोपड़ा ने कहा था कि भारतीय क्रिकेट बोर्ड महिला टीम से पहले पुरुष टीम के बारे में सोचता है। दरअसल, कोरोना के बाद पुरुष क्रिकेटर्स तो फिर मैदान पर लौट गए।
आईपीएल के बाद ऑस्ट्रेलिया दौरे के साथ पुरुष टीम ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी की, लेकिन महिला क्रिकेट टीम लगभग एक साल बाद भी वापसी के मौके के इंतजार में है। इस पर अंजुम ने कहा था कि अगर टीम की वापसी का इंतजार और बढ़ा तो आने वाले समय में एक बार फिर देश का महिला क्रिकेट पिछड़ जाएगा।
यूं भारत में महिला क्रिकेट को अभी सौ साल भी नहीं हुए हैं। यहां महिला क्रिकेट की शुरु आत 1973 में उस समय हुई जब भारतीय महिला क्रिकेट संघ की स्थापना हुई। भारतीय महिला टीम ने अपना पहला मैच 1976 में वेस्टइंडीज के खिलाफ खेला था और 2006 में भारतीय महिला क्रिकेट संघ का भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड में विलय कर दिया गया था।
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