सरोकार : सैनिटरी प्रॉडक्ट्स : टैक्स फ्री से ब्रिटेन भारत की राह पर
ब्रिटेन ने 2020 के अपने बजट में टैंपन्स पर वैट खत्म करने का ऐलान किया था। अब इस सैनिटरी प्रॉडक्ट पर टैक्स हट गया है।
सरोकार : सैनिटरी प्रॉडक्ट्स : टैक्स फ्री से ब्रिटेन भारत की राह पर |
चांसलर ऋषि सुनाक ने कहा कि सरकार की इस पहल से वह खासे खुश हैं। वैसे भी स्कूल-कॉलेज और अस्पतालों में मुफ्त सैनिटरी पैड्स दिए ही जा रहे हैं। चांसलर इस पहल को ब्रेग्जिट से जोड़ रहे हैं। उनका कहना है कि ब्रिटेन के ईयू से अलग होने की वजह से ही यह संभव हो पाया है। चूंकि मौजूदा ईयू कानून के तहत सदस्य देश 5 फीसद के कम वैट नहीं लगा सकते।
चांसलर के इस दावे से कई महिलावादी नाराज हैं। चूंकि उन्होंने सैनिटरी प्रॉडक्ट्स पर वैट खत्म करने के लिए व्यापक अभियान चलाए हैं। इनमें से एक लॉरा कोरिटन तो 2014 से स्टॉप टैक्सिंग पीरियड्स अभियान चला रही हैं। कहती है कि टैंपन टैक्स को ब्रेग्जिट के तर्क के तौर पर इस्तेमाल करना गलत है। लेबर पार्टी की सांसद स्टेला क्रीजी और पूर्व सांसद पॉला शेरिफ लगातार इसके लिए कैंपेन करती रही हैं। उनकी कोशिशों को नजरंदाज नहीं किया जा सकता। 2016 में ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरून के दबाव के बाद यूरोपीय संसद ने सर्वसम्मति से उस रेगुलेटरी प्रक्रिया को शुरू करने की मंजूरी दी थी जिसके तहत ईयू देश टैंपन टैक्स खत्म कर सकें। लेकिन उसके बाद ब्रिटेन खुद ही ईयू से अलग हो गया, और यह मामला ठंडा पड़ गया। फिर 2018 में यूरोपीय आयोग ने ईयू के वैट नियमों में बदलाव करने के प्रस्ताव प्रकाशित किए।
इनमें प्रावधान था कि सभी देश टैंपन टैक्स को खत्म कर सकते हैं। हां, अभी सभी देशों ने इस प्रस्ताव पर सहमति नहीं जताई है। कोरिटन सहित दूसरी कैंपेनर्स का कहना है कि ब्रेग्जिट न होता तो ब्रिटेन ईयू पर दबाव बना सकता था। यूके ही नहीं, ईयू के दूसरे सदस्य देश भी इस टैक्स को खत्म कर सकते थे। स्कॉटलैंड में मुफ्त सैनिटरी प्रॉडक्ट्स देने का कानून पारित किया गया था। वहां की संसद ने सर्वसम्मति से पीरियड प्रॉडक्ट्स (फ्री प्रोविजन) (स्कॉटलैंड) एक्ट बनाया है। इसके तहत सार्वजनिक स्थानों, यूथ क्लब्स वगैरह में सैनिटरी प्रॉडक्ट्स मुफ्त मिलेंगे। सरकार इस योजना पर हर साल करीब 8.7 मिलियन पाउंड खर्च करेगी। वहां कई शहरों में सरकार की तरफ से पहले सैनिटरी प्रॉडक्ट्स मुफ्त दिए जाते थे लेकिन अब इस कानून ने इसे महिला हक बना दिया है। दिलचस्प है कि स्कॉटलैंड की फस्र्ट मिनिस्टर महिला-निकोला स्टर्जन हैं, और इसे कानून बनाने का प्रस्ताव रखने वाली संसद सदस्य भी महिला है, जिनका नाम मोनिका लेनॉन है।
यूं ब्रिटेन से पहले भारत सैनिटरी प्रॉडक्ट्स पर जीएसटी खत्म कर चुका है। यहां सैनिटरी पैड्स पर 12 फीसद जीएसटी लगता था लेकिन जीएसटी काउंसिल की 28वीं बैठक में इन्हें जीएसटी से मुक्त कर दिया गया। टैक्स फ्री करने के बावजूद भारत जैसे कई देशों में महिलाओं के लिए पीरियड पावर्टी बड़ी सच्चाई है। पीरियड पावर्टी मतलब, जब पीरियड्स प्रॉडक्ट्स खरीदना किसी भी महिला के लिए महंगा सौदा बन जाए। इस अभाव से अधिकतर देश जूझ रहे हैं। भारत जैसे देश में यह गरीबी पहले से ही मुंह बाए खड़ी है। सरकार के 2015-16 के परिवार एवं स्वास्थ्य सर्वेक्षण से पता चलता है कि लाखों महिलाएं पीरियड्स के दौरान सुरक्षा के लिए हाइजीनिक तरीकों का इस्तेमाल नहीं करतीं। 15-24 साल की 57.6% महिलाएं हाइजीनिक तरीकों का इस्तेमाल करती हैं। बाकी महिलाएं अनहाइजीनिक उपाय करती थीं। सो, सैनिटरी प्रॉडक्ट्स को फ्री करने की जरूरत है।
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