स्मार्ट सिटी : अभी बहुत कुछ करने की दरकार

Last Updated 24 Dec 2020 12:24:20 AM IST

देश में समग्र रूप से विकास हो, इसे लेकर कई शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने की एक महत्त्वाकांक्षी योजना शुरू की गई।


स्मार्ट सिटी : अभी बहुत कुछ करने की दरकार

इसे बनाने का मुख्य उद्देश्य उस शहर में 24 घंटे बिजली एवं पानी की सुविधा पहुचाना, शहर में उचित हाईटेक ट्रांसपोर्ट सुविधा उपलब्ध कराना, उचित शिक्षा, आय में वृद्धि, सड़कों का उचित वर्गीकरण होना, स्वच्छता के नये मनकों का निर्धारण, पब्लिक यातायात सुगम होना, सबको आवास उपलब्ध कराना, मजबूत आईटी कनेक्टिविटी और डिजिटल प्रसार, शहर में हरियाली होना, सुशासन, विशेष रूप से ई-शासन और नागरिक भागीदारी, स्वास्थ्य शिक्षा का होना और शहर में एक स्मार्ट पुलिस स्टेशन का होना भी शामिल है। यानी स्मार्ट सिटी का सीधा मतलब शहरी आबादी को विस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध कराना है। देश भर में घोषित 100 शहरों में सर्वाधिक 12 उत्तर प्रदेश के हैं।  

आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2033 तक 77 शहरों की आबादी दस लाख से अधिक होगी 30 से 40 लाख की आबादी के साथ मेगा सिटी बन चुकी होगी। झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों की संख्या में कमी आएगी। ये आकड़ें स्मार्ट सिटी के महत्त्व पर विशेष बल दे रहे हैं। वैश्विक उपलब्धियों में भारत को शामिल होने में भी स्मार्ट सिटी महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकती है। स्मार्ट सिटी का प्रभाव देश की लगभग 10 करोड़ आबादी पर पड़ेगा, 2 लाख करोड़ से अधिक लागत से शहर को विकसित करने में सरकार द्वारा खर्च किया जा रहा है।  घोषित स्मार्ट सिटी का जनवरी 2020 तक महज 12 फीसद कार्य ही पूरा हो पाया है जो अपनी जमीनी हकीकत को बयां कर रहा है। अभी भी इन स्मार्ट सिटी में कई जरूरी काम बाकी हैं। कर्नाटक, मध्य प्रदेश, गुजरात और उत्तर प्रदेश राज्यों में ही स्मार्ट सिटी का कार्य तेजी से प्रगति पर दिख रहा है, जबकि अन्य राज्यों में राज्य सरकारों को विशेष ध्यान देने की जरूरत है। पर्यावरण और प्रदूषण न केवल स्मार्ट सिटी बल्कि देश के सभी शहरों के लिए चिंता का विषय है साथ ही धन की कमी भी विकास में बाधक सिद्ध हो रही है। पहले से अव्यवस्थित शहरों की संरचना भी स्मार्ट सिटी के विकास में बाधक बन रही है। परियोजनाओं की पूर्णता व प्रगति दर के आधार पर आवास और शहरी कार्य मंत्रालय की ओर से 100 शहरों के लिए तिमाही रैकिंग जारी की गई है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लोक सभा क्षेत्र वाराणसी, स्मार्ट सिटी की रैंकिंग में राष्ट्रीय स्तर पर जनवरी 2020 में 13वें स्थान, पर है, जबकि अगस्त 2020 में यह 7वें स्थान था। हां सितम्बर 2020 में वाराणसी को स्मार्ट सिटी परियोजना में राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम स्थान मिला। इस तिमाही में वाराणसी को पांचवां स्थान मिला है। उत्तर प्रदेश में वाराणसी का पहला स्थान है। स्मार्ट सिटी की फाइनल रैंकिंग मार्च महीने में आएगी। केंद्र और राज्य सरकार द्वारा वाराणसी को स्मार्ट सिटी के कार्य में विशेष ध्यान देने के बावजूद अभी तक कार्य अपेक्षित स्तर तक नहीं हो सका है। ऐसे में अन्य शहरों के स्मार्ट सिटी को पूर्ण होने की सिर्फ कल्पना ही की जा सकती है।  सरकार को पारंपरिक स्रोतों जैसे, संपत्ति कर, उपयोगकर्ता शुल्क आदि से संसाधन जुटाने के साथ-साथ स्थानीय सरकारों को बहुत अधिक क्षमता के साथ कार्य करने की आवश्यकता है। इससे संभावित निजी निवेशक आने के लिए प्रेरित होंगे। भ्रष्टाचार, अभाववादी नौकरशाही पर लगाम लगा करके ही न्यू इंडिया की जरूरतों को पूरा किया जा सकता है।
स्मार्ट सिटी नि:संदेह शहरी आबादी के जीवन स्तर को विस्तरीय लाने में सहायक होगी पर इसमें शामिल सभी तथ्यों पर बराबर कार्य करने की जरूरत है। स्मार्ट सिटी के विकास के साथ ही शहरों से गावों की आधारभूत संरचना को जुड़ने में मदद मिलेगी मुख्य रूप से टेक्नोलॉजी के जरिये टेली मेडिसिन, रोजगार, का प्रचार प्रसार के साथ वैश्विक सुविधाओं को अपने देश में बढ़ाया जा सकेगा। देश की प्रगति के लिए इन सबकी अति आवश्यकता है। केंद्र एवं राज्य सरकारों को इस उद्देश्य की पूर्ति में स्थानीय निकायों को भी शामिल किया जाना चाहिए, जिससे कार्य प्रगति का नियमित मूल्यांकन किया जा सके। सरकारों द्वारा नियमित फंड प्रदान करने से भी कार्य में तेजी आएगी। प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयास से देश में स्वच्छता की प्राथमिकता आज देश के हर कोने तक पहुंची हुई है, जो स्मार्ट सिटी के विजन के साथ साथ आवश्यकता को और अधिक मजबूत कर रही है। ऐसे में तय समय सीमा के अनुरूप कार्य की पूर्ति ही जन मानस में न केवल स्मार्ट सिटी के प्रति बल्कि सरकार के प्रति भरोसे को कायम रख सकती है।

डॉ. अजय मिश्रा


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