सरोकार : पाकिस्तान का एंटी रेप कानून भी हुआ सख्त

Last Updated 20 Dec 2020 12:16:19 AM IST

भारत की तर्ज पर चलते हुए पाकिस्तान ने भी अपने रेप कानून को सख्त बना दिया है। राष्ट्रपति ने नये एंटी रेप कानून को मंजूरी दे दी है।


सरोकार : पाकिस्तान का एंटी रेप कानून भी हुआ सख्त

इसमें रेप के मामलों में जल्द न्याय दिलाने के लिए स्पेशल कोर्ट बनाना शामिल है। ये अदालतें चार महीने के भीतर फैसला सुनाएंगी। इसके अलावा कानून के तहत रेप पीड़ित की पहचान का खुलासा नहीं किया जा सकता। यौन अपराधियों का  राष्ट्रीय रजिस्टर भी बनाया जाएगा। हादसे के छह घंटे के भीतर पीड़ित की मेडिकल जांच के लिए रेप क्राइसिस सेल बनाए जाएंगे। कोई पुलिस वाला रेप के मामले की जांच में लापरवाही बरतता है तो उसे तीन साल की जेल हो सकती है। लेकिन इसमें एक और सजा की बात की गई है जो भारत में नहीं दी जाती। वह है सीरियल रेपिस्ट्स को कैमिकली बधिया करना।

लाहौर में सितम्बर में एक महिला के गैंगरेप की घटना के बाद पाकिस्तान में ऐसे मामलों में सख्त कानून की मांग की जा रही थी। अपने बच्चों के सामने महिला के साथ रेप हुआ था। सड़क पर उसकी गाड़ी खराब हो गई थी। इसके बाद यह शर्मनाक हादसा हुआ। तब जांच करने वाले पुलिस अधिकारियों ने महिला को घटना के लिए जिम्मेदार बताया था। कहा था कि वह अकेले सफर क्यों कर रही थी। यूं विक्टिम ब्लेमिंग का खेल बहुत आसान है। पाकिस्तान ही नहीं, भारत में भी यह आम बात है। 2017 में भारत में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने रेप के तीन आरोपियों को यह कहते हुए जमानत दे दी थी कि लड़की का व्यवहार खुद ही गड़बड़झाला है। वह सिगरेट पीती है, उसके हॉस्टल रूम से कंडोम मिले हैं।
वैसे, पाकिस्तान के इस नये कानून में कैमिकली बधिया करने वाली सजा का कई मानवाधिकार संगठन विरोध कर रहे हैं। एमनेस्टी इंटरनेशनल की दक्षिणी एशियाई कैंपेनर का कहना है कि इससे पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय और संवैधानिक बाध्यताओं का उल्लंघन होगा जोकि उसे टॉर्चर, और दूसरे क्रूर, अमानवीय व्यवहार करने से प्रतिबंधित करता है। ऐसी सजाओं से आपराधिक न्याय प्रणाली की कमियां भी दूर नहीं होंगी। इस नये कानून को प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी कैबिनेट ने पिछले महीने मंजूरी दी है। फिर इसी हफ्ते राष्ट्रपति ने इसे मंजूर कर दिया।
भारत में भी रेप की कई दुखद घटनाओं के बाद रेप कानून को सख्त किया गया। पहले रेप के मामलों में फांसी की सजा का प्रावधान नहीं था। लेकिन 2018 के आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम में 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से रेप के दोषियों को मौत की सजा का प्रावधान किया गया है। साथ ही महिलाओं से रेप की स्थिति में न्यूनतम सजा सात साल से 10 साल सश्रम कारावास की गई है, जिसे अपराध की प्रवृत्ति को देखते हुए उम्रकैद तक भी बढ़ाया जा सकता है। 16 साल से कम उम्र की लड़कियों के साथ रेप की स्थिति में न्यूनतम सजा 10 साल से बढ़ाकर 20 साल की गई है, और अपराध की प्रवृत्ति के आधार पर इसे बढ़ाकर उम्रकैद किया जा सकता है। इस कानून में फांसी की सजा का भी तमाम तबकों में विरोध किया गया। कहा गया कि सजा बढ़ाने से वे लोग रु कने वाले नहीं हैं। वे तो फांसी से बचने के लिए अधिक से अधिक जोर लगाएंगे। यह सुनिश्चित करेंगे कि पीड़िता बचे ही नहीं। चूंकि वही अपराध की अकेली चश्मदीद गवाह है। पीड़िता के रिपोर्ट करने और सबूत पेश करने के बाद ही बलात्कारी को मौत की सजा मिल सकती है। इस आशंका को कम से कम करने के लिए रेपिस्ट पीड़िता को मारने का फैसला कर सकता है।

माशा


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